शरद पवार से 2004 से क्यों नाराज हैं अजित पवार, 19 साल पहले की टीस भतीजे के मन में? पूरी कहानी h3>
मुंबई:महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों से विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें चल रही हैं। यह चर्चा भी शुरू है कि अजित पवार को एकनाथ शिंदे की जगह सीएम बनाया जा सकता है। हालांकि, यह सब तब होगा जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला शिंदे-फडणवीस सरकार के खिलाफ आएगा। कहा जा रहा है कि इसके लिए बीजेपी ने अजित पवार पर डोरे डालना शुरू किया है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह पैदा होता है कि क्या अजित पवार अपने चाचा और एनसीपी के मुखियाशरद पवारसे बगावत करेंगे? राजनीतिक गलियारों में यह मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है। जानकारी के मुताबिक अजित पवार ने सोमवार के दिन के सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए थे। सोमवार को शरद पवार और सुप्रिया सुले बारामती में थे जबकि अजित पवार मुंबई में थे।
मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम के चलते महाराष्ट्र में ‘चाचा-भतीजे’ के बीच मनमुटाव को लेकर भी चर्चा का बाजार गर्म हो चुका है। हालांकि, महाराष्ट्र में चाचा-भतीजे का विवाद कोई नया मामला नहीं है। महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार और अजित पवार के बीच अनबन हमेशा से चर्चा का विषय रही है। खासबात यह है कि इसी साल फरवरी के महीने में अजित पवार ने अपने दिल के दर्द को कहा भी था।
2004 में क्यों शुरू हुई थी अनबन
महाराष्ट्र में साल 2004 के विधानसभा चुनाव में एनसीपी राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। हालांकि, तब पार्टी ने मुख्यमंत्री बनने का हाथ में आया हुआ बेहतरीन मौका गंवा दिया था। तब अजित पवार ने कहा था कि 2004 में मुख्यमंत्री का पद छोड़ना सबसे बड़ी गलती थी। अजित पवार ने कहा था कि किसी को मुख्यमंत्री बना देते तो काम चल जाता। बता दें कि उस चुनाव में एनसीपी को 71 और कांग्रेस को 69 सीटें मिली थीं। इसलिए मुख्यमंत्री का पद एनसीपी को मिलना चाहिए था। हालांकि, शरद पवार ने कांग्रेस के साथ बातचीत की और कांग्रेस को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का पद दे दिया। उसके बदले में दो कैबिनेट पद और एक राज्य मंत्री का अतिरिक्त पद लिया। यहीं से शरद पवार और अजित पवार के बीच अनबन शुरू हुई थी। फिर 2009 के चुनावों में भी टिकट बंटवारे को लेकर शरद पवार और अजित पवार के बीच मामूली अनबन हुई थी।
भुजबल को उपमुख्यमंत्री बनाने पर नाराज हुए थे अजित पवार
अजित पवार के बीजेपी के साथ शुरू से ही अच्छे संबंध रहे हैं। सरकार बनाने के लिए शिवसेना को समर्थन देने के मुद्दे पर भी अजित पवार असहज थे। अजित पवार 2008 में छगन भुजबल को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने से भी खफा थे। साल 2010 में जब आदर्श घोटाले में नाम आने के बाद तत्कालीन सीएम अशोक चव्हाण ने इस्तीफा दे दिया था। इसी प्रकार साल 2012 में अजित पवार पर सिंचाई घोटाले का आरोप लगा था। उस वक्त अजित पवार ने अचानक इस्तीफा दे दिया था। जो काफी दिनों तक चर्चा का विषय बना था।
बेटे पार्थ पवार की चुनावी हार से नाराज अजित पवार
बीते लोकसभा चुनाव में अजित पवार इस बात से खफा थे कि उनके बेटे पार्थ पवार एनसीपी पार्टी उचित सहयोग नहीं दिया। जिसकी वजह से पार्थ पवार चुनाव हार गए। यह भी कहा जाता है कि चुनाव में शरद पवार ने पार्थ पवार की उम्मीदवारी का विरोध किया था। हालांकि, बाद में पार्थ पवार ने मावल से चुनाव लड़ा था, जिसमें उनकी पराजय हुई थी। इस बार भी अजित पवार और शरद पवार के बीच मतभेद साफ देखा गया था।
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मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम के चलते महाराष्ट्र में ‘चाचा-भतीजे’ के बीच मनमुटाव को लेकर भी चर्चा का बाजार गर्म हो चुका है। हालांकि, महाराष्ट्र में चाचा-भतीजे का विवाद कोई नया मामला नहीं है। महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार और अजित पवार के बीच अनबन हमेशा से चर्चा का विषय रही है। खासबात यह है कि इसी साल फरवरी के महीने में अजित पवार ने अपने दिल के दर्द को कहा भी था।
2004 में क्यों शुरू हुई थी अनबन
महाराष्ट्र में साल 2004 के विधानसभा चुनाव में एनसीपी राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। हालांकि, तब पार्टी ने मुख्यमंत्री बनने का हाथ में आया हुआ बेहतरीन मौका गंवा दिया था। तब अजित पवार ने कहा था कि 2004 में मुख्यमंत्री का पद छोड़ना सबसे बड़ी गलती थी। अजित पवार ने कहा था कि किसी को मुख्यमंत्री बना देते तो काम चल जाता। बता दें कि उस चुनाव में एनसीपी को 71 और कांग्रेस को 69 सीटें मिली थीं। इसलिए मुख्यमंत्री का पद एनसीपी को मिलना चाहिए था। हालांकि, शरद पवार ने कांग्रेस के साथ बातचीत की और कांग्रेस को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का पद दे दिया। उसके बदले में दो कैबिनेट पद और एक राज्य मंत्री का अतिरिक्त पद लिया। यहीं से शरद पवार और अजित पवार के बीच अनबन शुरू हुई थी। फिर 2009 के चुनावों में भी टिकट बंटवारे को लेकर शरद पवार और अजित पवार के बीच मामूली अनबन हुई थी।
भुजबल को उपमुख्यमंत्री बनाने पर नाराज हुए थे अजित पवार
अजित पवार के बीजेपी के साथ शुरू से ही अच्छे संबंध रहे हैं। सरकार बनाने के लिए शिवसेना को समर्थन देने के मुद्दे पर भी अजित पवार असहज थे। अजित पवार 2008 में छगन भुजबल को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने से भी खफा थे। साल 2010 में जब आदर्श घोटाले में नाम आने के बाद तत्कालीन सीएम अशोक चव्हाण ने इस्तीफा दे दिया था। इसी प्रकार साल 2012 में अजित पवार पर सिंचाई घोटाले का आरोप लगा था। उस वक्त अजित पवार ने अचानक इस्तीफा दे दिया था। जो काफी दिनों तक चर्चा का विषय बना था।
बेटे पार्थ पवार की चुनावी हार से नाराज अजित पवार
बीते लोकसभा चुनाव में अजित पवार इस बात से खफा थे कि उनके बेटे पार्थ पवार एनसीपी पार्टी उचित सहयोग नहीं दिया। जिसकी वजह से पार्थ पवार चुनाव हार गए। यह भी कहा जाता है कि चुनाव में शरद पवार ने पार्थ पवार की उम्मीदवारी का विरोध किया था। हालांकि, बाद में पार्थ पवार ने मावल से चुनाव लड़ा था, जिसमें उनकी पराजय हुई थी। इस बार भी अजित पवार और शरद पवार के बीच मतभेद साफ देखा गया था।
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