संविधान तक पहुंची BPSC और केके पाठक की लड़ाई, बिहार में टीचर कैंडिडेट का डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन कौन करेगा?

13
संविधान तक पहुंची BPSC और केके पाठक की लड़ाई, बिहार में टीचर कैंडिडेट का डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन कौन करेगा?

संविधान तक पहुंची BPSC और केके पाठक की लड़ाई, बिहार में टीचर कैंडिडेट का डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन कौन करेगा?

पटना : बिहार शिक्षा विभाग और बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) में ठन गई है। बात संविधान तक पहुंच गई है। ब्यूरोक्रेसी की ये लड़ाई मुख्य सचिव तक पहुंच गई है। शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र सत्यापन कार्य में शिक्षक और विभागीय अफसरों को लगाने पर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने आपत्ति जताई थी। इस बाबत जलाधिकारियों को पत्र लिखा था। अब बीपीएससी की ओर से पलटवार किया गया है।

BPSC Vs शिक्षा विभाग

बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के सचिव रवि भूषण ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद को एक पत्र लिखा है। इसकी कॉपी मुख्य सचिव आमिर सुबहानी को भी भेजी गई है। बिहार लोक सेवा आयोग का ये पत्र विद्यालय अध्यापक के पद पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन संख्या- 26/2023 के अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों के सत्यापन के संबंध में है। इसमें कहा गया है कि ‘प्रमाणपत्रों का सत्यापन पूर्व प्रचलित व्यवस्था के अनुरूप दो स्तरों पर किया जाता रहा है। पहले आयोग के स्तर से जो परीक्षा फल के अंतिम प्रकाशन के पूर्व किया जाता है और दूसरा अधियाची विभाग के स्तर से जो सफल अभ्यर्थियों के नियोजन के समय किया जाता रहा है। दोनों का अपना-अपना औचित्य है और दोनों एक दुसरे के पूरक है।’

इसी पत्र में लिखा गया है कि ‘बिना अपने स्तर से सत्यापन कार्य के आयोग के द्वारा न ही कोई अनुशंसा भेजी जा सकती है और न ही कोई डोसियर। आयोग के इस सत्यापन कार्य में राज्य सरकार हमेशा सहयोग करती रही है और इसके लिए किस विभाग के किस पदाधिकारी/कर्मी को प्रतिनियुक्त किया जाए, ये राज्य सरकार का विषय है। इस सम्बन्ध में कोई आपति/अनुरोध राज्य सरकार से किया जाना चाहिए।’

संविधान पढ़ने की सलाह

इसके बाद लिखा गया है कि ‘यह स्पष्ट रहे कि सत्यापन का यह कार्य आयोग की आंतरिक प्रक्रिया का मामला है और वह आयोग शिक्षा विभाग या राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन नहीं है। यह स्पष्ट न हो तो संविधान के सुसंगत अनुच्छेदों का अध्ययन कर लिया जाए। यह भी स्पष्ट रहे कि आयोग के आंतरिक प्रक्रिया के औचित्य पर प्रश्नचिह्न लगाना या इसमें किसी प्रकार का हस्तक्षेप करना और इस प्रकार आयोग पर दबाव डालने का प्रयास करना असंवैधानिक अनुचित और अस्वीकार्य है। आश्चर्य है कि विभाग इन सब प्रावधानों को जानते हुए भी बिना प्रमाण पत्रों के सत्यापन के ही आयोग से अनुशंसा की अपेक्षा कर रही है। इस पर निर्देशानुसार कहना है कि भविष्य में इस तरह के पत्राचार की धृष्टता नहीं की जाय।’

शिक्षा विभाग की चिट्ठी में क्या है?

दरअसल, बिहार में टीचर कैंडिडेट का डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन का काम चल रहा है। इसमें शिक्षकों की ड्यूटी लगाए जाने की बात सामने आई थी। इसके बाद शिक्षा विभाग की ओर से राज्य के जिलाधिकारियों को पत्र भेजा गया था। जिसमें शिक्षकों की ड्यूटी लगाने से मनाही थी। डीएम को लिखे पत्र में कहा गया था कि ‘बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा विद्यालय अध्यापक के पद पर नियुक्ति हेतु प्रकाशित विज्ञापन संख्या-26/2023 में आवेदक अभ्यर्थियों के प्रमाण-पत्रों का सत्यापन तथा ओएमआर शीट की वॉर्निंग हेतु शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों/कर्मियों/शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति के माध्यम से इस कार्य में लगाए जाने की सूचना प्राप्त हुई है।’

पत्र में आगे कहा गया था कि ‘इस संबंध में सूचित करना है कि वर्तमान में शिक्षा विभाग द्वारा विशेष अभियान के अन्तर्गत राज्य के सभी जिलों में सरकारी विद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति में वृद्धि करने हेतु तथा विद्यालयों में विभिन्न प्रकार की व्यवस्थाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए शिक्षा विभाग के सभी पदाधिकारियों/कर्मियों/शिक्षकों के माध्यम से विभिन्न कार्यों का सम्पादन शिक्षा विभाग द्वारा किया जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों/कर्मियों/शिक्षकों को इस काम से मुक्त रखना आवश्यक है।’

ये भी कहा गया है कि ‘बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा भी विगत कई वर्षों से कराये जाने वाले बारकोडिंग संबंधित कार्यों की संवेदनशीलता के मद्देनजर ऐसे कार्यों में भी विशेष रूप से शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों/कर्मियों/शिक्षकों को अलग रखा जाता है।’

शिक्षा विभाग की ओर से कहा गया कि ‘बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा विद्यालय अध्यापक के पद पर नियुक्ति हेतु प्रकाशित विज्ञापन संख्या 20/2023 के अभ्यर्थियों के प्रमाण-पत्र के सत्यापन तथा ओएमआर सीट की स्कैनिंग के कार्यों हेतु शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों/कर्मियों/शिक्षकों को छोड़कर जिलान्तर्गत किसी भी अन्य विभाग के पदाधिकारियों/कर्मियों के माध्यम से संपादित कराया जाए।’

बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News