विपक्षी एकता की बैठक से पहले नालंदा पहुंची महबूबा मुफ्ती, किंग ऑफ कश्मीर के मजार पर की चादरपोशी

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विपक्षी एकता की बैठक से पहले नालंदा पहुंची महबूबा मुफ्ती, किंग ऑफ कश्मीर के मजार पर की चादरपोशी

विपक्षी एकता की बैठक से पहले नालंदा पहुंची महबूबा मुफ्ती, किंग ऑफ कश्मीर के मजार पर की चादरपोशी

Nalanda: विपक्षी एकता की बैठक से पहले जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती नालंदा पहुंचीं। किंग ऑफ कश्मीर नाम से विख्यात सुल्तान युसुफ शाह चक के मजार पर उन्होंने चादरपोशी की। कश्मीर की सियासत में कश्मीरीचक के पूर्वजों से लंबे समय से नाता रहा।

 

नालंदा: पटना में 23 जून को आयोजित होने वाले विपक्षी एकता की बैठक में भाग लेने के पहले गुरुवार को जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती नालंदा पहुंचीं। पटना से सीधे नालंदा के इस्लामपुर प्रखंड की बेशवक पंचायत के कश्मीरीचक गांव पहुंची। वहां महबूबा मुफ्ती ने किंग ऑफ कश्मीर नाम से विख्यात सुल्तान युसुफ शाह चक के मजार पर चादरपोशी की। इस्लामपुर के कश्मीरीचक से जम्मू-कश्मीर के राजाओं का लगाव रहा है। कश्मीर की सियासत में कश्मीरीचक के पूर्वजों से लंबे समय से नाता रहा। यही कारण है कि महबूबा मुफ्ती कश्मीचक पहुंचकर पूर्वजों की यादों को ताजा किया। उनके मजार पर चादरपोशी कर दुआ मांगी। जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और दिग्गगज नेता फारूख अब्दुला का भी कश्मीरीचक की धरती से अटूट संबंध है। उनके पिता शेख अब्दुला का जन्म कश्मीरीचक में हुआ था। शेख अब्दुला और उनके पूर्वजों के भी कश्मीरीचक में मजार हैं। वर्तमान में एकंगरसराय और इस्लामपुर के बीच शेख अब्दुला के नाम से रोड भी है। यही रोड कश्मीरीचक तक होते हुए बेशवक गांव जाता है।

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इस्लामपुर के कश्मीरीचक आते हैं कश्मीर के लोग

नालंदा जिले के इस्लामपुर से आज़ाद कश्मीर के आखिरी शासक युसूफ शाह का इतिहास जुड़ा हुआ है। अपनी जिंदगी के आखिरी लम्हे उन्होंने इस्लामपुर में ही बिताया और यहीं के होकर रह गए। कश्मीरी चक में 400 साल पहले का इतिहास दफन है। इस बात को शासक युसूफ शाह का मकबरा प्रमाणित करता है। कश्मीर के बाद युसूफ शाह ने इस्लामपुर का रुख किया। उनकी पत्नी हब्बा खातून ने भी अपनी ज़िंदगी का आखिरी लम्हा यहीं गुजारा। युसूफ शाह चक और उनकी पत्नी हब्बा खातून का इस्लामपुर प्रखंड के बेशवक गांव में ही मकबरा है। स्थानीय लोगों की माने तो शासक युसूफ शाह कश्मीर से ताल्लुक रखते थे और उनके नाम के आखिर में चक लगा हुआ है। इसलिए बेशवक गांव के पहले एक गांव है उस गांव नाम कश्मीरीचक रखा गया।

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1977 में आए थे शेख अब्दुल्ला

मुगल शासक अकबर से रिहाई मिलने के बाद युसूफ शाह ने इस्लामपुर (नालंदा) की तरफ रुख किया। कश्मीरीचक नाम से एक नगर बसाया। इसके बाद वे यहीं के होकर रह गए। गौरतलब है कि इस्लामपुर से शेख अब्दुल्ला रोड होते हुए बेशवक का रास्ता गुजरता है। 19 जनवरी 1977 को राज्य की कल्चरल एकेडमी की टीम के साथ जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला बेशवक आए थे।

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