लालू यादव के सीट बंटवारे से कांग्रेस टेंशन में, पार्टी नेताओं को सता रहा हार का डर?

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लालू यादव के सीट बंटवारे से कांग्रेस टेंशन में, पार्टी नेताओं को सता रहा हार का डर?

लालू यादव के सीट बंटवारे से कांग्रेस टेंशन में, पार्टी नेताओं को सता रहा हार का डर?

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बिहार महागठबंधन में सीट बंटवारे से कांग्रेस नेता नाखुश नजर आ रहे हैं। सीट शेयरिंग में लालू यादव के सामने किसी की नहीं चल पाई। इस कारण कांग्रेस को कई मनचाही सीटें नहीं मिल पाईं। अब राज्य के कांग्रेस नेताओं को लोकसभा चुनाव में हार का डर सता रहा है। पार्टी के नेताओं का यह तक कहना है कि लालू ने कांग्रेस को हाशिए पर रखने के लिए सोच-समझकर रणनीति बनाई है। कांग्रेस को ऐसी सीटें दी गई हैं, जहां पर उसका मुकाबला बहुत कठिन हो गया है। जबकि पूर्णिया, औरंगाबाद जैसी मजबूत मुकाबले वाली सीटें आरजेडी ने खुद अपने पास रख ली हैं।

बिहार कांग्रेस के एक पूर्व उपाध्यक्ष ने शुक्रवार को कहा कि सीट बंटवारे की वजह से पार्टी के कार्यकर्ताओं में निराशा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस को ऐसी सीटें दी गई हैं, जहां जीतना मुश्किल है, जबकि आसानी से जीतने वाली सीटें पार्टी से से छीन ली गई हैं। कांग्रेस के एक पूर्व विधायक ने कहा कि पार्टी को पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार भी बराबर 9 सीटें मिली हैं। मगर अधिकर लोकसभा सीटों पर कांग्रेस के पास ना तो मजबूत उम्मीदवार हैं और ना ही उनपर दशकों से पार्टी जीती है। 

पूर्णिया और औरंगाबाद में आरजेडी का विरोध

महागठबंधन में सीट शेयरिंग की घोषणा होने के बाद शुक्रवार को कांग्रेस कार्यकर्ता पूर्णिया की सड़कों पर उतर आए। उन्होंने पार्टी आलाकमान से इस सीट पर पूर्व सांसद पप्पू यादव को लड़ाने की मांग की। बता दें कि 2024 के सीट बंटवारे में पूर्णिया आरजेडी के पास चली गई है। 2019 में यहां पर कांग्रेस ने चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार आरजेडी ने जेडीयू की बागी विधायक बीमा भारती को यहां से टिकट दे दिया है। 

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आरजेडी और कांग्रेस के बीच औरंगाबाद लोकसभा सीट को लेकर भी तनातनी सामने आई। यहां से लालू यादव ने अभय कुशवाहा को आरजेडी का सिंबल थमा दिया, उन्होंने गुरुवार को नामांकन भी कर लिया। जिले के कांग्रेस नेता लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। यहां से कांग्रेस पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार को चुनावी मैदान में उतारना चाहती थी। वे लंबे समय से इसकी तैयारी भी कर रहे थे। 

महागठबंधन के बंटवारे में कांग्रेस को भागलपुर, मुजफ्फरपुर, पश्चिम चंपारण, महाराजगंज और पटना साहिब जैसी सीटें मिली हैं। यहां पर पार्टी ने 1984 के बाद कोई चुनाव नहीं जीता है। एक पूर्व सांसद ने कहा कि कांग्रेस ने 2019 में मुजफ्फरपुर और पटना साहिब से चुनाव लड़ा था लेकिन उसे बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था। जबकि वाल्मीकि नगर, औरंगाबाद, सुपौल जैसी सीटें उसे नहीं दी गई हैं, जहां पिछले चुनाव में महागठबंधन के उम्मीदवारों ने बेहतर प्रदर्शन किया था।

अनिल शर्मा का आरोप- कांग्रेस को बैकसीट पर ही रखना चाहते हैं लालू

बिहार के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अनिल कुमार शर्मा ने कहा कि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कांग्रेस को कमजोर सीटें दी हैं। यह उनकी सोची-समझी रणनीति है, ताकि कांग्रेस बिहार में हाशिए पर ही रहे। उन्होंने कहा कि बिहार में कांग्रेस के कमजोर होने पर आरजेडी ने अपनी राजनीति चमकाई। दोनों पार्टियां एक साथ आगे नहीं बढ़ सकती हैं। किसी एक को पिछलग्गू रहना ही पड़ेगा, इसलिए आरजेडी हमेशा कांग्रेस को अपनी बैकसीट पर बैठाए रखना चाहती है। उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में सुपौल में आरजेडी ने डमी कैंडिडेट उतार दिया था और तब चुनाव लड़ रहीं कांग्रेस की तत्कालीन सांसद रंजीत रंजन के लिए पार्टी ने प्रचार भी नहीं किया।

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उन्होंने कहा कि वाल्मीकि नगर और पूर्णिया के अलावा कांग्रेस ने मधुबनी और औरंगाबाद के लिए आरजेडी पर दबाव बनाया। इन सीटों पर 2004 में पार्टी ने जीत दर्ज की थी। कांग्रेस बेगूसराय सीट भी मांग रही थी, क्योंकि पार्टी के पास यहां जेएनयू छात्र संघ केपूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के रूप में मजबूत उम्मीदवार था। मगर यह सीट भी आरजेडी ने सीपीआई को दे दी। शर्मा ने कहा कि इन सीटों पर हमारे कार्यकर्ताओं का मजबूत नेटवर्क है और बूथ लेवल तक पकड़ है। आरजेडी ने जो कमजोर सीटें कांग्रेस को दी हैं, वहां पार्टी की स्थिति कमजोर है। 

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पटना साहिब, मुजफ्फरपुर, महाराजगंज जैसी लोकसभा सीटों पर पार्टी को अच्छा कैंडिडेट चुनने में मुश्किल होगी। पटना साहिब से पिछली बार शत्रुघ्न सिन्हा चुनाव लड़े थे, लेकिन अब वे टीएमसी में जा चुके हैं। इससे पहले कांग्रेस के टिकट पर शेखर सुमन भी यहां से चुनाव लड़ चुके हैं। इसके अलावा कांग्रेस ने मुजफ्फरपुर और महाराजगंज में भी मजबूत उम्मीदवार की तलाश शुरू कर दी है।

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पटना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रह चुके नवल किशोर चौधरी का कहना है कि कांग्रेस को सीट बंटवारे में थोड़ी मुंह की खानी पड़ी है क्योंकि पार्टी पिछले कुछ सालों में अपना जनाधार बढ़ाने की दिशा में कोई काम नहीं कर पाई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी देश में जगह-जगह घूम रहे हैं। मगर बिहार में कांग्रेस के नेता अभी तक आरजेडी के वोटबैंक के भरोसे चल रहे हैं। इसके अलावा कांग्रेस के कई नेता अपने निजी हित के चलते आरजेडी के साथ गठबंधन में रहना चाहते हैं। उन्होंने कांग्रेस को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए शायद ही कभी काम किया हो।

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