वीर कुंवर सिंह: 1857 के महानायक के सहारे बिहार में क्या हासिल करना चाहती है BJP? समझें पूरा प्लान h3>
1857 में लड़ी गई अग्रेंजी हुकूमत से आजादी की पहली जंग के सबसे बड़े महानायकों में से एक वीर कुंवर सिंह की इन दिनों बिहार की राजनीति में खूब चर्चा हो रही है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) उनकी जयंती पर बिहार के आरा में शनिवार को एक मेगा शो करने जा रही है, जिसकी चर्चा देश में तो हो ही रही है, पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान तक में इसकी गूंज होगी। 80 साल की उम्र में अंग्रेजों के दांत खट्टे करने वाले वीर कुंवर सिंह के जन्मस्थान जगदीशपुर में 75000 तिरंगा फहराकर पाकिस्तान का रिकॉर्ड तोड़ने की तैयारी है। गृहमंत्री और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में इस मेगाशो के सियासी मायने भी तलाशे जा रहे हैं।
वैसे तो हर साल राज्य सरकार की ओर से जगदीशपुर में विजयोत्सव का आयोजन किया जाता रहा है, लेकिन इस बार केंद्र सरकार ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत यहां बड़ा कार्यक्रम करने जा रही है। बीजेपी सरकार की ओर से जिस स्तर पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, सियासी पंडित इसके पीछे भाजपा की मंशा तलाशने की कोशिश में जुटे हैं।
जगदीशपुर आरा लोकसभा सीट के तहत आता है, जहां से अभी केंद्रीय मंत्री आरके सिंह सांसद है। इससे पहले जनता दल यूनाइेट की राजपूत नेता मीणा सिंह और उनके पति अजित सिंह भी प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। आमतौर पर कई बार वीर कुंवर सिंह को राजपूत शासक के तौर पर पेश करते हुए इसे एक जाति को खुश करने के प्रयास के तौर पर पेश किया जाता है। लेकिन भोजपुर में वीर कुंवर सिंह की पहचान एक सर्वसमाज के नेता के तौर पर आज भी स्थापित है। 165 साल बाद भी भोजपुर में उनकी वीरता की गाथा लोकगीतों के माध्यम से घर-घर गूंजती है। आज भी होली और सोहर में उनका जिक्र होता है।
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जानकार बताते हैं कि राष्ट्रवाद और क्षेत्रीय अस्मिता के आधार पर भाजपा वीर कुंवर सिंह की विरासत को अपनाने की कोशिश कर सकती है और इसका उसका बड़ा फायदा हो सकता है। भोजपुर के इलाके में ऐसे लोगों की बड़ी तादात है जो मानते हैं कि वीर कुंवर सिंह के साथ ना तो इतिहासकारों ने पूरा न्याय किया और ना ही आजादी के बाद आई सरकारों ने उन्हें वह सम्मान दिया, जिसके वह हकदार है।
सामाजिक स्तर पर उनकी वीरता और गाथा पूर्वांचल के एक बड़े हिस्से में लोगों के बीच रची-बसी है। ऐसे में यदि भाजपा वीर कुंवर सिंह को राष्ट्रनायक के रूप में पेश करके निश्चित तौर उन लाखों-करोड़ों लोगों को खुश करना चाहती है जो वीर कुंवर सिंह की वीरता और राष्ट्र के प्रति समर्पण को लेकर उनकी पूजा करते हैं। इसे भाजपा की उस रणनीति का भी हिस्सा माना जा रहा है, जिसके तहत वह ऐसे राष्ट्रनायकों से खुद को जोड़कर जमीनी स्तर पर खुद को मजबूत कर रही है। झारखंड में बिरसा मुंडा हों या उत्तर प्रदेस में सुहेलदेव, भाजपा पिछले कुछ सालों में अलग-अलग क्षेत्रों के नायकों की विरासत से खुद को जोड़ने का प्रयास करती दिखती है।
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1857 में लड़ी गई अग्रेंजी हुकूमत से आजादी की पहली जंग के सबसे बड़े महानायकों में से एक वीर कुंवर सिंह की इन दिनों बिहार की राजनीति में खूब चर्चा हो रही है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) उनकी जयंती पर बिहार के आरा में शनिवार को एक मेगा शो करने जा रही है, जिसकी चर्चा देश में तो हो ही रही है, पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान तक में इसकी गूंज होगी। 80 साल की उम्र में अंग्रेजों के दांत खट्टे करने वाले वीर कुंवर सिंह के जन्मस्थान जगदीशपुर में 75000 तिरंगा फहराकर पाकिस्तान का रिकॉर्ड तोड़ने की तैयारी है। गृहमंत्री और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में इस मेगाशो के सियासी मायने भी तलाशे जा रहे हैं।
वैसे तो हर साल राज्य सरकार की ओर से जगदीशपुर में विजयोत्सव का आयोजन किया जाता रहा है, लेकिन इस बार केंद्र सरकार ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत यहां बड़ा कार्यक्रम करने जा रही है। बीजेपी सरकार की ओर से जिस स्तर पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, सियासी पंडित इसके पीछे भाजपा की मंशा तलाशने की कोशिश में जुटे हैं।
जगदीशपुर आरा लोकसभा सीट के तहत आता है, जहां से अभी केंद्रीय मंत्री आरके सिंह सांसद है। इससे पहले जनता दल यूनाइेट की राजपूत नेता मीणा सिंह और उनके पति अजित सिंह भी प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। आमतौर पर कई बार वीर कुंवर सिंह को राजपूत शासक के तौर पर पेश करते हुए इसे एक जाति को खुश करने के प्रयास के तौर पर पेश किया जाता है। लेकिन भोजपुर में वीर कुंवर सिंह की पहचान एक सर्वसमाज के नेता के तौर पर आज भी स्थापित है। 165 साल बाद भी भोजपुर में उनकी वीरता की गाथा लोकगीतों के माध्यम से घर-घर गूंजती है। आज भी होली और सोहर में उनका जिक्र होता है।
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सामाजिक स्तर पर उनकी वीरता और गाथा पूर्वांचल के एक बड़े हिस्से में लोगों के बीच रची-बसी है। ऐसे में यदि भाजपा वीर कुंवर सिंह को राष्ट्रनायक के रूप में पेश करके निश्चित तौर उन लाखों-करोड़ों लोगों को खुश करना चाहती है जो वीर कुंवर सिंह की वीरता और राष्ट्र के प्रति समर्पण को लेकर उनकी पूजा करते हैं। इसे भाजपा की उस रणनीति का भी हिस्सा माना जा रहा है, जिसके तहत वह ऐसे राष्ट्रनायकों से खुद को जोड़कर जमीनी स्तर पर खुद को मजबूत कर रही है। झारखंड में बिरसा मुंडा हों या उत्तर प्रदेस में सुहेलदेव, भाजपा पिछले कुछ सालों में अलग-अलग क्षेत्रों के नायकों की विरासत से खुद को जोड़ने का प्रयास करती दिखती है।