लीवर को बचाना है तो तला-भुना छोड़ें, हरी सब्जियां खाएं – Ludhiana News h3>
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नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (नीमा), नीमा वुमन फोरम और फोर्टिस हॉस्पिटल की ओर से शुक्रवार को वर्ल्ड लीवर डे पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। हर साल 19 अप्रैल को मनाया जाने वाला यह दिवस लीवर से जुड़ी गंभीर बीमारियों जैसे हेपेटाइटिस, फैटी लिवर, सिरोसिस और लीवर कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए समर्पित होता है। कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को समय रहते लीवर के प्रति सजग करना और जीवनशैली में सुधार की प्रेरणा देना था। इस मौके पर लीवर स्पेशलिस्ट डॉ. नितिन शंकर बहल ने बताया कि लीवर शरीर का एक बेहद जरूरी अंग है जो न सिर्फ पाचन प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाता है, बल्कि विषैले तत्वों को बाहर निकालने, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और ऊर्जा भंडारण जैसे कई कार्य करता है। उन्होंने कहा कि फूड इज मेडिसन थीम के तहत इस वर्ष लोगों को यह समझाना जरूरी है कि केवल दवाओं से ही नहीं, बल्कि संतुलित और हेल्दी डाइट से भी लीवर को सुरक्षित रखा जा सकता है।
डॉ. बहल ने दैनिक जीवन में फूड हैबिट्स बदलने की सलाह देते हुए कहा कि ताजे फल, हरी सब्जियां, भरपूर पानी और लो-फैट भोजन लीवर को मजबूत बनाते हैं। वहीं तले हुए, प्रोसेस्ड और ज्यादा मीठे या नमकीन खाद्य पदार्थ लीवर को नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने शराब और तंबाकू से दूरी बनाने, मोटापा कम करने और शारीरिक सक्रियता को बढ़ावा देने की अपील की। इस अवसर पर नीमा वूमेन फोरम की प्रमुख सदस्य डॉ. उषा किरण थापर, डॉ. बबीता अग्रवाल, डॉ. रेखा गोयल बजाज, डॉ. शिवाली अरोरा, डॉ. मीनू कोचर, डॉ. अनमोल विशिष्ट और डॉ. शिवानी भाटिया ने बताया कि दुनिया भर में हेपेटाइटिस सी से करीब 71 मिलियन लोग संक्रमित हैं और इससे हर साल 4 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। उन्होंने कहा कि साफ-सफाई का ध्यान रखना, सादा भोजन करना, नशा छोड़ना और वजन नियंत्रित रखना लीवर की बीमारियों से बचाव में सबसे जरूरी कदम हैं। कार्यक्रम में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. संदीप चोपड़ा ने भी भाग लिया।
उन्होंने कहा कि आमतौर पर लोग छोटी-मोटी दवाएं बिना डॉक्टर की सलाह के ले लेते हैं, जो लीवर पर सीधा असर डालती हैं। इसीलिए कोई भी दवा लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना बेहद जरूरी है। साथ ही उन्होंने भी संतुलित आहार को प्राथमिकता देने पर जोर दिया। कार्यक्रम के अंत में सभी डॉक्टर्स ने मिलकर वर्ल्ड लीवर डे के प्रतीक रूप में केक काटा और एकजुट होकर संकल्प लिया कि आने वाले समय में अधिक से अधिक लोगों को लीवर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाएगा। उपस्थित लोगों ने डॉक्टरों की बातों को गंभीरता से सुना और अपने खानपान में सुधार का संकल्प लिया।
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नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (नीमा), नीमा वुमन फोरम और फोर्टिस हॉस्पिटल की ओर से शुक्रवार को वर्ल्ड लीवर डे पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। हर साल 19 अप्रैल को मनाया जाने वाला यह दिवस लीवर से जुड़ी गंभीर बीमारियों जैसे हेपेटाइटिस, फैटी लिवर, सिरोसिस और लीवर कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए समर्पित होता है। कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को समय रहते लीवर के प्रति सजग करना और जीवनशैली में सुधार की प्रेरणा देना था। इस मौके पर लीवर स्पेशलिस्ट डॉ. नितिन शंकर बहल ने बताया कि लीवर शरीर का एक बेहद जरूरी अंग है जो न सिर्फ पाचन प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाता है, बल्कि विषैले तत्वों को बाहर निकालने, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और ऊर्जा भंडारण जैसे कई कार्य करता है। उन्होंने कहा कि फूड इज मेडिसन थीम के तहत इस वर्ष लोगों को यह समझाना जरूरी है कि केवल दवाओं से ही नहीं, बल्कि संतुलित और हेल्दी डाइट से भी लीवर को सुरक्षित रखा जा सकता है।
डॉ. बहल ने दैनिक जीवन में फूड हैबिट्स बदलने की सलाह देते हुए कहा कि ताजे फल, हरी सब्जियां, भरपूर पानी और लो-फैट भोजन लीवर को मजबूत बनाते हैं। वहीं तले हुए, प्रोसेस्ड और ज्यादा मीठे या नमकीन खाद्य पदार्थ लीवर को नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने शराब और तंबाकू से दूरी बनाने, मोटापा कम करने और शारीरिक सक्रियता को बढ़ावा देने की अपील की। इस अवसर पर नीमा वूमेन फोरम की प्रमुख सदस्य डॉ. उषा किरण थापर, डॉ. बबीता अग्रवाल, डॉ. रेखा गोयल बजाज, डॉ. शिवाली अरोरा, डॉ. मीनू कोचर, डॉ. अनमोल विशिष्ट और डॉ. शिवानी भाटिया ने बताया कि दुनिया भर में हेपेटाइटिस सी से करीब 71 मिलियन लोग संक्रमित हैं और इससे हर साल 4 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। उन्होंने कहा कि साफ-सफाई का ध्यान रखना, सादा भोजन करना, नशा छोड़ना और वजन नियंत्रित रखना लीवर की बीमारियों से बचाव में सबसे जरूरी कदम हैं। कार्यक्रम में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. संदीप चोपड़ा ने भी भाग लिया।
उन्होंने कहा कि आमतौर पर लोग छोटी-मोटी दवाएं बिना डॉक्टर की सलाह के ले लेते हैं, जो लीवर पर सीधा असर डालती हैं। इसीलिए कोई भी दवा लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना बेहद जरूरी है। साथ ही उन्होंने भी संतुलित आहार को प्राथमिकता देने पर जोर दिया। कार्यक्रम के अंत में सभी डॉक्टर्स ने मिलकर वर्ल्ड लीवर डे के प्रतीक रूप में केक काटा और एकजुट होकर संकल्प लिया कि आने वाले समय में अधिक से अधिक लोगों को लीवर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाएगा। उपस्थित लोगों ने डॉक्टरों की बातों को गंभीरता से सुना और अपने खानपान में सुधार का संकल्प लिया।