विकसित भारत के लिए वित्तीय साक्षरता जरूरी : प्रो. गुप्ता h3>
दरभंगा में आयोजित एक राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रो. डीपी गुप्ता ने कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए वित्तीय साक्षरता पर ध्यान देना आवश्यक है। केवल 27 प्रतिशत भारतीय वित्तीय साक्षर हैं, जो…
Newswrap हिन्दुस्तान, दरभंगाMon, 30 Sep 2024 04:36 PM
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दरभंगा। भारतवर्ष को विकसित राष्ट्र बनाना है तो साक्षरता दर की तुलना में वित्तीय साक्षरता दर पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। देश में केवल 27 प्रतिशत भारतीय ही वित्तीय साक्षर की श्रेणी में शामिल हैं। यह स्थिति चिंतनीय है। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर वाणिज्य व व्यवसाय प्रशासन विभाग के सभागार में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष सह निदेशक प्रो. डीपी गुप्ता ने ये बातें कही। आर्थिक सशक्तीकरण में वित्तीय साक्षरता की भूमिका विषयक राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित करते हुए प्रो. गुप्ता ने कहा कि वित्तीय साक्षरता व्यक्ति को वित्तीय रूप से सुरक्षित रहने में मदद करती है। वित्तीय साक्षरता से व्यक्ति अपने वित्तीय लक्ष्यों को हासिल कर सकता है और वित्तीय समस्याओं से बच सकता है। वित्तीय साक्षरता से व्यक्ति को सूचित वित्तीय निर्णय लेने में मदद मिलती है। वित्तीय साक्षरता व्यक्ति को वित्तीय तनाव और चिंता से बचाता है। यह व्यक्ति को जोखिम प्रबंधन, निवेश की योजना बनाने, बजट बनाने, बचत की योजना बनाने, धैर्य विकसित करने, विश्लेषणात्मक कौशल आदि में महारत हासिल करने में मदद करता है। वित्तीय साक्षरता से व्यक्ति को अर्थव्यवस्था में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। अंतत: वित्तीय साक्षरता से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है और सामाजिक-आर्थिक गतिशीलता बढ़ती है।
सोमवार को स्नातकोत्तर स्तर के वाणिज्य एवं प्रबंध के छात्रों के साथ-साथ विभाग के शोधार्थियों को लक्षित कर इस सेमिनार का आयोजन किया गया। विभागीय वरिष्ठ शिक्षक व पूर्व विभागाध्यक्ष सह निदेशक प्रो. बीबीएल दास के स्वागत उद्बोधन के बाद अतिथि शिक्षक डॉ. एसके झा ने सेमिनार का विषय प्रवर्तन कराया। साधन सेवी ई. कुमार अरस्तु ने महिलाओं की वित्तीय अनिवार्यता पर प्रकाश डाला। डॉ. ललित शर्मा ने वैयक्तिक वित्त के विभिन्न पहलुओं से सभी को अवगत कराया।
सेमिनार में शाहजहांपुर, मध्य प्रदेश से जुड़े डॉ. सुनील आडवाणी ने वित्तीय साक्षरता के विभिन्न आयामों की चर्चा की। मुख्य अतिथि सीएम कॉलेज के सेवानिवृत्त पूर्व प्राचार्य डॉ. एके पोद्दार ने भारतीय वित्तीय बाज़ार में खुदरा निवेशकर्ताओं के लिए किए और न किए जाने वाली निवेश पर ध्यान आकृष्ट कराया। सेमिनार का संचालन विभागीय शिक्षिका डॉ. निर्मला कुशवाहा ने तथा धन्यवाद ज्ञापन एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. दिवाकर झा ने किया। सेमिनार में कुल 112 प्रतिभागियों ने भाग लिया जिनमें 18 प्रतिभागियों ने अपने शोध पत्रों का वाचन किया। सेमिनार की सफलता में विभागीय शिक्षक डॉ. एस ठाकुर, श्याम कुमार एवं शोधार्थियों के अलावा शिक्षकेतर कर्मचारियों का योगदान सराहनीय रहा।
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दरभंगा में आयोजित एक राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रो. डीपी गुप्ता ने कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए वित्तीय साक्षरता पर ध्यान देना आवश्यक है। केवल 27 प्रतिशत भारतीय वित्तीय साक्षर हैं, जो…
दरभंगा। भारतवर्ष को विकसित राष्ट्र बनाना है तो साक्षरता दर की तुलना में वित्तीय साक्षरता दर पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। देश में केवल 27 प्रतिशत भारतीय ही वित्तीय साक्षर की श्रेणी में शामिल हैं। यह स्थिति चिंतनीय है। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर वाणिज्य व व्यवसाय प्रशासन विभाग के सभागार में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष सह निदेशक प्रो. डीपी गुप्ता ने ये बातें कही। आर्थिक सशक्तीकरण में वित्तीय साक्षरता की भूमिका विषयक राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित करते हुए प्रो. गुप्ता ने कहा कि वित्तीय साक्षरता व्यक्ति को वित्तीय रूप से सुरक्षित रहने में मदद करती है। वित्तीय साक्षरता से व्यक्ति अपने वित्तीय लक्ष्यों को हासिल कर सकता है और वित्तीय समस्याओं से बच सकता है। वित्तीय साक्षरता से व्यक्ति को सूचित वित्तीय निर्णय लेने में मदद मिलती है। वित्तीय साक्षरता व्यक्ति को वित्तीय तनाव और चिंता से बचाता है। यह व्यक्ति को जोखिम प्रबंधन, निवेश की योजना बनाने, बजट बनाने, बचत की योजना बनाने, धैर्य विकसित करने, विश्लेषणात्मक कौशल आदि में महारत हासिल करने में मदद करता है। वित्तीय साक्षरता से व्यक्ति को अर्थव्यवस्था में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। अंतत: वित्तीय साक्षरता से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है और सामाजिक-आर्थिक गतिशीलता बढ़ती है।
सोमवार को स्नातकोत्तर स्तर के वाणिज्य एवं प्रबंध के छात्रों के साथ-साथ विभाग के शोधार्थियों को लक्षित कर इस सेमिनार का आयोजन किया गया। विभागीय वरिष्ठ शिक्षक व पूर्व विभागाध्यक्ष सह निदेशक प्रो. बीबीएल दास के स्वागत उद्बोधन के बाद अतिथि शिक्षक डॉ. एसके झा ने सेमिनार का विषय प्रवर्तन कराया। साधन सेवी ई. कुमार अरस्तु ने महिलाओं की वित्तीय अनिवार्यता पर प्रकाश डाला। डॉ. ललित शर्मा ने वैयक्तिक वित्त के विभिन्न पहलुओं से सभी को अवगत कराया।
सेमिनार में शाहजहांपुर, मध्य प्रदेश से जुड़े डॉ. सुनील आडवाणी ने वित्तीय साक्षरता के विभिन्न आयामों की चर्चा की। मुख्य अतिथि सीएम कॉलेज के सेवानिवृत्त पूर्व प्राचार्य डॉ. एके पोद्दार ने भारतीय वित्तीय बाज़ार में खुदरा निवेशकर्ताओं के लिए किए और न किए जाने वाली निवेश पर ध्यान आकृष्ट कराया। सेमिनार का संचालन विभागीय शिक्षिका डॉ. निर्मला कुशवाहा ने तथा धन्यवाद ज्ञापन एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. दिवाकर झा ने किया। सेमिनार में कुल 112 प्रतिभागियों ने भाग लिया जिनमें 18 प्रतिभागियों ने अपने शोध पत्रों का वाचन किया। सेमिनार की सफलता में विभागीय शिक्षक डॉ. एस ठाकुर, श्याम कुमार एवं शोधार्थियों के अलावा शिक्षकेतर कर्मचारियों का योगदान सराहनीय रहा।