संगोष्ठी: लोकतंत्र, कट्टरवाद और साहित्य हुई चर्चा

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संगोष्ठी: लोकतंत्र, कट्टरवाद और साहित्य हुई चर्चा

संगोष्ठी: लोकतंत्र, कट्टरवाद और साहित्य हुई चर्चा

मगध विश्वविद्यालय में संस्कृति, रचनात्मक कला और साहित्य पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। डॉ. ताबिश खैर ने लोकतंत्र और कट्टरवाद पर विचार साझा किए। सेमिनार में 300 से अधिक प्रतिभागियों…

Newswrap हिन्दुस्तान, गयाSat, 28 Sep 2024 12:51 PM
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मगध विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर अंग्रेजी विभाग की ओर से संस्कृति, रचनात्मक कला, साहित्य” पर दो दिवसीय बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए डेनमार्क के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित लेखक और कवि डॉ. ताबिश खैर ने लोकतंत्र, कट्टरवाद और साहित्य पर प्रस्तुति दी। उन्होंने एक ओर अधिनायकवाद और धार्मिक कट्टरतावाद के बीच बुनियादी समानताओं की ओर इशारा किया। वहीं, दूसरी ओर लोकतंत्र, खुले दिमाग से पढ़ने और न्याय करने की साहित्यिक प्रथा के बीच सामंजस्य की चर्चा की। उनके संबोधन ने इस विषय पर एक अनूठा अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण प्रदान किया। प्रो. स्तुति प्रसाद ने डिजिटल मानविकी पर विचार रखते हुए विभिन्न तरीकों की खोज, डेटा संरक्षण की बारीकियों, इसकी आधुनिक प्रौद्योगिकी-आधारित प्रणालियों, पूर्वाग्रह और यांत्रिक त्रुटि को कम करने के तरीकों के बारे में विस्तार से बात की।

सेमिनार में लीबिया, डेनमार्क, सऊदी अरब, मलेशिया, नेपाल और श्रीलंका सहित कई देशों के प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिससे यह वास्तव में एक अंतर्राष्ट्रीय आयोजन बन गया। विद्वानों के विविध प्रतिनिधित्व ने विभिन्न सांस्कृतिक संदर्भों में संस्कृति, कला और साहित्य की भूमिका पर जीवंत चर्चाओं को बढ़ावा दिया, जिससे सेमिनार को विभिन्न दृष्टिकोणों से समृद्ध किया गया। प्रतिभागियों और विद्वानों ने दो दिनों में 14 समानांतर ऑफ़लाइन तकनीकी सत्रों और दो ऑनलाइन तकनीकी सत्रों में विषयों पर गहन चर्चा की। संस्कृति, रचनात्मक कला और साहित्य पर दो दिवसीय बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी एक शानदार सफलता है, जिसमें 300 से अधिक प्रतिभागियों ने पेपर प्रस्तुति के लिए पंजीकरण कराया और 250 से अधिक ने प्रस्तुति दी। दुनिया भर के विद्वानों को बौद्धिक चर्चाओं में शामिल होने के लिए एक मंच प्रदान किया। इस सेमिनार ने सार्थक अकादमिक आदान-प्रदान को सुगम बनाया और इन क्षेत्रों में आगे अनुसंधान सहयोग को प्रोत्साहित किया। प्रतिभागियों को इस बात की गहरी समझ मिली कि संस्कृति और रचनात्मकता किस तरह सामाजिक मूल्यों को आकार देती है और प्रतिबिंबित करती है।

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