वसुंधरा खेमे के नेता बन सकते हैं मंत्री, बोर्ड चेयरमैन: सराफ-परनामी मजबूत दावेदार; राजेंद्र राठौड़, कांग्रेस से आए कटारिया-यादव भी दौड़ में – Jaipur News h3>
राजस्थान में जल्द ही राजनीतिक नियुक्तियां हो सकती हैं। इन नियुक्तियों में वसुंधरा राजे कैंप के विधायकों-पूर्व विधायकों को तवज्जो देने की चर्चा है। इसकी वजह बताई जा रही है कि पार्टी आलाकमान गुटबाजी और असंतोष को दूर कर संतुलन बनाना चाहता है।
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मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज कई विधायक सरकार की मुश्किलें बढ़ाने वाले बयान देते रहे हैं। वहीं, पार्टी से जुड़े कार्यक्रमों में राजे की उपस्थिति भी कम रही है। राजनीतिक विश्लेषक इसे नाराजगी से जोड़कर देखते हैं। ऐसी में पार्टी आलाकमान गुटबाजी दूर करने के लिए जल्द ही राजे समर्थकों को सियासी नियुक्तियों का तोहफा दे सकता है।
राजनीतिक नियुक्ति के लिए कालीचरण सराफ और अशोक परनामी का भी दावा मजबूत है। फोटो 2017 में योग दिवस पर हुए कार्यक्रम का।
वसुंधरा राजे गुट के दावेदार कौन-कौन
अशोक परनामी : हाउसिंग बोर्ड का चेयरमैन बनाया जा सकता है। पूर्व बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष परनामी को पार्टी ने विधानसभा चुनाव 2023 में टिकट नहीं दिया था।
कालीचरण सराफ : पूर्व कैबिनेट मंत्री कालीचरण सराफ को जन अभाव अभियोग निराकरण समिति का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। बीजेपी के वरिष्ठ विधायक सराफ को इस बार भजनलाल कैबिनेट में जगह नहीं मिल पाई थी। सराफ मालवीय नगर से कई बार चुनाव जीत चुके हैं। इसके अलावा सराफ को मंत्री बनाने की संभावनाओं की भी चर्चा है।
प्रभुलाल सैनी : पूर्व कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी को राज्य बीज निगम का अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
श्रीचंद कृपलानी और प्रताप सिंह सिंघवी : इनमें से किसी को मंत्री बनाया जा सकता है। अगर मंत्री नहीं बन पाते तो राजनीतिक नियुक्ति दी जा सकती है।
सीएम भजनलाल और शेखावत के करीबी ये नेता भी दावेदार
प्रदेश महामंत्री श्रवण सिंह बगड़ी, पार्टी उपाध्यक्ष नारायण पंचारिया और मुकेश दाधीच को सियासी नियुक्तियों का तोहफा मिल सकता है। श्रवण सिंह को वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप बोर्ड का चेयरमैन बनाया जा सकता है। वहीं, मुकेश दाधीच को विप्र कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत राजनीतिक नियुक्तियों में जोधपुर का प्रतिनिधित्व चाहते हैं। बताया जा रहा है कि शेखावत पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ और अलका गुर्जर के लिए पैरवी कर रहे हैं।
सीएम भजनलाल और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत के करीबियों को भी राजनीतिक नियुक्ति में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।
कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए कटारिया और यादव को मिल सकती है जिम्मेदारी
लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए पूर्व कृषि मंत्री लालचंद कटारिया और राजेंद्र यादव भी राजनीतिक नियुक्तियों की दौड़ में हैं।
ऐसी संभावना है कि किसी एक नेता को पिछड़ा वर्ग आयोग का चेयरमैन बनाया जा सकता है। वहीं ज्योति मिर्धा को वीर तेजाजी कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
बड़े नेताओं के खेमे, इसलिए तय नहीं हो सके नाम
राजस्थान में 15 दिसंबर 2023 को भजनलाल सरकार का गठन हुआ था। 17 दिसंबर 2023 को भजनलाल सरकार ने आदेश जारी कर गहलोत सरकार की सभी राजनीतिक नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। उसके बाद से कार्यकर्ता राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार कर रहे हैं।
भाजपा के प्रदेश नेतृत्व की ओर से समय-समय पर आश्वासन भी दिया गया, लेकिन नियुक्तियां नहीं हुई। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, राजस्थान बीजेपी में चल रही गुटबाजी में एक खेमा सीएम भजनलाल शर्मा का है। दूसरा खेमा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का है।
तीसरा खेमा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का है। तीनों अपने-अपने समर्थकों को एडजस्ट कराना चाहते हैं।
गुटबाजी की वजह से 24 घंटे में आदेश रद्द करना पड़ा
गुटबाजी की वजह से अक्टूबर महीने में 24 घंटे में सरकार को राजनीतिक नियुक्तियों का आदेश रद्द करना पड़ा था। उस समय बीजेपी ने करीब 500 लोगों को 5 नगर निगम, 10 नगर परिषद और 63 नगर पालिका समेत प्रदेश के नगर निकायों में पार्षद मनोनीत किया था।
यह पहली बार था जब सत्ता में आने के बाद भजनलाल सरकार ने बड़ी संख्या में नियुक्ति दी थी, लेकिन 24 घंटे के भीतर ही इस आदेश को निरस्त कर दिया था।
राजनीतिक नियुक्ति में बरत रहे सावधानी
गहलोत सरकार ने आरपीएससी, राज्य कर्मचारी चयन बोर्ड, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति पदों पर नियुक्तियों में राजनीतिक समीकरण का ध्यान रखा था। कांग्रेस सरकार के समय इन संस्थाओं में भ्रष्टाचार और पेपरलीक के कई मामले सामने आए थे।
ऐसे में बीजेपी सरकार अपने कार्यकाल के दौरान नियुक्तियों में काफी सावधानी बरत रही है। ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा इन संस्थाओं में विशुद्ध राजनीतिक नियुक्ति नहीं करेगी। कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा शैक्षणिक पैमाने पर नए चेहरे ला सकती है।
एक साल हो गया नहीं मिला मंत्री स्तर का दर्जा
भाजपा सरकार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 8 राजनीतिक नियुक्तियां की थीं। पूर्व सांसद ओंकार सिंह लखावत, जसवंत विश्नोई और सीआर चौधरी को धरोहर प्रोन्नति प्राधिकरण, जीव जंतु कल्याण बोर्ड और किसान आयोग का चेयरमैन बनाया था। पूर्व मंत्री प्रेम सिंह बाजोर को सैनिक कल्याण सलाहकार समिति, राजेन्द्र नायक को राज्य एससी वित्त निगम, ओमप्रकाश भड़ाना को देवनारायण बोर्ड, रामगोपाल सुथार को विश्वकर्मा कौशल विकास बोर्ड और प्रहलाद टाक को माटी कला बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया था। इनमें से सिर्फ ओंकार सिंह लखावत को मंत्री का दर्जा दिया गया है।
राजस्थान धरोहर प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत की नियुक्ति लोकसभा चुनाव से पहले हुए थी। मंत्री का स्टेट्स सिर्फ इन्हीं के पास।
नियुक्तियां नहीं होने से नहीं हो रही जनता की सुनवाई
- महिला आयोग : अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों के पद लंबे समय से खाली होने के कारण महिला उत्पीड़न से जुड़े मामलों की सुनवाई नहीं हो रही है। महिला आयोग की अध्यक्ष और सदस्य जिलों में जाकर भी सुनवाई करते थे, लेकिन वह काम भी बंद है।
- अनुसूचित जाति आयोग : अध्यक्ष और सदस्यों के पद खाली होने के कारण दलित उत्पीड़न से जुड़े मामलों की सुनवाई नहीं हो रही है। आयोग में अध्यक्ष का कार्यभार समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण के पास है। उनकी सरकार और भाजपा के कामकाज में व्यस्तता के कारण वह आयोग में इतना समय नहीं दे पा रहे हैं।
- पिछड़ा वर्ग आयोग : पिछड़ी जाति के लोगों से जुड़े मामलों की सुनवाई नहीं हो रही है। सूत्रों के मुताबिक आयोग में बड़ी संख्या में शिकायतें और प्रार्थना पत्र लंबित चल रहे हैं।
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