लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, उमंग सिंगार ने दी थी चुनौती | Supreme Court gave notice to MP government on the petition of Leader of Opposition umang singhar | News 4 Social

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लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, उमंग सिंगार ने दी थी चुनौती | Supreme Court gave notice to MP government on the petition of Leader of Opposition umang singhar | News 4 Social

लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, उमंग सिंगार ने दी थी चुनौती | Supreme Court gave notice to MP government on the petition of Leader of Opposition umang singhar | News 4 Social

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार की याचिका पर नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और विपक्ष के नेता के बीच परामर्श प्रक्रिया के लिए दिशा निर्देश तय करने का निर्णय लिया है।

उमंग सिंगार ने सुप्रीम कोर्ट में लोकायुक्त की नियुक्ति को इस आधार पर चुनौती दी थी कि वैधानिक रूप से उनसे परामर्श नहीं किया गया था। याचिका में यह भी कहा गया था कि मध्यप्रदेश लोकायुक्त की नियुक्ति कानून के प्रावधानों के खिलाफ गैर-पारदर्शी और मनमाने तरीके से की गई है।

 

सत्येंद्र कुमार सिंह है एमपी के लोकायुक्त

मध्यप्रदेश के नए लोकायुक्त के रूप में सेवानिवृत्त जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह ने 10 मार्च को राजभवन में एक सादे समारोह में पद एवं गोपनीयता की शपथ ग्रहण की थी। राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने सीएम डा. मोहन यादव की मौजूदगी में उन्हें शपथ दिलाई। सत्येंद्र कुमार सिंह ने जस्टिस नरेश कुमार गुप्ता का स्थान लिया था। गुप्ता का कार्यकाल 17 अक्टूबर 2023 को खत्म हो गया था। सत्येंद्र कुमार सिंह की इस पद पर नियुक्ति को लेकर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने गंभीर सवाल उठाए थे। कांग्रेस ने इस नियुक्ति को तत्काल रद्द करने की मांग की थी।

क्या कहते हैं उमंग सिंगार

उमंग सिंगार ने अपने सोशल मीडिया अकाउंड पर एक वीडियो जारी कर इस नियुक्ति पर आपत्ति व्यक्त की थी उमंग ने कहा था कि लोकायुक्त एक महत्वपूर्ण पद है। इस पद पर नियुक्ति में असंवैधानिक प्रक्रिया अपनाई गई। इस नियुक्ति समारोह को तत्काल रोका जाए और नियुक्ति की संवैधानिक प्रक्रिया को अपनाया जाए। सरकार का यह कदम असंवैधानिक है।

 

मेरे से परामर्श नहीं लिया

उमंग सिंगार ने मीडिया के नाम पत्र लिखकर कहा था कि एपी में लोकायुक्त की नियुक्ति निश्चित रूप से जनहित का कार्य है। सरकार की ओर से एक नाम पर अपना अंतिम फैसला लेकर 9 मार्च को अधिसूचना जारी कर दी गई। इसके बाद सरकार ने अवैध प्रक्रिया अपनाई। नेता प्रतिपक्ष से परामर्श नहीं लिया गया।

विवेक तन्खा ने भी किया समर्थन

इधर, इस मामले में राज्यसभा सांसद एवं जाने माने वकील विवेक तन्खा ने भी समर्थन किया था। तन्खा ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा था कि राज्य शासन की बहुत असंवैधानिक कार्यवाही। बिना विपक्ष के लीडर से वैधानिक परामर्श कोई भी नियुक्ति नोटिफाई कैसे की। सीएम सचिवालय से इतनी बड़ी भूल कैसे हुई? इस बचकानी हरकत से मुख्य न्यायाधिपति की प्रतिष्ठा पर जो आघात पहुंचेगा इसके लिए कौन जिम्मेवार होगा। ऐसी जल्दी क्या थी?



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