संयम लोढ़ा ने राजवेस्ट प्रकरण को लेकर BJP पर निशाने साधे, किस पार्टी को कितना चंदा मिला, अंतर तो देखों | Sanyam Lodha targets BJP over Rajwest case | Patrika News h3>
राजस्थान विधानसभा में विधायक संयम लोढ़ा ने राजवेस्ट प्रकरण को लेकर भाजपा पर निशाने साधे।
जयपुर
Updated: March 02, 2022 06:00:58 pm
जयपुर। राजस्थान विधानसभा में विधायक संयम लोढ़ा ने राजवेस्ट प्रकरण को लेकर भाजपा पर निशाने साधे। विधायक लोढ़ा ने विधानसभा में कहा कि 13 नवंबर 2006 को केन्द्र सरकार ने कपूर डी एवं जालीपा ब्लॉक के लिग्नाइट खनन के लिए आरएसएमएम को आवंटन किया। इस आवंटन की मुख्य शर्त संख्या एक में यह स्पष्ट उल्लेख है कि यह खनन या तो आर एस एम एम करेगी या ऐसे संयुक्त उपकरण के माध्यम से करेगी जिसमें उसकी हिस्सेदारी हो।
sanyam lodha
लोढा ने कहा कि राज बेस्ट के साथ जो आर एस एम एम का संयुक्त उपक्रम बाड़मेर लिगनाइट माइनिंग कंपनी लिमिटेड बनाया गया है उसमें आर एस एम एम की हिस्सेदारी 51 फीसदी एवं राजवेस्ट की 49 फीसदी रखी गई। ऊर्जा विभाग ने राजवेस्ट के साथ इंप्लीमेंटेशन एग्रीमेंट 29 मई 2006 को हस्ताक्षरित किया है। इंप्लीमेंटेशन एग्रीमेंट के शर्तों के अनुरूप संयुक्त उपक्रम का एग्रीमेंट 27 दिसंबर 2006 को हस्ताक्षरित किया गया। उस वक्त राजस्थान में भाजपा सरकार थी।
विधायक संयम लोढा ने कहा कि बाड़मेर में दो खाने कपूरडी व जालीपा के पट्टे आरएसएम के पक्ष में जारी हुए थे जिनमें से कपूरडी के पट्टे को संयुक्त उपक्रम को हस्तातंरित करने का अनुबंध 12 अक्टूबर 2011 को हुआ जबकि जालीपा का अनुबंध 25 मई 2015 को हुआ। ऑडिट ने जो पैरा बनाया है वह जालीपा के संबंध में बनाया है।
लोढा ने कहा कि जालीपा के लिए भारत सरकार से संयुक्त उपक्रम के पक्ष में पट्टा हस्तांतरण की अनुमति प्राप्त ना होने के कारण सरकार उससे अनुबंध नहीं कर पा रही थी और तीन बार सरकार ने अनुबंध की तिथि आगे खिसकाई। पहली बार 12 जून 2014 की चिट्ठी से दूसरी बार 5 अगस्त 2014 की चिट्ठी से और तीसरी बार 24 अप्रैल 2015 की चिट्ठी है और फिर भारत सरकार से अनुमति प्राप्त हुए बिना 25 मई 2015 को संयुक्त उपक्रम से पट्टा हस्तांतरण की संविदा का पंजीयन कर लिया गया यह सभी भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुआ है।
केन्द्र सरकार की अनुमति के बिना जो यह संविदा पंजीयन हुआ उसको भारत सरकार ने शुरुआती अपने पत्र 18 मई 2016 के माध्यम से शून्य घोषित कर दिया। और यह शून्य घोषित करना ही ऑडिट के उस पेरे के आधार पर जिसके आधार पर ऑडिट 2,436 करोड रुपए की वसूली करने की अभिशंसा की। संयुक्त उपक्रम पट्टो में खनन करने का संयुक्त उपक्रम के माध्यम से राजवेस्ट को खनन का अधिकार दिया गया।
लोढा ने कहां कि जहां तक चंदे का सवाल है तो वर्ष 2016-2017 में कांग्रेस को राजवेस्ट के 5 करोड के चंदे सहित कुल 41 करोड 90 लाख रूपए का चंदा मिला और जबकि भाजपा को 532 करोड 27 लाख का चंदा मिला। क्या उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड को 41 करोड के चंदे व 532 करोड के चंदे में कोई अंतर दिखता है। राजनीतिक शुचिता की बात होती तो राजेन्द्र राठौड को मिले इतने बडे चंदे की बात करनी चाहिए। किस-किस से कितना कितना मिला, क्या राजेन्द्र राठौड यह सवाल भाजपा के शीर्ष नेताओं से पूछ सकते है और उनके उत्तर से जनता को अवगत करा सकते है।
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राजस्थान विधानसभा में विधायक संयम लोढ़ा ने राजवेस्ट प्रकरण को लेकर भाजपा पर निशाने साधे।
जयपुर
Updated: March 02, 2022 06:00:58 pm
जयपुर। राजस्थान विधानसभा में विधायक संयम लोढ़ा ने राजवेस्ट प्रकरण को लेकर भाजपा पर निशाने साधे। विधायक लोढ़ा ने विधानसभा में कहा कि 13 नवंबर 2006 को केन्द्र सरकार ने कपूर डी एवं जालीपा ब्लॉक के लिग्नाइट खनन के लिए आरएसएमएम को आवंटन किया। इस आवंटन की मुख्य शर्त संख्या एक में यह स्पष्ट उल्लेख है कि यह खनन या तो आर एस एम एम करेगी या ऐसे संयुक्त उपकरण के माध्यम से करेगी जिसमें उसकी हिस्सेदारी हो।
sanyam lodha
लोढा ने कहा कि राज बेस्ट के साथ जो आर एस एम एम का संयुक्त उपक्रम बाड़मेर लिगनाइट माइनिंग कंपनी लिमिटेड बनाया गया है उसमें आर एस एम एम की हिस्सेदारी 51 फीसदी एवं राजवेस्ट की 49 फीसदी रखी गई। ऊर्जा विभाग ने राजवेस्ट के साथ इंप्लीमेंटेशन एग्रीमेंट 29 मई 2006 को हस्ताक्षरित किया है। इंप्लीमेंटेशन एग्रीमेंट के शर्तों के अनुरूप संयुक्त उपक्रम का एग्रीमेंट 27 दिसंबर 2006 को हस्ताक्षरित किया गया। उस वक्त राजस्थान में भाजपा सरकार थी।
विधायक संयम लोढा ने कहा कि बाड़मेर में दो खाने कपूरडी व जालीपा के पट्टे आरएसएम के पक्ष में जारी हुए थे जिनमें से कपूरडी के पट्टे को संयुक्त उपक्रम को हस्तातंरित करने का अनुबंध 12 अक्टूबर 2011 को हुआ जबकि जालीपा का अनुबंध 25 मई 2015 को हुआ। ऑडिट ने जो पैरा बनाया है वह जालीपा के संबंध में बनाया है।
लोढा ने कहा कि जालीपा के लिए भारत सरकार से संयुक्त उपक्रम के पक्ष में पट्टा हस्तांतरण की अनुमति प्राप्त ना होने के कारण सरकार उससे अनुबंध नहीं कर पा रही थी और तीन बार सरकार ने अनुबंध की तिथि आगे खिसकाई। पहली बार 12 जून 2014 की चिट्ठी से दूसरी बार 5 अगस्त 2014 की चिट्ठी से और तीसरी बार 24 अप्रैल 2015 की चिट्ठी है और फिर भारत सरकार से अनुमति प्राप्त हुए बिना 25 मई 2015 को संयुक्त उपक्रम से पट्टा हस्तांतरण की संविदा का पंजीयन कर लिया गया यह सभी भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुआ है।
केन्द्र सरकार की अनुमति के बिना जो यह संविदा पंजीयन हुआ उसको भारत सरकार ने शुरुआती अपने पत्र 18 मई 2016 के माध्यम से शून्य घोषित कर दिया। और यह शून्य घोषित करना ही ऑडिट के उस पेरे के आधार पर जिसके आधार पर ऑडिट 2,436 करोड रुपए की वसूली करने की अभिशंसा की। संयुक्त उपक्रम पट्टो में खनन करने का संयुक्त उपक्रम के माध्यम से राजवेस्ट को खनन का अधिकार दिया गया।
लोढा ने कहां कि जहां तक चंदे का सवाल है तो वर्ष 2016-2017 में कांग्रेस को राजवेस्ट के 5 करोड के चंदे सहित कुल 41 करोड 90 लाख रूपए का चंदा मिला और जबकि भाजपा को 532 करोड 27 लाख का चंदा मिला। क्या उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड को 41 करोड के चंदे व 532 करोड के चंदे में कोई अंतर दिखता है। राजनीतिक शुचिता की बात होती तो राजेन्द्र राठौड को मिले इतने बडे चंदे की बात करनी चाहिए। किस-किस से कितना कितना मिला, क्या राजेन्द्र राठौड यह सवाल भाजपा के शीर्ष नेताओं से पूछ सकते है और उनके उत्तर से जनता को अवगत करा सकते है।
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