विधानसभा चुनाव से पहले हुआ राजस्थान में जाट महाकुंभ, सियासी चर्चाओं के बीच जानिए किसे मिलेगा फायदा
एक सुर में उठी जाट मुख्यमंत्री की मांग
राजस्थान में जाटों की आबादी करीब 22 फीसदी है। हर बार के चुनावों में बड़ी संख्या में जाट समाज के विधायक चुनाव जीतते आतें हैं। इसके बावजूद भी आजादी के बाद से लेकर अब तक राजस्थान में जाट मुख्यमंत्री नहीं बना। इस जाट महाकुंभ के जरिए जाट मुख्यमंत्री की मांग प्रमुख रूप से उठाई गई। सरकार बनाने में जाट समाज के विधायकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वर्तमान में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही बड़ी पार्टियों के प्रदेशाध्यक्ष जाट समाज से हैं। जाट समाज के विधायक हर बार मंत्रीमंडल में शामिल होते हैं लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी तक आज तक नहीं पहुंच पाए। अब विद्याधर नगर स्टेडियम में हुए जाट महाकुंभ में सभी नेताओं ने एक सुर में यह मांग उठाई कि प्रदेश मे जाट मुख्यमंत्री होना चाहिए। अब इससे कम कुछ भी मंजूर नहीं है।
जाट का बेटा होना चाहिए मुख्यमंत्री – रामेश्वर डूडी
पूर्व नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता रामेश्वर डूडी ने जाट महाकुंभ में जाट सीएम की मांग खुलकर उठाई। डूडी ने कहा कि राजनीति में लोगों को जाट मुख्यमंत्री की बात करते हुए डर लगता है लेकिन उन्हें किसी का डर नहीं लगता। उन्होंने कहा कि राजस्थान में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों में किसान का बेटा और जाट का बेटा ही मुख्यमंत्री होना चाहिए। अपनी बात कहते हुए पहले भी अपनी पार्टी के लोगों से लड़े हैं। अगर समाज की आन बान और शान की बात आएगी तो वे आगे भी लड़ेंगे।
मेरे लिए समाज पहले है, पार्टी बाद में – डोटासरा
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि उनके लिए उनका जाट समाज पहले है और पार्टी बाद में। आज कांग्रेस में वे जिस पद पर हैं, वह समाज के लोगों के आशीर्वाद से ही है। समाज के लोगों ने उनका साथ दिया। इसी वजह से वे पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष पद तक पहुंचे हैं। डोटासरा ने कहा कि पार्टी की अपनी विचारधारा है लेकिन वे पार्टी की विचारधारा के साथ जाट समाज की मांग के समर्थन में है। सरकार में रहते हुए जो भी काम उनके हो सकेगा, उनमें वे समाज के लोगों को कभी खाली हाथ नहीं भेजेंगे।
बड़ी ताकत बनकर समाज और देश को आगे ले जाएंगे जाट – सतीश पूनिया
बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि प्रदेश में जाट इतनी संख्या में हो सत्ता को बनाने और उखाड़ने की हिम्मत रखते हैं। अब समय आ गया है जब हम सब को एकजुट होने की जरूरत है। पूरी कौम को एकजुट होकर समाज और देश को आगे ले जाने की जरूरत है। पूनिया ने कहा कि हमें समाजिक एकता की ताकत दिखानी है लेकिन किसी भी समाज के प्रति द्वेषता का भाव नहीं रखना है। सब को साथ लेकर चलेंगे तभी आगे बढेंगे।
राजनैतिक दलों की चिंता, जाटों को कैसे रिझाएं
जाट महाकुंभ में समाज की ओर से तीन मांगें प्रमुखता से उठाई गई। पहली जातिगत जनगणना हो, दूसरा ओबीसी का आरक्षण 21 फीसदी से बढाकर 27 फीसदी करने और तीसरी जाट मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांगें रखी गई है। अब राजनैतिक दलों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही राजनैतिक पार्टियां जातिगत जनगणना के लिए ना तो मना कर सकते और ना ही खुलकर समर्थन कर सकते क्योंकि जातिगत जनगणना से दूसरे समाज के लोग नाराज हो जाएंगे। आरक्षण का कोटा बढाने का ऐलान करना राजनैतिक दलों के लिए आसान नहीं है और जाट मुख्यमंत्री की बात खुलकर कोई भी पार्टी नहीं करना चाहती। बीजेपी और कांग्रेस यह चाहतें हैं कि जाट समाज उनका समर्थन करें लेकिन समाज की मांगों के लेकर दोनों ही दल भंवरजाल में फंसे हुए हैं। अब देखना यह है कि आगामी चुनावों के दौरान जाट समाज का रुख क्या रहता है। (रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़, जयपुर)
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