वैशाख मास की शुरुआत, इस माह कई महापुरुषों की जयंती-त्योहार आएंगे, दान-पुण्य का भी महत्व – rajsamand (kankroli) News

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वैशाख मास की शुरुआत, इस माह कई महापुरुषों की जयंती-त्योहार आएंगे, दान-पुण्य का भी महत्व – rajsamand (kankroli) News

वैशाख मास की शुरुआत, इस माह कई महापुरुषों की जयंती-त्योहार आएंगे, दान-पुण्य का भी महत्व – rajsamand (kankroli) News

.20 अप्रैल को गुरु अर्जुनदेव जयंती : गुरु अर्जुन देव जयंती सिख धर्म के पांचवें गुरु की स्मृति में मनाई जाती है। उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब का संकलन किया और धर्म की रक्षा के लिए बलिदान दिया। .24 अप्रैल को वल्लभाचार्य जयंती : पुष्टि मार्गीय परम्परा के स

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सेनजी ने स्वामी रामानंदजी से दीक्षा प्राप्त की। दीक्षित होकर साधु-संतों की सेवा व सत्संग में प्रवचन के माध्यम से भक्ति ज्ञान, वैराग्य प्राप्त किया। .27 अप्रैल को शुकदेव मुनि जयंती : व्यास मुनि के पुत्र शुकदेव मुनि ने राजा परीक्षित को भागवत पुराण की कथा द्वारा मुक्ति प्रदान की थी। शुकदेव मुनि का जन्म वैशाख कृष्ण अमावस्या को हुआ। 27 अप्रैल को देवपितृ कार्य अमावस्या होगी। .28 अप्रैल को पाराशर ऋषि जयंती व गुरु अंगददेव जयंती : सिखों के दूसरे गुरु अंगद देवजी हुए। इनका जन्म वैशाख शुक्ल एकम (31 मार्च 1504) को हुआ। ऋषि पाराशर एक दिव्य और अलौकिक शक्ति से संपन्न ऋषि थे।

उन्होंने धर्मशास्त्र, ज्योतिष, वास्तुकल, आयुर्वेद, नीतिशास्त्र, विषयक ज्ञान को प्रकट किया। इनका जन्म वैशाख शुक्ल पक्ष एकम को हुआ। .29 अप्रैल को परशुराम जन्मोत्सव : ब्राह्मण जाति के कुल गुरु भगवान परशुराम हैं। .30 अप्रैल को अक्षय तृतीया : अक्षय तृतीया के दिन दान-पुण्य किया जाता है। उसका पुण्य कभी नष्ट नहीं होता है। .30 अप्रैल को जैन समुदाय का वर्षीय तप पारणा : अक्षय तृतीया को ही जैन समुदाय वर्षीय तप पारणा महोत्सव मनाता है। जो जैन श्रावक-श्राविकाएं एक वर्ष तक वर्षीय तप की अराधना करते हैं। उसका पारणे अक्षय तृतीया के दिन किए जाते हैं।

.2 मई को आदि शंकराचार्य जयंती : देश की अखंडता व एकता को स्थापित करने के लिए भारत की चारों दिशाओं में चार मठ स्थापित किए। उत्तर में बद्रीनाथ, पश्चिम में द्वारिका, पूर्व में जगन्नाथ पुरी व दक्षिण में रामेश्वरम मठ आदि की स्थापना की गई।

.2 मई को महाकवि सूरदास जयंती : भगवान कृष्ण के अनन्य भक्त सूरदास का जन्म वैशाख शुक्ल पंचमी को हुआ। सूरदास जन्म से ही अंधे थे। लेकिन उन्होंने श्रीकृष्ण की सांगोपांग लीलाओं का वर्णन करके जनमानस को भगवान श्रीकृष्ण का वास्तविक दर्शन करवाया। .

3 मई को रामानुजाचार्य जयंती : वैष्णव आचार्यों में प्रमुख रामानुजाचार्य हुए। रामानुज ने वेदांत दर्शन पर आधारित अपना नया दर्शन विशिष्ट द्वैत वेदांत गढ़ा था। 1017 ई में रामानुज का जन्म दक्षिण भारत के तिरुकुदूर क्षेत्र में हुआ था। गुरु की इच्छानुसार रामानुज ने उनसे तीन काम करने का संकल्प लिया था। ब्रह्मसूत्र, विष्णु सहस्रनाम और दिव्य प्रबंधन की टीका लिखना। .3 मई को गंगोत्पति व गंगा सप्तमी : पौराणिक शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां गंगा स्वर्ग लोक से शिवशंकर की जटाओं में पहुंची थी। इसलिए इस दिन को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। जिस दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई थी।

.5 मई को बगलामुखी जयंती : वैशाख शुक्ल अष्टमी को देवी बगलामुखी का अवतरण हुआ। देवी बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं। यह स्तम्भन की देवी हैं। संपूर्ण ब्रह्मांड की शक्ति का समावेश है। माता बगलामुखी शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है। इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है।

.5 मई को जानकी नवमी : वैशाख शुक्ल की नवमी को माता धरती की कोख से जानकीजी या सीताजी अवतरित हुई थीं। जो प्रभु श्रीराम की पत्नी बनी। .7 मई को केवल ज्ञान प्राप्ति : जैन धर्म के महावीर स्वामी को वैशाख मास में ही केवल ज्ञान प्राप्ति हुई थी। इसके बाद वे आगे चलकर भगवान महावीर स्वामी बने। 8 मई को मोहिनी एकादशी मनाई जाएगी। .11 मई को नृसिंह जयंती : वैशाख सुदी 14 को नृसिंह चतुर्दशी मनाई जाएगी। इस दिन नृसिंह भगवान का प्रकट्य हुआ था। .11 मई को अमरदास जयंती : सिखों के तीसरे गुरु अमरदासजी हुए थे। इनका जन्म वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को हुृआ था।

.12 मई को बुद्ध पूर्णिमा : भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण ये तीनों वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुए थे। NEWS4SOCIALन्यूज | राजसमंद| वैशाख मास की शुरूआत रविवार से हो चुकी है। हिन्दी मास में वैशाख मास को सबसे उत्तम व बड़ा मास माना गया। दान पुण्य के लिहाज से वैशाख मास का बड़ा मास माना गया है। इस मास में हिंदु, जैन व सिखों के गुरुओं की जयंती आदि मनाई जाएगी। हिन्दू पंचांग के अनुसार 12 मास होते हैं। वैशाख मास का अपना महत्व है। क्योंकि वैशाख मास में सूर्य उच्च राशि मेष राशि में विचरण करता है। उस समय धार्मिक कार्यों की दान पुण्य का विशेष लाभ मिलता है।

वैशाख मास में तालाब-तलैया आदि में पानी सूख जाता है। जंगलों में घास आदि कमी हो जाती है। धूप का प्रभाव भी काफी बढ़ जाता है। ऐसे में पशु-पक्षी के भूख-प्यास से ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसलिए मनुष्य पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी के लिए परिंडे आदि लगाकर पुण्य का कार्य करते हैं। राहगीरों के जल सेवा के तौर पर प्याऊ बैठाना, पशुओं के लिए खैल (प्याऊ) में पानी भरवाना आदि कार्य करने से पुण्य मिलता है।

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