वेव्स में मध्यप्रदेश पवेलियन में 150कलाकारों ने 10 नृत्य किए: सांस्कृतिक, पर्यटन, इतिहास-कलां का प्रदर्शन; रैम्प वॉक भी किया – Bhopal News h3>
मुंबई में हुए वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट-2025 (वेव्स) में ‘अतुलनीय मध्यप्रदेश’ पवेलियन में शुक्रवार को सांस्कृतिक, पर्यटन, इतिहास, कलां और परपंराओं का अनूठा प्रदर्शन हुआ। डेढ़ सौ से अधिक कलाकारों ने 10 नृत्य किए। वहीं, रैम्प वॉक भी किया।
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नृत्य नाटिका के जरिए मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर, समृद्ध पर्यटन, इतिहास, कला और परंपराओं को दर्शाया गया। इसमें हृदय प्रदेश के सांस्कृतिक रंग, सघन वन, ऐतिहासिक स्थल, टेक्सटाइल, परंपराएं आदि की अनुभूति और आनंद दर्शकों ने लिया। प्रसिद्ध कोरियोग्राफर मैत्री पहाड़ी के निर्देशन में इस नृत्य नाटिका में कथक, भरतनाट्यम, ओडिसी, मणिपुरी, मोहिनीअट्टम, कुचिपुड़ी के साथ ही मध्यप्रदेश के बधाई, बरेदी, मटकी, गोंड, जैसे लोकनृत्य की प्रस्तुति दी गई। इसके अलावा नृत्य नाटिका में मुमताज खान के निर्देशन में मध्यप्रदेश के टेक्सटाइल जैसे महेश्वरी, चंदेरी, बाग के वैभव को दर्शाता एक विशेष वॉक भी हुआ।
प्रदेश की आध्यात्मिक चेतना का हुआ संचार अमृतस्य मध्यप्रदेश एक मनमोहक समवेत नृत्य-नाट्य प्रस्तुति है, जो दर्शकों को भारत के हृदय-मध्यप्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक धरोहर से जोड़ती है। यह प्रदर्शन केवल नृत्य नहीं, बल्कि एक यात्रा है जो हमें हजारों वर्षों पुराने इतिहास, भक्ति, प्रेम, प्रकृति और कला की लय में ले जाती है।
तस्वीरों में देखिए वेव्स में हुई प्रस्तुतियां…
कलाकारों ने कई नृत्य की प्रस्तुति देकर सबका मन मोह लिया।
रैम्प वॉक करते कलाकार।
नृत्य की प्रस्तुति के दौरान कलाकार।
वेव्स में डेढ़ सौ से ज्यादा कलाकारों ने नृत्य की प्रस्तुति देकर समां बांध दिया।
भीमबेटका से हुई प्रस्तुति की शुरुआत प्रस्तुति की शुरुआत भीमबेटका की प्रागैतिहासिक गुफाओं से हुई, जहां मानव सभ्यता की पहली झलक मिलती है। खजुराहो के मंदिरों में नृत्य और मूर्तिकला का सुंदर संगम, और सांची के स्तूप की शांति दर्शकों को आध्यात्मिक गहराइयों में ले गई। चित्रकूट की पावन भूमि पर, भगवान राम की कथा को भावपूर्ण मुद्राओं में पिरोया गया।
उज्जैन और ओंकारेश्वर के ज्योतिर्लिंगों की दिव्यता, और भगवान शिव की उपस्थिति, इस नृत्यगाथा में भक्ति का उग्र रूप भर देती है। ग्वालियर का ऐतिहासिक किला, मांडू की प्रेम कहानी, और ओरछा के मंदिर ने सभी को नृत्य के माध्यम से जीवंत किया गया।
मनुष्य व प्रकृति के प्रेम का अनूठा संगम प्रकृति की शक्ति को बांधवगढ़, कान्हा और पेंच के जंगलों में घूमते बाघों, और जबलपुर की संगमरमर की चट्टानों की सुंदरता से दर्शाया गया है। प्रकृति से ही प्रेरणा लेकर पारंपरिक महेश्वरी, चंदेरी और बाघ प्रिंट की पोशाकें राज्य की शिल्प विरासत का गौरवगान करती हैं। इन्हें भी सुंदर रूप से मंझे हुए कलाकारों ने मंच पर प्रदर्शित किया। आखिरी में नर्मदा नदी की आरती के साथ यह यात्रा चरम पर पहुंची।