वॉर-विडो को 11साल बाद भी जमीन का आवंटन नहीं किया: हाई कोर्ट ने प्रमुख शासन सचिव रेवेन्यू से स्पष्टीकरण मांगा, पहले कलक्टर को किया था तलब – Jaipur News h3>
राजस्थान हाईकोर्ट ने करीब 80 वर्षीय वॉर विडो को 11 साल बाद भी जमीन आवंटन नहीं करने पर रेवेन्यू विभाग के प्रमुख शासन सचिव से स्पष्टीकरण मांगा हैं। जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल अदालत ने यह आदेश धरियाव कंवर की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
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सुनवाई के दौरान सरकार ने इस मामले में आवश्यक कार्रवाई करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा। जिस पर अदालत ने समय देते हुए निर्देश दिया कि या तो चार माह में आवश्यक कार्रवाई करें, अन्यथा प्रमुख शासन सचिव रेवेन्यू अपना शपथपत्र पेश करके बताए कि इस मामले में 11 साल बाद भी जमीन का अलॉटमेंट क्यों नहीं हुआ।
पहले जिला कलक्टर को किया था तलब अधिवक्ता ओपी मिश्रा ने बताया कि धरियाव कंवर के पति भंवर सिंह 1965 के युद्ध में शहीद हो गए थे। उन्हें नियमों के तहत जयपुर की फुलेरा तहसील में 25 बीघा जमीन अलॉट हुई थी। लेकिन अलॉटमेंट के बाद प्रशासन को पता चला कि जो जमीन अलॉट की गई हैं। वो गैर मुमकिन तलाई (नदी-नाले की जमीन) हैं। जिसका अलॉटमेंट नहीं किया जा सकता हैं। इसे लेकर जिला प्रशासन ने रेवेन्यू बोर्ड को रेफरेंस बनाकर भेजा।
रेवेन्यू बोर्ड ने 21 फरवरी 2014 को यह माना कि वीरांगना को गलत जमीन अलॉट कर दी गई हैं। लेकिन इसमें इनकी कोई गलती नहीं हैं। ऐसे में इन्हें दूसरी जगह जमीन अलॉट की जाए। लेकिन 11 साल बाद भी वीरांगना को दूसरी जगह जमीन अलॉट नहीं की गई। इस पर वीरांगना ने हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया। यहां जिला प्रशासन की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया।
इस पर कोर्ट ने जिला कलक्टर को तलब किया था। लेकिन इसके बाद जिला प्रशासन ने अपना जवाब फाइल कर दिया।
जमीन चिन्हिंत होने पर भी नहीं किया अलॉटमेंट उन्होने बताया कि रेवेन्यू बोर्ड ने करीब 11 साल पहले जिला कलक्टर को निर्देशित किया था कि वीरांगना को उसके गृह जिले में ही दूसरी जमीन आवंटित की जाए। इसके बाद एसडीओ ने 4 दिसम्बर 2019 को जयपुर के ग्राम बीचून में जमीन चिन्हिंत भी कर ली। लेकिन उस पर आज तक कोई फैसला नहीं हुआ।
इसके बाद जिला प्रशासन ने शहीद की वीरांगना को जमीन आवंटन करने के लिए दूदू के ग्राम आदरवा में जमीन चिन्हिंत की। लेकिन 21 दिसम्बर 2022 को यह कहते हुए आदेश को रद्द कर दिया कि वॉर विडो ने जमीन के आवंटन के लिए आवेदन ही नहीं किया।
हमने कोर्ट से कहा कि याचिकाकर्ता को इसके बारे में सूचित ही नहीं किया। ऐसे में वह आवेदन कैसे कर सकती थी।