वेब सीरीज रिव्यू: रुद्रा- द ऐज ऑफ डार्कनेस, सीजन-1 h3>
कहानी
ओटीटी पर अजय देवगन (Ajay Devgn) की डेब्यू सीरीज ‘रुद्रा: द ऐज ऑफ डार्कनेस’ (Rudra: The Edge of Darkness) आखिरकार रिलीज हो गई है। कहानी मुंबई पुलिस के स्पेशल क्राइम यूनिट की है। कहानी के केंद्र में डीसीपी रुद्रवीर सिंह हैं, जिसका किरदार अजय देवगन ने निभाया है। रुद्रवीर का दिमाग और काम दोनों जबरदस्त है। वह जुर्म की तह तक पहुंचने के लिए नियमों को तोड़ने से भी परहेज नहीं करता। यही कारण है कि डिपार्टमेंट में कुछ लोग उसे पसंद नहीं करते और इस कारण उसे परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यह साइकोलॉजिकल क्राइम थ्रिलर है, जो आपको एक अलग ही मिस्ट्री ट्रिप पर ले जाती है।
रिव्यू
‘रुद्रा: द ऐज ऑफ डार्कनेस’ बीबीसी की सीरीज ‘लुथर’ का हिंदी रीमेक है। शो में 6 एपिसोड्स हैं। एक लूट और फिर मर्डर मिस्ट्री, ‘रुद्रा’ इसी दिशा में आगे बढ़ती है। वैसे किसी भी थ्रिलर कहानी से दर्शकों को बांधे रखने का कोई सटीक फॉर्मूला नहीं होता। खासकर तब, जब आप किसी दूसरे देश के, दूसरी भाषा के शो को अपने दर्शक के हिसाब से बना रहे हों। ‘रुद्रा: द ऐज ऑफ डार्कनेस’ के मेकर्स ने यहां एक नियम जरूर फॉलो किया है और वह यह जितना संभव हो इसे सरल, सीधा और सहज रखें।
बीबीसी की ऑरिजनल सीरीज की कहानी नील क्रॉस ने लिखी है। इस शो में इदरिस अल्बा हीरो थे। यहां हिंदी में रीमेक के वक्त कहानी का जिम्मा उठाया ईशान त्रिवेदी, अब्बास और हुसैन दलाल ने। मेकर्स ने असली कहानी को देसी अंदाज में ढालने पर बखूबी मेहनत की है। बिना वक्त गंवाए डायरेक्टर राजेश मापुस्कर दर्शकों को सीधे कहानी में डुबकी लगवाते हैं। पहले ही फ्रेम से आप डीसीपी रुद्रवीर सिंह के साथ सफर पर निकल पड़ते हैं।
रुद्रवीर सात महीने से सस्पेंड है। उसका सस्पेंशन हटाया जाता है। वह स्पेशल क्राइम यूनिट में अफसर है, जिसकी कमान दीपाली हांडा (अश्विनी कालसेकर) के पास है। पूरे शो में बतौर दर्शक आपको कई बार बताया जाता है कि रुद्रा डिपार्टमेंट का सबसे काबिल अफसर है। वैसे तो हर एपिसोड की एक अलग कहानी है, लेकिन सब कहीं न कहीं जुड़े हुए हैं। ये जुड़े हैं क्रिमिनल साइकोलॉजी से। एपिसोड्स के साथ-साथ रुद्रा की पर्सनल लाइफ की परतें भी खुलती हैं। उसकी निजी जिंदगी भी इस कहानी का अहम हिस्सा है।
शो में जहां एक ओर अपराधी का पीछा हो रहा है, जांच चल रही है, वहीं साथ-साथ रुद्रा की निजी जिंदगी के तार भी बुने गए हैं। शैला (ईशा देओल तख्तानी) के साथ उसकी शादी खुशहाल नहीं है। अपने सीनियर्स और जूनियर्स के साथ रुद्रा के समीकरण भी बहुत अलग हैं। अपनी नौकरी को लेकर उसका अलग पैशन है। वह अपने जुनून के साथ आगे बढ़ता तो है, लेकिन उसे पर्सनल लाइफ में इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। वह तेज-तर्रार है और उसमें खतरनाक अपराधियों के दिमाग की गहराई तक पहुंचने की जिद है। इस कारण कई बार उसकी जान जोखिम में भी रहती है।
शो का पहले ही एपिसोड में आलिया चोकसी (राशि खन्ना) की रुद्रा की जिंदगी में एंट्री होती है। वह एक जबरदस्त लड़की है। उसे स्पेस रिसर्च का जीनियस माना जाता है। लेकिन वह एक डबल मर्डर केस में संदिग्ध आरोपी है। हालांकि, रुद्रा इस केस में आलिया का हाथ साबित करने में शुरुआती तौर पर असफल साबित होता है। इसके बाद के एपिसोड में दोनों के बीच एक दोस्ती भी दिखती है।
मेकर्स ने अनन्या बिरला के डार्क विजुअल टोन और थीम सॉन्ग ‘तेरा इनाम’ से शुरुआत करते हुए इस शो को इंटेन्स बनाया है। एपिसोड्स लंबे हैं, लेकिन आपको बांधे रखते हैं। हर एपिसोड के अंत में आपके अंदर अगले एपिसोड को देखने की चाहत जगती है। जाहिर तौर पर यह सब बढ़िया और कसी हुई स्क्रिप्ट के कारण है।
अजय देवगन ने अपने डिजिटल डेब्यू में छाप छोड़ी है। हालांकि, कई मौकों पर वह ऐसे रोल में नजर आते हैं, जो बड़े पर्दे पर वह अपने लंबे करियर में पहले भी निभा चुके हैं। रुद्रा लार्जर दैन लाइफ वाली इमेज के साथ है। शो में बाकी ऐक्टर्स भी अपने कैरेक्टर के हिसाब से सही लगते हैं।
यह अच्छा है कि मेकर्स ने ऑरिजनल शो को भारतीय दर्शकों के हिसाब से बनाने में मेहनत की है। इससे कनेक्ट बना रहता है। लेकिन बेहतर होता यदि एपिसोड्स की लंबाई थोड़ी छोटी होती, तो इसमें कुछ ऐसे नए केस भी जोड़े जा सकते थे, जो असल सीरीज का हिस्सा नहीं हैं। ऐसे में सीरीज की कहानी और अंत को लेकर दर्शकों के पास कुछ न कुछ बिल्कुल नया भी होता।
ओटीटी पर अजय देवगन (Ajay Devgn) की डेब्यू सीरीज ‘रुद्रा: द ऐज ऑफ डार्कनेस’ (Rudra: The Edge of Darkness) आखिरकार रिलीज हो गई है। कहानी मुंबई पुलिस के स्पेशल क्राइम यूनिट की है। कहानी के केंद्र में डीसीपी रुद्रवीर सिंह हैं, जिसका किरदार अजय देवगन ने निभाया है। रुद्रवीर का दिमाग और काम दोनों जबरदस्त है। वह जुर्म की तह तक पहुंचने के लिए नियमों को तोड़ने से भी परहेज नहीं करता। यही कारण है कि डिपार्टमेंट में कुछ लोग उसे पसंद नहीं करते और इस कारण उसे परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यह साइकोलॉजिकल क्राइम थ्रिलर है, जो आपको एक अलग ही मिस्ट्री ट्रिप पर ले जाती है।
रिव्यू
‘रुद्रा: द ऐज ऑफ डार्कनेस’ बीबीसी की सीरीज ‘लुथर’ का हिंदी रीमेक है। शो में 6 एपिसोड्स हैं। एक लूट और फिर मर्डर मिस्ट्री, ‘रुद्रा’ इसी दिशा में आगे बढ़ती है। वैसे किसी भी थ्रिलर कहानी से दर्शकों को बांधे रखने का कोई सटीक फॉर्मूला नहीं होता। खासकर तब, जब आप किसी दूसरे देश के, दूसरी भाषा के शो को अपने दर्शक के हिसाब से बना रहे हों। ‘रुद्रा: द ऐज ऑफ डार्कनेस’ के मेकर्स ने यहां एक नियम जरूर फॉलो किया है और वह यह जितना संभव हो इसे सरल, सीधा और सहज रखें।
बीबीसी की ऑरिजनल सीरीज की कहानी नील क्रॉस ने लिखी है। इस शो में इदरिस अल्बा हीरो थे। यहां हिंदी में रीमेक के वक्त कहानी का जिम्मा उठाया ईशान त्रिवेदी, अब्बास और हुसैन दलाल ने। मेकर्स ने असली कहानी को देसी अंदाज में ढालने पर बखूबी मेहनत की है। बिना वक्त गंवाए डायरेक्टर राजेश मापुस्कर दर्शकों को सीधे कहानी में डुबकी लगवाते हैं। पहले ही फ्रेम से आप डीसीपी रुद्रवीर सिंह के साथ सफर पर निकल पड़ते हैं।
रुद्रवीर सात महीने से सस्पेंड है। उसका सस्पेंशन हटाया जाता है। वह स्पेशल क्राइम यूनिट में अफसर है, जिसकी कमान दीपाली हांडा (अश्विनी कालसेकर) के पास है। पूरे शो में बतौर दर्शक आपको कई बार बताया जाता है कि रुद्रा डिपार्टमेंट का सबसे काबिल अफसर है। वैसे तो हर एपिसोड की एक अलग कहानी है, लेकिन सब कहीं न कहीं जुड़े हुए हैं। ये जुड़े हैं क्रिमिनल साइकोलॉजी से। एपिसोड्स के साथ-साथ रुद्रा की पर्सनल लाइफ की परतें भी खुलती हैं। उसकी निजी जिंदगी भी इस कहानी का अहम हिस्सा है।
शो में जहां एक ओर अपराधी का पीछा हो रहा है, जांच चल रही है, वहीं साथ-साथ रुद्रा की निजी जिंदगी के तार भी बुने गए हैं। शैला (ईशा देओल तख्तानी) के साथ उसकी शादी खुशहाल नहीं है। अपने सीनियर्स और जूनियर्स के साथ रुद्रा के समीकरण भी बहुत अलग हैं। अपनी नौकरी को लेकर उसका अलग पैशन है। वह अपने जुनून के साथ आगे बढ़ता तो है, लेकिन उसे पर्सनल लाइफ में इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। वह तेज-तर्रार है और उसमें खतरनाक अपराधियों के दिमाग की गहराई तक पहुंचने की जिद है। इस कारण कई बार उसकी जान जोखिम में भी रहती है।
शो का पहले ही एपिसोड में आलिया चोकसी (राशि खन्ना) की रुद्रा की जिंदगी में एंट्री होती है। वह एक जबरदस्त लड़की है। उसे स्पेस रिसर्च का जीनियस माना जाता है। लेकिन वह एक डबल मर्डर केस में संदिग्ध आरोपी है। हालांकि, रुद्रा इस केस में आलिया का हाथ साबित करने में शुरुआती तौर पर असफल साबित होता है। इसके बाद के एपिसोड में दोनों के बीच एक दोस्ती भी दिखती है।
मेकर्स ने अनन्या बिरला के डार्क विजुअल टोन और थीम सॉन्ग ‘तेरा इनाम’ से शुरुआत करते हुए इस शो को इंटेन्स बनाया है। एपिसोड्स लंबे हैं, लेकिन आपको बांधे रखते हैं। हर एपिसोड के अंत में आपके अंदर अगले एपिसोड को देखने की चाहत जगती है। जाहिर तौर पर यह सब बढ़िया और कसी हुई स्क्रिप्ट के कारण है।
अजय देवगन ने अपने डिजिटल डेब्यू में छाप छोड़ी है। हालांकि, कई मौकों पर वह ऐसे रोल में नजर आते हैं, जो बड़े पर्दे पर वह अपने लंबे करियर में पहले भी निभा चुके हैं। रुद्रा लार्जर दैन लाइफ वाली इमेज के साथ है। शो में बाकी ऐक्टर्स भी अपने कैरेक्टर के हिसाब से सही लगते हैं।
यह अच्छा है कि मेकर्स ने ऑरिजनल शो को भारतीय दर्शकों के हिसाब से बनाने में मेहनत की है। इससे कनेक्ट बना रहता है। लेकिन बेहतर होता यदि एपिसोड्स की लंबाई थोड़ी छोटी होती, तो इसमें कुछ ऐसे नए केस भी जोड़े जा सकते थे, जो असल सीरीज का हिस्सा नहीं हैं। ऐसे में सीरीज की कहानी और अंत को लेकर दर्शकों के पास कुछ न कुछ बिल्कुल नया भी होता।