वन्यजीव पर्यटन में महिलाओं को बढ़ावा नहीं, नेचर से हो रही दूर | jaipur | Patrika News h3>
वन अधिकारी बोले- महिलाएं खुद नहीं आ रहीं आगे, इधर महाराष्ट्र टूरिज्म दे रहा बढ़ावा
जयपुर
Published: April 12, 2022 03:42:08 pm
देवेंद्र सिंह राठौड़ जयपुर. वन्यजीव पर्यटन में महिलाओं को रोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाने में भले ही पड़ोसी मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र और उत्तराखंड जैसे राज्य कदम बढ़ा रहे हों, लेकिन राजस्थान के नीति निर्धारक इस मामले में सुस्त ही दिख रहे हैं। महाराष्ट्र के ताडोबा और पेंच टाइगर रिजर्व और मध्यप्रदेश के कान्हा नेशनल पार्क जैसे अभयारण्यों में लगातार महिलाओं को अस्थायी नेचर गाइड के तौर पर आजीविका से जोड़ा जा रहा है। ये महिलाएं सैलानियों को वन, वन्यजीव और वनस्पति की बारीकियों से अवगत करा रही हैं। दूसरे राज्यों में जहां यह मॉडल सफल हो रहा है, वहीं राजस्थान में मौजूदा महिला नेचर गाइड भी घटती जा रही है।
महाराष्ट्र के पेंच नेशनल पार्क में कार्यरत महिला नेचर गाइड
रणथंभौर में सिर्फ एक महिला नेचर गाइड रणथंभौर नेशनल पार्क में वन विभाग ने वर्ष 2007 में 4 महिलाओं को अस्थायी तौर पर नेचर गाइड लगाया था। वर्तमान में मात्र एक नेचर गाइड सूरज बाई मीणा ही कार्यरत हैं। जबकि तीन अन्य महिलाएं ये काम छोड़ चुकीं।
सरिस्का में भी प्रयास नहीं सरिस्का टाइगर रिजर्व में 44 पंजीकृत नेचर गाइडों में से महज एक महिला है। मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में एक भी महिला नेचर गाइड नहीं है। झालाना लेपर्ड रिजर्व समेत अन्य लेपर्ड रिजर्व व जैविक उद्यानों में भी यहीं हाल है।
….और यहां चल रहे प्रोत्साहन के प्रयास 1. पेंच टाइगर रिजर्व (महाराष्ट्र) : पांच वर्ष से 15 महिला नेचर गाइड अस्थायी तौर पर कार्य कर रही हैं। डीएफओ प्रभुनाथ शुक्ला ने बताया कि इनको ए, बी और सी श्रेणियों में बांट प्रमोशन भी करते हैं। अस्थायी भर्ती भी होती है। इनकी संख्या बढ़ रही है।
2. ताडोबा टाइगर रिजर्व (महाराष्ट्र) : यहां वर्ष 2015 से 6 महिला अस्थायी नेचर गाइड काम कर रही हैं। जानकारी के अनुसार प्रत्येक महिला नेचर गाइड को 10 से 15 हजार रुपए प्रतिमाह आय हो रही है।
3 कान्हा टाइगर रिजर्व (मध्यप्रदेश) : यहां 167 अस्थायी नेचर गाइड हैं। इसमें 12 महिला नेचर गाइड हैं। इनकी विभाग की ओर से पहले ट्रेनिंग होती हैं फिर अस्थायी तौर पर लगाया जाता है।
उत्तराखंड सरकार की अनूठी पहल उत्तराखंड में 2021 में वानिकी दिवस के मौके पर तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कार्बेट बाघ अभयारण्य में सफारी के लिए 50-50 महिला नेचर गाइड व महिला जिप्सी चालक लगाने की घोषणा की। प्रशिक्षण के बाद उनमें से कई अब सफारी करवा भी रही हैं।
गाइड की कमी फिर भी जिम्मेदारों की रुचि नहीं रणथंभौर में कुल 142 नेचर गाइड हैं। इनमें मात्र एक महिला नेचर गाइड है। सभी अस्थायी हैं। जोन छह से दस में हमेशा गाइड की कमी रहती है। ऐसे में इसमें महिला नेचर गाइड की भर्ती होनी चाहिए। वन विभाग इसमें रुचि नहीं ले रहा। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ऐसे प्रयास करने होंगे। \B- मोहम्मद रफीक, अध्यक्ष, रणथंभौर नेचर गाइड एसोसिएशन
महाराष्ट्र में उठा रहे कदम महाराष्ट्र टूरिज्म के अधिकारियों का कहना है कि दोनों विभाग एकजुट होकर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी व आसपास पर्यटन क्षेत्रों को जोड़ने के अथक प्रयास में जुटे हैं। इनमें महिलाओं की भी खास भागीदारी हो इसके लिए ठोस कदम उठाए जा रहे है। खासकर टाइगर रिजर्व में महिलाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है, यहां इनकी अस्थायी तौर पर लगातार भर्तियां हो रही हैं जिससे इनकी संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। सीधे तौर पर महिलाएं स्वावलंबी हो रही हैं।
भी कोई कदम नहीं उठाए, जल्द तैयारी अभी महिला नेचर गाइड को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए है, लेकिन जल्द इसको लेकर काम करेंगे। इसकी तैयारी करेंगे ताकि महिलाओं को वाइल्ड लाइफ से जोडा जा सकेें।
अरिन्दम तोमर, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन, वन विभाग राजस्थान
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वन अधिकारी बोले- महिलाएं खुद नहीं आ रहीं आगे, इधर महाराष्ट्र टूरिज्म दे रहा बढ़ावा
जयपुर
Published: April 12, 2022 03:42:08 pm
देवेंद्र सिंह राठौड़ जयपुर. वन्यजीव पर्यटन में महिलाओं को रोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाने में भले ही पड़ोसी मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र और उत्तराखंड जैसे राज्य कदम बढ़ा रहे हों, लेकिन राजस्थान के नीति निर्धारक इस मामले में सुस्त ही दिख रहे हैं। महाराष्ट्र के ताडोबा और पेंच टाइगर रिजर्व और मध्यप्रदेश के कान्हा नेशनल पार्क जैसे अभयारण्यों में लगातार महिलाओं को अस्थायी नेचर गाइड के तौर पर आजीविका से जोड़ा जा रहा है। ये महिलाएं सैलानियों को वन, वन्यजीव और वनस्पति की बारीकियों से अवगत करा रही हैं। दूसरे राज्यों में जहां यह मॉडल सफल हो रहा है, वहीं राजस्थान में मौजूदा महिला नेचर गाइड भी घटती जा रही है।
महाराष्ट्र के पेंच नेशनल पार्क में कार्यरत महिला नेचर गाइड
रणथंभौर में सिर्फ एक महिला नेचर गाइड रणथंभौर नेशनल पार्क में वन विभाग ने वर्ष 2007 में 4 महिलाओं को अस्थायी तौर पर नेचर गाइड लगाया था। वर्तमान में मात्र एक नेचर गाइड सूरज बाई मीणा ही कार्यरत हैं। जबकि तीन अन्य महिलाएं ये काम छोड़ चुकीं।
सरिस्का में भी प्रयास नहीं सरिस्का टाइगर रिजर्व में 44 पंजीकृत नेचर गाइडों में से महज एक महिला है। मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में एक भी महिला नेचर गाइड नहीं है। झालाना लेपर्ड रिजर्व समेत अन्य लेपर्ड रिजर्व व जैविक उद्यानों में भी यहीं हाल है।
….और यहां चल रहे प्रोत्साहन के प्रयास 1. पेंच टाइगर रिजर्व (महाराष्ट्र) : पांच वर्ष से 15 महिला नेचर गाइड अस्थायी तौर पर कार्य कर रही हैं। डीएफओ प्रभुनाथ शुक्ला ने बताया कि इनको ए, बी और सी श्रेणियों में बांट प्रमोशन भी करते हैं। अस्थायी भर्ती भी होती है। इनकी संख्या बढ़ रही है।
2. ताडोबा टाइगर रिजर्व (महाराष्ट्र) : यहां वर्ष 2015 से 6 महिला अस्थायी नेचर गाइड काम कर रही हैं। जानकारी के अनुसार प्रत्येक महिला नेचर गाइड को 10 से 15 हजार रुपए प्रतिमाह आय हो रही है।
3 कान्हा टाइगर रिजर्व (मध्यप्रदेश) : यहां 167 अस्थायी नेचर गाइड हैं। इसमें 12 महिला नेचर गाइड हैं। इनकी विभाग की ओर से पहले ट्रेनिंग होती हैं फिर अस्थायी तौर पर लगाया जाता है।
उत्तराखंड सरकार की अनूठी पहल उत्तराखंड में 2021 में वानिकी दिवस के मौके पर तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कार्बेट बाघ अभयारण्य में सफारी के लिए 50-50 महिला नेचर गाइड व महिला जिप्सी चालक लगाने की घोषणा की। प्रशिक्षण के बाद उनमें से कई अब सफारी करवा भी रही हैं।
गाइड की कमी फिर भी जिम्मेदारों की रुचि नहीं रणथंभौर में कुल 142 नेचर गाइड हैं। इनमें मात्र एक महिला नेचर गाइड है। सभी अस्थायी हैं। जोन छह से दस में हमेशा गाइड की कमी रहती है। ऐसे में इसमें महिला नेचर गाइड की भर्ती होनी चाहिए। वन विभाग इसमें रुचि नहीं ले रहा। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ऐसे प्रयास करने होंगे। \B- मोहम्मद रफीक, अध्यक्ष, रणथंभौर नेचर गाइड एसोसिएशन
महाराष्ट्र में उठा रहे कदम महाराष्ट्र टूरिज्म के अधिकारियों का कहना है कि दोनों विभाग एकजुट होकर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी व आसपास पर्यटन क्षेत्रों को जोड़ने के अथक प्रयास में जुटे हैं। इनमें महिलाओं की भी खास भागीदारी हो इसके लिए ठोस कदम उठाए जा रहे है। खासकर टाइगर रिजर्व में महिलाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है, यहां इनकी अस्थायी तौर पर लगातार भर्तियां हो रही हैं जिससे इनकी संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। सीधे तौर पर महिलाएं स्वावलंबी हो रही हैं।
भी कोई कदम नहीं उठाए, जल्द तैयारी अभी महिला नेचर गाइड को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए है, लेकिन जल्द इसको लेकर काम करेंगे। इसकी तैयारी करेंगे ताकि महिलाओं को वाइल्ड लाइफ से जोडा जा सकेें।
अरिन्दम तोमर, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन, वन विभाग राजस्थान
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