शुद्ध प्लस के मालिक का बेटा रेप केस में बरी: कल्याणपुर की रहने वाली युवती ने दर्ज कराई थी उद्योगपति के बेटे पर FIR, साक्ष्यों के आभाव में कोर्ट ने किया बरी – Kanpur News

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शुद्ध प्लस के मालिक का बेटा रेप केस में बरी:  कल्याणपुर की रहने वाली युवती ने दर्ज कराई थी उद्योगपति के बेटे पर FIR, साक्ष्यों के आभाव में कोर्ट ने किया बरी – Kanpur News

शुद्ध प्लस के मालिक का बेटा रेप केस में बरी: कल्याणपुर की रहने वाली युवती ने दर्ज कराई थी उद्योगपति के बेटे पर FIR, साक्ष्यों के आभाव में कोर्ट ने किया बरी – Kanpur News

कानपुर के चर्चित पान मसाला कारोबारी शुद्ध प्लस वालों के बेटे आयुष खेमका को रेप केस में कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ी राहत देते हुए बरी कर दिया है। कल्याणपुर के एक अपार्टमेंट में रहने वाली युवती ने आयुष खेमका पर शादी का झांसा देकर रेप करने का आरोप लगाते हु

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पीड़िता के नाबालिग होने का दावा झूठा निकलने का मिला लाभ

कोर्ट ने अपने आदेश में साफ-साफ कहा है कि उपरोक्त तथ्यों एवं परिस्थितियों, साक्ष्य के विश्लेषण व विवेचन तथा संदर्भित विधि व्यवस्थाओं को देखते हुए न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि पीड़िता घटना के समय बालिग थी। ऐसी दशा में अभियुक्त आयुष खेमका के विरूद्ध लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (पाक्सो एक्ट) के प्रावधान लागू नहीं होते हैं। ‘पीडिता ए’ के बयान न्यायालय का विश्वास जगाने में असफल रहे हैं और ‘पीड़िता ए’ के बयानों की सम्पुष्टि अन्य किसी साक्ष्य से होती नहीं दिख रही है। ‘पीडिता ए द्वारा अभियुक्त आयुष खेमका के विरूद्ध लगाये गये आरोप संदेहास्पद प्रकट होते हैं। अभियोजन द्वारा पेश साक्ष्य से अभियुक्त के विरूद्ध लगाये गये आरोप युक्तियुक्त संदेह से परे साबित नहीं होते हैं। इस पर न्यायालय के मस्तिष्क में अभियुक्त आयुष खेमका द्वारा आरोपित अपराध कारित किये जाने के संबंध में संदेह उत्पन्न हो गया है, जिसका लाभ पाते हुए अभियुक्त आयुष खेमका धारा-376 (रेप), 323(मारपीट), 504 (सार्वजनिक बेइज्जति), 506 (जान से मारने की धमकी देना), 417 (धोखाधड़ी) भारतीय दंड संहिता व विकल्प में विरचित आरोप धारा-3/4 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (पाक्सो एक्ट) के आरोपों से दोषमुक्त किये जाने योग्य हैं।

मामले में कोर्ट का आदेश

अभियुक्त आयुष खेमका को धारा-376,323,504,506,417 भारतीय दण्ड संहिता व विकल्प में विरचित आरोप अंतर्गत धारा-3/4 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के आरोपों से संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त किया जाता है। अभियुक्त जमानत पर है। अभियुक्त के व्यक्तिगत बंधपत्र निरस्त कर जमानतियों को उनके दायित्वों से उन्मोचित किया जाता है।

खबर अपडेट हो रही है…।

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