संभल में जहां ढाल गाड़ा जाता था उसे बंद कराया: चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात, विधायक महमूद बोले- इसे खत्म नहीं किया जा सकता – Sambhal News h3>
सनी गुप्ता, संभल6 मिनट पहले
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संभल में आज नेजा मेला की शुरुआत होनी है। मंगलवार यानी आज ढाल गाड़ा जाना था। पुलिस ने जिस गड्ढे में नेजा मेले को लेकर ढाल गाड़ा जाना था उसे सीमेंट से ढंक दिया है। चारों तरफ पुलिस तैनात है। CCTV कैमरों और ड्रोन से निगरानी की जा रही है। एएसपी (उत्तरी) श्रीश्चंद्र और सीओ अनुज चौधरी ने PAC-RRF के साथ फ्लैग मार्च किया।
तीन तस्वीरें देखिए…
इसी गड्ढे में ढाल को गाड़ा जाता है। जिसके बाद मेले की शुरुआत होती है।
एएसपी और सीओ ने ढाल गाड़ने की जगह को सीमेंट से बंद करा दिया।
सुरक्षा को लेकर संभल एएसपी और सीओ मौके पर पहुंचे हैं।
होली के बाद पहले मंगलवार को नेजा मेले की ढाल गाड़ी जाती थी। ढाल गाड़ने के एक हफ्ते बाद आने वाले सोमवार को गांव शहबाजपुर सूरा नगला, मंगलवार को संभल शहर और बुधवार को थाना नखासा के गांव बादल गुम्बद में इसका आयोजन होता है।
एसपी बोले- गलत परंपराओं को जारी रखना उचित नहीं
एसपी (उत्तरी) श्रीश्चंद्र ने बताया कि यह एक गलत परंपरा थी, और गलत परंपराओं को जारी रखना उचित नहीं है। इसी कारण नेजा मेले की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने कहा, “हमें अवगत कराया गया था कि इस आयोजन के खिलाफ आपत्तियां दर्ज कराई गई हैं। विरोध जताने वाले पक्ष का कहना था कि अब्दुल सालार मसूद गाजी, जो कि महमूद गजनवी का सगा भांजा था और लूटपाट के इरादे से भारत आया था। उसकी याद में झंडा गाड़ना उचित नहीं है। इसलिए, प्रशासन ने मेले को अनुमति नहीं दी।”
पूरे इलाके में शांति बनी हुई है। एएसपी ने कहा कि नेजा मेला अवैध था, इसलिए इसे रोका गया। उन्होंने यह भी कहा, “सोशल मीडिया पर कड़ी नजर रखी जा रही है। मीडिया सेल लगातार मॉनिटरिंग कर रहा है। यदि कोई व्यक्ति अफवाह फैलाने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
सोमवार को ASP ने कहा था- लुटेरे के नाम पर मेला लगाने की इजाजत नहीं
ASP श्रीश्चंद्र ने कहा था- लुटेरे के नाम पर किसी भी हाल में मेला लगाने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
सोमवार को नेजा मेला को लेकर संभल के ASP श्रीश्चंद्र मेला कमेटी के साथ बैठक कर रहे थे। उन्होंने कमेटी से साफ कहा कि लुटेरे के नाम पर किसी भी हाल में मेला लगाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। जिसने देश को लूटा, उसके नाम पर मेले का आयोजन नहीं किया जाएगा। अगर किसी ने भी नेजा मेले की ढाल गाड़ने (हरे रंग का झंडा) के लिए रैली निकाली, तो वह राष्ट्रद्रोही कहलाएगा। अगर मेला लगाना है, तो मजिस्ट्रेट से बात करो।
प्रशासन की रोक और राजनीतिक बयानबाजी
सपा विधायक इकबाल महमूद बोले- यह मेला सैकड़ों साल पुरानी परंपरा का हिस्सा है, इसे खत्म नहीं किया जा सकता।
इस साल प्रशासन ने नेजा मेले पर रोक लगा दी है, जिससे माहौल गरमा गया है। सपा विधायक इकबाल महमूद ने इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “यह मेला सैकड़ों साल पुरानी परंपरा का हिस्सा है, इसे खत्म नहीं किया जा सकता। प्रशासन को इसका ऐतिहासिक महत्व समझना चाहिए।
उन्होंने कहा, “मैं नहीं समझता कि सैकड़ों साल से चला आ रहा यह मेला ऐसे ही खत्म हो जाएगा। हिंदुस्तान की आजादी से पहले भी यह मेला लगता था। पिछले साल सिर्फ रमजान की वजह से इसे स्थगित किया गया था, लेकिन अब इसे बंद करने का कोई औचित्य नहीं है।”
विधायक ने प्रशासन के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि नेजा मेला केवल संभल तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका ऐतिहासिक संबंध नौचंदी मेरठ से है। उन्होंने कहा, “सरकार योगीजी की है, अगर वहां से आदेश आ जाए कि मेला नहीं लगेगा, तो अधिकारी उसका पालन करेंगे। लेकिन यह परंपरा कोई एक-दो साल की नहीं, बल्कि सैकड़ों साल पुरानी है। इसे कोई खत्म नहीं कर सकता।”
आइए जानते हैं क्यों लगता है नेजा मेला
नेजा मेला न सिर्फ एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि इतिहास के गहरे पन्नों से जुड़ा एक अहम पर्व भी है। यह मेला सैयद सालार मसूद गाजी की याद में आयोजित किया जाता है, जो कि विदेशी आक्रांता महमूद गजनवी का भांजा और सेनापति था। लेकिन इस मेले के आयोजन को लेकर प्रशासन की रोक के बाद राजनीतिक माहौल गरमाने लगा है।
महमूद गजनवी ने 1000 से 1027 ईस्वी के बीच सोमनाथ मंदिर सहित भारत के कई प्रमुख हिंदू तीर्थस्थलों को निशाना बनाया। उसे दुनिया के सबसे क्रूर शासकों में गिना जाता है। उसकी सेना का सेनापति सैयद सालार मसूद गाजी भी भारत आया और उसने कई जगह लड़ाइयां लड़ीं।
इतिहास में दर्ज है कि जब महाराजा पृथ्वीराज चौहान की राजधानी संभल थी, तब उनकी सेना और सालार मसूद गाजी की सेना के बीच घमासान युद्ध हुआ। इस युद्ध में मसूद गाजी के साथ कई सैनिक मारे गए, जिनकी मजारें संभल में बनीं। बाद में, इन्हीं स्थानों पर नेजा मेला आयोजित होने लगा।
क्या है नेजा मेले की परंपरा संभल में नेजा मेला सदियों से लगता आ रहा है। यह मेला खासकर हज़रत भोले शाह भोले रहमतुल्लाह अलैह, हज़रत अहमद शाह रहमतुल्लाह अलैह, और इमादुल मुल्क (बादल गुंबद) की मजारों पर नेजा (भाला) चढ़ाने की परंपरा के लिए जाना जाता है।
मेले में दूर-दूर से लोग आते हैं और चादरपोशी करते हैं। इस दौरान दुआएं मांगी जाती हैं और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। यहां एक विशेष आयोजन होता है, जिसमें दुल्हनें सजकर बैठती हैं, और महिलाएं उनके श्रृंगार की सराहना करती हैं। मेले में शिविर लगाकर आने वाले लोगों के लिए पानी और भोजन की व्यवस्था की जाती है।
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सनी गुप्ता, संभल6 मिनट पहले
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संभल में आज नेजा मेला की शुरुआत होनी है। मंगलवार यानी आज ढाल गाड़ा जाना था। पुलिस ने जिस गड्ढे में नेजा मेले को लेकर ढाल गाड़ा जाना था उसे सीमेंट से ढंक दिया है। चारों तरफ पुलिस तैनात है। CCTV कैमरों और ड्रोन से निगरानी की जा रही है। एएसपी (उत्तरी) श्रीश्चंद्र और सीओ अनुज चौधरी ने PAC-RRF के साथ फ्लैग मार्च किया।
तीन तस्वीरें देखिए…
इसी गड्ढे में ढाल को गाड़ा जाता है। जिसके बाद मेले की शुरुआत होती है।
एएसपी और सीओ ने ढाल गाड़ने की जगह को सीमेंट से बंद करा दिया।
सुरक्षा को लेकर संभल एएसपी और सीओ मौके पर पहुंचे हैं।
होली के बाद पहले मंगलवार को नेजा मेले की ढाल गाड़ी जाती थी। ढाल गाड़ने के एक हफ्ते बाद आने वाले सोमवार को गांव शहबाजपुर सूरा नगला, मंगलवार को संभल शहर और बुधवार को थाना नखासा के गांव बादल गुम्बद में इसका आयोजन होता है।
एसपी बोले- गलत परंपराओं को जारी रखना उचित नहीं
एसपी (उत्तरी) श्रीश्चंद्र ने बताया कि यह एक गलत परंपरा थी, और गलत परंपराओं को जारी रखना उचित नहीं है। इसी कारण नेजा मेले की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने कहा, “हमें अवगत कराया गया था कि इस आयोजन के खिलाफ आपत्तियां दर्ज कराई गई हैं। विरोध जताने वाले पक्ष का कहना था कि अब्दुल सालार मसूद गाजी, जो कि महमूद गजनवी का सगा भांजा था और लूटपाट के इरादे से भारत आया था। उसकी याद में झंडा गाड़ना उचित नहीं है। इसलिए, प्रशासन ने मेले को अनुमति नहीं दी।”
पूरे इलाके में शांति बनी हुई है। एएसपी ने कहा कि नेजा मेला अवैध था, इसलिए इसे रोका गया। उन्होंने यह भी कहा, “सोशल मीडिया पर कड़ी नजर रखी जा रही है। मीडिया सेल लगातार मॉनिटरिंग कर रहा है। यदि कोई व्यक्ति अफवाह फैलाने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
सोमवार को ASP ने कहा था- लुटेरे के नाम पर मेला लगाने की इजाजत नहीं
ASP श्रीश्चंद्र ने कहा था- लुटेरे के नाम पर किसी भी हाल में मेला लगाने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
सोमवार को नेजा मेला को लेकर संभल के ASP श्रीश्चंद्र मेला कमेटी के साथ बैठक कर रहे थे। उन्होंने कमेटी से साफ कहा कि लुटेरे के नाम पर किसी भी हाल में मेला लगाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। जिसने देश को लूटा, उसके नाम पर मेले का आयोजन नहीं किया जाएगा। अगर किसी ने भी नेजा मेले की ढाल गाड़ने (हरे रंग का झंडा) के लिए रैली निकाली, तो वह राष्ट्रद्रोही कहलाएगा। अगर मेला लगाना है, तो मजिस्ट्रेट से बात करो।
प्रशासन की रोक और राजनीतिक बयानबाजी
सपा विधायक इकबाल महमूद बोले- यह मेला सैकड़ों साल पुरानी परंपरा का हिस्सा है, इसे खत्म नहीं किया जा सकता।
इस साल प्रशासन ने नेजा मेले पर रोक लगा दी है, जिससे माहौल गरमा गया है। सपा विधायक इकबाल महमूद ने इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “यह मेला सैकड़ों साल पुरानी परंपरा का हिस्सा है, इसे खत्म नहीं किया जा सकता। प्रशासन को इसका ऐतिहासिक महत्व समझना चाहिए।
उन्होंने कहा, “मैं नहीं समझता कि सैकड़ों साल से चला आ रहा यह मेला ऐसे ही खत्म हो जाएगा। हिंदुस्तान की आजादी से पहले भी यह मेला लगता था। पिछले साल सिर्फ रमजान की वजह से इसे स्थगित किया गया था, लेकिन अब इसे बंद करने का कोई औचित्य नहीं है।”
विधायक ने प्रशासन के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि नेजा मेला केवल संभल तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका ऐतिहासिक संबंध नौचंदी मेरठ से है। उन्होंने कहा, “सरकार योगीजी की है, अगर वहां से आदेश आ जाए कि मेला नहीं लगेगा, तो अधिकारी उसका पालन करेंगे। लेकिन यह परंपरा कोई एक-दो साल की नहीं, बल्कि सैकड़ों साल पुरानी है। इसे कोई खत्म नहीं कर सकता।”
आइए जानते हैं क्यों लगता है नेजा मेला
नेजा मेला न सिर्फ एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि इतिहास के गहरे पन्नों से जुड़ा एक अहम पर्व भी है। यह मेला सैयद सालार मसूद गाजी की याद में आयोजित किया जाता है, जो कि विदेशी आक्रांता महमूद गजनवी का भांजा और सेनापति था। लेकिन इस मेले के आयोजन को लेकर प्रशासन की रोक के बाद राजनीतिक माहौल गरमाने लगा है।
महमूद गजनवी ने 1000 से 1027 ईस्वी के बीच सोमनाथ मंदिर सहित भारत के कई प्रमुख हिंदू तीर्थस्थलों को निशाना बनाया। उसे दुनिया के सबसे क्रूर शासकों में गिना जाता है। उसकी सेना का सेनापति सैयद सालार मसूद गाजी भी भारत आया और उसने कई जगह लड़ाइयां लड़ीं।
इतिहास में दर्ज है कि जब महाराजा पृथ्वीराज चौहान की राजधानी संभल थी, तब उनकी सेना और सालार मसूद गाजी की सेना के बीच घमासान युद्ध हुआ। इस युद्ध में मसूद गाजी के साथ कई सैनिक मारे गए, जिनकी मजारें संभल में बनीं। बाद में, इन्हीं स्थानों पर नेजा मेला आयोजित होने लगा।
क्या है नेजा मेले की परंपरा संभल में नेजा मेला सदियों से लगता आ रहा है। यह मेला खासकर हज़रत भोले शाह भोले रहमतुल्लाह अलैह, हज़रत अहमद शाह रहमतुल्लाह अलैह, और इमादुल मुल्क (बादल गुंबद) की मजारों पर नेजा (भाला) चढ़ाने की परंपरा के लिए जाना जाता है।
मेले में दूर-दूर से लोग आते हैं और चादरपोशी करते हैं। इस दौरान दुआएं मांगी जाती हैं और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। यहां एक विशेष आयोजन होता है, जिसमें दुल्हनें सजकर बैठती हैं, और महिलाएं उनके श्रृंगार की सराहना करती हैं। मेले में शिविर लगाकर आने वाले लोगों के लिए पानी और भोजन की व्यवस्था की जाती है।