वित्त वर्ष 2024-25 में इंडस्ट्रियल ग्रोथ 4% रही: सालाना आधार पर 1.9% कम हुई; मार्च में माइनिंग सेक्टर के खराब परफॉर्मेंस के कारण 3% पर पहुंची h3>
मुंबई11 मिनट पहले
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फरवरी में इंडस्ट्रियल ग्रोथ 2.9% पर थी।
मार्च में इंडस्ट्रियल ग्रोथ 3% पर आ गई है। फरवरी में ये 2.9% पर थी, जो 6 महीने का निचला स्तर था। मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर के खराब परफॉर्मेंस के कारण इंडस्ट्रियल ग्रोथ कम हुई है। मैन्युफैक्चरिंग का IIP में तीन-चौथाई से ज्यादा का योगदान है।
मार्च में भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का आउटपुट 3% रहा, जबकि पिछले साल इसी महीने में ये 5.9% था। वहीं माइनिंग सेक्टर के उत्पादन में मार्च में 0.4% की ग्रोथ देखी गई, जो पिछले साल की समान अवधि में 1.3% थी। इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर में मार्च में 6.3% की ग्रोथ हुई। पिछले साल इसी महीने में इसमें 8.6% की ग्रोथ दर्ज की गई थी।
वित्त वर्ष 2024-25 में इंडस्ट्रियल ग्रोथ 4% रही FY25 में भारत की इंडस्ट्रियल ग्रोथ 4% रही,ये पिछले वित्त वर्ष में 5.9% थी। यानी साला आधार पर इंडस्ट्रियल ग्रोथ करीब 1.9% कम हुई है।
फरवरी की तुलना में मार्च में सेक्टर वाइज इंडस्ट्रियल ग्रोथ:
- मैन्युफैक्चरिंग: फरवरी में 2.9% पर थी जो मार्च में 3% पर आ गई।
- माइनिंग: फरवरी में ये 1.6% पर थी जो मार्च में 0.4% पर आ गई।
- इलेक्ट्रिसिटी: फरवरी में 3.6% पर थी जो मार्च में 6.3% पर आ गई।
- प्राइमरी गुड्स: फरवरी में 2.8% पर थी जो मार्च में 3.1% पर आ गई।
- कैपिटल गुड्स: फरवरी में घटकर 9% पर थी जो मार्च में घटकर 2.4% पर आ गई।
- इंटरमीडिएट गुड्स: फरवरी में 1.4% पर थी जो मार्च में बढ़कर 2.3% पर आ गई।
- इंफ्रास्ट्रक्चर गुड्स: फरवरी में 6.4% पर थी जो मार्च में बढ़कर 8.8% पर आ गई।
- कंज्यूमर ड्यूरेबल गुड्स: फरवरी में 3.9% पर थी जो मार्च में बढ़कर 6.6% पर आ गई।
- कंज्यूमर नॉन ड्यूरेबल गुड्स: फरवरी में −1.8% हो गई थी जो मार्च में -4.7% पर आ गई।
इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (IIP) क्या है?
जैसा कि नाम से ही जाहिर है, उद्योगों के उत्पादन के आंकड़े को औद्योगिक उत्पादन कहते हैं। इसमें तीन बड़े सेक्टर शामिल किए जाते हैं। पहला है- मैन्युफैक्चरिंग, यानी उद्योगों में जो बनता है, जैसे गाड़ी, कपड़ा, स्टील, सीमेंट जैसी चीजें।
दूसरा है- खनन, जिससे मिलता है कोयला और खनिज। तीसरा है- यूटिलिटिज यानी जन सामान्य के लिए इस्तेमाल होने वाली चीजें। जैसे- सड़कें, बांध और पुल। ये सब मिलकर जितना भी प्रॉडक्शन करते हैं, उसे औद्योगिक उत्पादन कहते हैं।
इसे नापा कैसे जाता है?
IIP औद्योगिक उत्पादन को नापने की इकाई है- इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन। इसके लिए 2011-12 का आधार वर्ष तय किया गया है। यानी 2011-12 के मुकाबले अभी उद्योगों के उत्पादन में जितनी तेजी या कमी होती है, उसे IIP कहा जाता है।
इस पूरे IIP का 77.63% हिस्सा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से आता है। इसके अलावा बिजली, स्टील, रिफाइनरी, कच्चा तेल, कोयला, सीमेंट, प्राकृतिक गैस और फर्टिलाइजर- इन आठ बड़े उद्योगों के उत्पादन का सीधा असर IIP पर दिखता है।
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फरवरी में इंडस्ट्रियल ग्रोथ 2.9% पर थी।
मार्च में इंडस्ट्रियल ग्रोथ 3% पर आ गई है। फरवरी में ये 2.9% पर थी, जो 6 महीने का निचला स्तर था। मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर के खराब परफॉर्मेंस के कारण इंडस्ट्रियल ग्रोथ कम हुई है। मैन्युफैक्चरिंग का IIP में तीन-चौथाई से ज्यादा का योगदान है।
मार्च में भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का आउटपुट 3% रहा, जबकि पिछले साल इसी महीने में ये 5.9% था। वहीं माइनिंग सेक्टर के उत्पादन में मार्च में 0.4% की ग्रोथ देखी गई, जो पिछले साल की समान अवधि में 1.3% थी। इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर में मार्च में 6.3% की ग्रोथ हुई। पिछले साल इसी महीने में इसमें 8.6% की ग्रोथ दर्ज की गई थी।
वित्त वर्ष 2024-25 में इंडस्ट्रियल ग्रोथ 4% रही FY25 में भारत की इंडस्ट्रियल ग्रोथ 4% रही,ये पिछले वित्त वर्ष में 5.9% थी। यानी साला आधार पर इंडस्ट्रियल ग्रोथ करीब 1.9% कम हुई है।
फरवरी की तुलना में मार्च में सेक्टर वाइज इंडस्ट्रियल ग्रोथ:
- मैन्युफैक्चरिंग: फरवरी में 2.9% पर थी जो मार्च में 3% पर आ गई।
- माइनिंग: फरवरी में ये 1.6% पर थी जो मार्च में 0.4% पर आ गई।
- इलेक्ट्रिसिटी: फरवरी में 3.6% पर थी जो मार्च में 6.3% पर आ गई।
- प्राइमरी गुड्स: फरवरी में 2.8% पर थी जो मार्च में 3.1% पर आ गई।
- कैपिटल गुड्स: फरवरी में घटकर 9% पर थी जो मार्च में घटकर 2.4% पर आ गई।
- इंटरमीडिएट गुड्स: फरवरी में 1.4% पर थी जो मार्च में बढ़कर 2.3% पर आ गई।
- इंफ्रास्ट्रक्चर गुड्स: फरवरी में 6.4% पर थी जो मार्च में बढ़कर 8.8% पर आ गई।
- कंज्यूमर ड्यूरेबल गुड्स: फरवरी में 3.9% पर थी जो मार्च में बढ़कर 6.6% पर आ गई।
- कंज्यूमर नॉन ड्यूरेबल गुड्स: फरवरी में −1.8% हो गई थी जो मार्च में -4.7% पर आ गई।
इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (IIP) क्या है?
जैसा कि नाम से ही जाहिर है, उद्योगों के उत्पादन के आंकड़े को औद्योगिक उत्पादन कहते हैं। इसमें तीन बड़े सेक्टर शामिल किए जाते हैं। पहला है- मैन्युफैक्चरिंग, यानी उद्योगों में जो बनता है, जैसे गाड़ी, कपड़ा, स्टील, सीमेंट जैसी चीजें।
दूसरा है- खनन, जिससे मिलता है कोयला और खनिज। तीसरा है- यूटिलिटिज यानी जन सामान्य के लिए इस्तेमाल होने वाली चीजें। जैसे- सड़कें, बांध और पुल। ये सब मिलकर जितना भी प्रॉडक्शन करते हैं, उसे औद्योगिक उत्पादन कहते हैं।
इसे नापा कैसे जाता है?
IIP औद्योगिक उत्पादन को नापने की इकाई है- इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन। इसके लिए 2011-12 का आधार वर्ष तय किया गया है। यानी 2011-12 के मुकाबले अभी उद्योगों के उत्पादन में जितनी तेजी या कमी होती है, उसे IIP कहा जाता है।
इस पूरे IIP का 77.63% हिस्सा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से आता है। इसके अलावा बिजली, स्टील, रिफाइनरी, कच्चा तेल, कोयला, सीमेंट, प्राकृतिक गैस और फर्टिलाइजर- इन आठ बड़े उद्योगों के उत्पादन का सीधा असर IIP पर दिखता है।
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