विश्व पक्षी दिवस विशेष- परवाज, हर साल आते हैं सौ प्रजातियों के पक्षी, गिद्ध रूस-चीन तक उड़े | World Bird Day Special 2022 | Patrika News h3>
25 गिद्धों को लगाए गए थे जीपीएस टैग
पन्ना- पन्ना नेशनल पार्क में गिद्धों की चार प्रजातियां स्थानीय हैं। शेष तीन प्रजातियों के गिद्ध प्रवासी World Bird Day Special 2022 हैं। गिद्ध दुनिया की प्राचीनतम पक्षियों की प्रजातियों में से एक है। इनके संरक्षण की योजना के तहत पन्ना में फरवरी 2022 में 25 गिद्धों को सौर ऊर्जा चलित जीपीएस टैग लगाए गए थे। इसमें थ्रीडी सेंसर शामिल हैं। इन्हें जीपीएस डेटा उपग्रह के माध्यम से ट्रैक किया जा रहा है। इसमें पता चला कि प्रवासी प्रजातियों के गिद्ध रूस, चीन, पाकिस्तान, उजबेकिस्तान, कजाकिस्तान और नेपाल सहित कई देशों का सफर कर चुके हैं।
पन्ना में टैग किए गए दो यूरेशियन गिद्धों (ईजी 8643) World Bird Day Special 2022 को अप्रैल में उज्बेकिस्तान में व दूसरे (ईजी 8661) को कजाकिस्तान में पाया गया था। जिन आठ हिमालयन गिद्धों को जीपीएस टैग किया था, उन्हें जून में चीन के वर्तमान स्वात्त क्षेत्र युशु में पाया गया। हिमालयन ग्रिफिन एचजी 8673 अपे्रल में चीन के तिब्बत क्षेत्र के शिगात्से शहर के पास था।
पाक गया, लौटा…और फिर गया
इससे पहले अप्रैल में इजी 8661 पाकिस्तान गया और फिर मध्यप्रदेश आया। इसके बाद वह फिर पाकिस्तान चला गया था। अप्रैल में पाया गया कि टैग किए गए चार गिद्ध में दो हिमालय पर्वत स्थित मांउट एवरेस्ट के दूसरी ओर चीन के तिब्बत के पठारी क्षेत्र में डेरा World Bird Day Special 2022 डाले हुए थे। एक कारोकोरम रेंज नेपाल में और एक चीन के तिब्बत क्षेत्र के पास उइघुर में है।
आर्कटिक टर्न करता है 20 हजार किमी का सफर
वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट व एनटीसीए प्रतिनिधि इंद्रभान सिंह बुंदेला बताते हैं कि ठंड के दिनों में उत्तरी धु्रव के देशों रूस, यूरोप, चीन, यूरेशिया, साइबेरिया में ठंड अधिक होने से पक्षी अनुकूल मौसम और भोजन की तलाश में हजारों किलोमीटर का सफर कर अनुकूल दक्षिण धु्रव के देशों में आते हैं। इनमें सबसे अधिक दूर से आर्कटिक टर्न पक्षी प्रवास करता है। यह अपने प्रवास के सफर में करीब 20 हजार किलो मीटर की दूरी तय करता है।
सात हजार वेटलैंड और नदियों-खेतों में बीतता है वक्त
भोपाल- मध्यप्रदेश में प्रवासी पक्षी पहले अक्टूबर में प्रवेश करते थे। ग्लोबल वार्मिंग के चलते जैसे-जैसे मौसम में बदलाव हुआ तो ये अपना टाइम बढ़ाने लगे। अब ये नवम्बर तक यहां आते हैं। इनमें ज्यादातर तक पक्षी बतख प्रजाति के होते हैं। सभी प्रवासी पक्षी झुंड में आते हैं और झुंड में निकल जाते हैं। प्रदेश में करीब 7 हजार से अधिक वेटलैंड के अलावा खेतों को भी ये कुछ समय के लिए अपना ठिकाना बनाते हैं।
विदेशी प्रवासी पक्षी यहां लाखों की संख्या में आते हैं, लेकिन इनसे स्थानीय प्रजातियों के रहवास-विकास में खलल नहीं पड़ता। प्रवासी पक्षियों में मुख्यत: रसिया यूरेसिया से रेडक्रेस्टडेड पोचार्ड, कामन पोटार्ड, यूरेसियन विजन, वारहेडेडगीज, ब्लैकरेड स्टाट, ब्यूथ्रोट, जबकि ऑस्ट्रेलिया, अमरीका से पेंटेड, स्नाइप, रफ प्रजाति के पक्षी आते हैं।
तेरह सौ हैं स्थानीय पक्षियों की प्रजातियां
भारत में पक्षियों की 1300 स्थानीय प्रजातियां हैं। ये अपना-अपना एरिया तय कर यहां रहते हैं। तीन से चार सौ पक्षी ही एक राज्य से दूसरे राज्य में सफर करते हैं। पक्षी विशेषज्ञ मो. खालिक कहते हैं, मध्यप्रदेश में प्रवासी पक्षियों के लिए बेहतर माहौल है। वे यहां चार से पांच महीने के लिए आते हैं। 80 से 100 पक्षियों की प्रजातियां प्रदेश में प्रति वर्ष आती हैं। इनका दायरा गांव के वेटलैंड तक होता है।
सेंटर एशियन फ्लाइवे मुख्य रूट
प्रवासी पक्षियों का सेंटर एशियन फ्लाइवे मुख्य रूट है। इनकी दो तरह से देश में एंट्री होती है। पहली एंट्री कश्मीर की तरफ से होती है तो दूसरी एंट्री पाकिस्तान की तरफ से होते हुए पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ तक रहती है। बाद में इसी रूट से ये वापस लौटते हैं।
25 गिद्धों को लगाए गए थे जीपीएस टैग
पन्ना- पन्ना नेशनल पार्क में गिद्धों की चार प्रजातियां स्थानीय हैं। शेष तीन प्रजातियों के गिद्ध प्रवासी World Bird Day Special 2022 हैं। गिद्ध दुनिया की प्राचीनतम पक्षियों की प्रजातियों में से एक है। इनके संरक्षण की योजना के तहत पन्ना में फरवरी 2022 में 25 गिद्धों को सौर ऊर्जा चलित जीपीएस टैग लगाए गए थे। इसमें थ्रीडी सेंसर शामिल हैं। इन्हें जीपीएस डेटा उपग्रह के माध्यम से ट्रैक किया जा रहा है। इसमें पता चला कि प्रवासी प्रजातियों के गिद्ध रूस, चीन, पाकिस्तान, उजबेकिस्तान, कजाकिस्तान और नेपाल सहित कई देशों का सफर कर चुके हैं।
पन्ना में टैग किए गए दो यूरेशियन गिद्धों (ईजी 8643) World Bird Day Special 2022 को अप्रैल में उज्बेकिस्तान में व दूसरे (ईजी 8661) को कजाकिस्तान में पाया गया था। जिन आठ हिमालयन गिद्धों को जीपीएस टैग किया था, उन्हें जून में चीन के वर्तमान स्वात्त क्षेत्र युशु में पाया गया। हिमालयन ग्रिफिन एचजी 8673 अपे्रल में चीन के तिब्बत क्षेत्र के शिगात्से शहर के पास था।
पाक गया, लौटा…और फिर गया
इससे पहले अप्रैल में इजी 8661 पाकिस्तान गया और फिर मध्यप्रदेश आया। इसके बाद वह फिर पाकिस्तान चला गया था। अप्रैल में पाया गया कि टैग किए गए चार गिद्ध में दो हिमालय पर्वत स्थित मांउट एवरेस्ट के दूसरी ओर चीन के तिब्बत के पठारी क्षेत्र में डेरा World Bird Day Special 2022 डाले हुए थे। एक कारोकोरम रेंज नेपाल में और एक चीन के तिब्बत क्षेत्र के पास उइघुर में है।
आर्कटिक टर्न करता है 20 हजार किमी का सफर
वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट व एनटीसीए प्रतिनिधि इंद्रभान सिंह बुंदेला बताते हैं कि ठंड के दिनों में उत्तरी धु्रव के देशों रूस, यूरोप, चीन, यूरेशिया, साइबेरिया में ठंड अधिक होने से पक्षी अनुकूल मौसम और भोजन की तलाश में हजारों किलोमीटर का सफर कर अनुकूल दक्षिण धु्रव के देशों में आते हैं। इनमें सबसे अधिक दूर से आर्कटिक टर्न पक्षी प्रवास करता है। यह अपने प्रवास के सफर में करीब 20 हजार किलो मीटर की दूरी तय करता है।
सात हजार वेटलैंड और नदियों-खेतों में बीतता है वक्त
भोपाल- मध्यप्रदेश में प्रवासी पक्षी पहले अक्टूबर में प्रवेश करते थे। ग्लोबल वार्मिंग के चलते जैसे-जैसे मौसम में बदलाव हुआ तो ये अपना टाइम बढ़ाने लगे। अब ये नवम्बर तक यहां आते हैं। इनमें ज्यादातर तक पक्षी बतख प्रजाति के होते हैं। सभी प्रवासी पक्षी झुंड में आते हैं और झुंड में निकल जाते हैं। प्रदेश में करीब 7 हजार से अधिक वेटलैंड के अलावा खेतों को भी ये कुछ समय के लिए अपना ठिकाना बनाते हैं।
विदेशी प्रवासी पक्षी यहां लाखों की संख्या में आते हैं, लेकिन इनसे स्थानीय प्रजातियों के रहवास-विकास में खलल नहीं पड़ता। प्रवासी पक्षियों में मुख्यत: रसिया यूरेसिया से रेडक्रेस्टडेड पोचार्ड, कामन पोटार्ड, यूरेसियन विजन, वारहेडेडगीज, ब्लैकरेड स्टाट, ब्यूथ्रोट, जबकि ऑस्ट्रेलिया, अमरीका से पेंटेड, स्नाइप, रफ प्रजाति के पक्षी आते हैं।
तेरह सौ हैं स्थानीय पक्षियों की प्रजातियां
भारत में पक्षियों की 1300 स्थानीय प्रजातियां हैं। ये अपना-अपना एरिया तय कर यहां रहते हैं। तीन से चार सौ पक्षी ही एक राज्य से दूसरे राज्य में सफर करते हैं। पक्षी विशेषज्ञ मो. खालिक कहते हैं, मध्यप्रदेश में प्रवासी पक्षियों के लिए बेहतर माहौल है। वे यहां चार से पांच महीने के लिए आते हैं। 80 से 100 पक्षियों की प्रजातियां प्रदेश में प्रति वर्ष आती हैं। इनका दायरा गांव के वेटलैंड तक होता है।
सेंटर एशियन फ्लाइवे मुख्य रूट
प्रवासी पक्षियों का सेंटर एशियन फ्लाइवे मुख्य रूट है। इनकी दो तरह से देश में एंट्री होती है। पहली एंट्री कश्मीर की तरफ से होती है तो दूसरी एंट्री पाकिस्तान की तरफ से होते हुए पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ तक रहती है। बाद में इसी रूट से ये वापस लौटते हैं।