लालू की ससुराल में बीजेपी मुस्तैद; साधु यादव की बेटी की शादी में ना राबड़ी दिखीं, ना तेजस्वी या तेजप्रताप ही गए h3>
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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव और राबड़ी देवी का परिवार एक राजनीतिक घराना है जो अक्सर सुर्खियों में रहता है। एक बार फिर लालू फैमिली चर्चा के केंद्र में है। मामला राजद सुप्रीमो के साले और राबड़ी देवी के भाई साधु यादव की बेटी की शादी से जुड़ा है। इस शादी में बीजेपी तो मुस्तैद दिखी पर लालू परिवार का कोई सदस्य शामिल नहीं हुआ।
बीते 12 दिसंबर को लालू राबड़ी के चहेते रहे पूर्व सांसद साधु यादव की बेटी की शादी हुई। धूमधाम से शाही अंदाज में आयोजित इस विवाह समारोह में कई राजनीतिक हस्तियों ने भाग लिया। भारतीय जनता पार्टी के कई नेता साधु यादव की बेटी की शादी के मौके पर मुस्तैद दिखे। केंद्रीय मंत्री और फायर ब्रांड गिरिराज सिंह भी शादी में शामिल हुए। उनके अलावा लालू यादव के कभी हनुमान कहे जाने वाले सांसद रामकृपाल यादव, सांसद रामा देवी शादी में पहुंचे और वर वधू को आशीर्वाद दिया। इनके अलावा लोजपा रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जमुई सांसद चिराग पासवान ने भी साधु यादव की बेटी की शादी में शरीक होकर वर और कन्या को आशीर्वाद दिया।
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लेकिन, इस शादी समारोह में इस बात की चर्चा रही कि लालू यादव या उनके परिवार का कोई सदस्य शादी में शामिल नहीं हुआ। खुद राबड़ी देवी भी भतीजी को आशीर्वाद देने के लिए नहीं आईं। तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव भी इस शादी से दूर रहे। लोगों का कहना है कि दोनों के परिवारों में दूरी इतनी बढ़ गई है कि शादी विवाह जैसे मौके पर भी एक दूसरे के साथ नहीं दिखते। बताया गया है कि साधु यादव की पहली बेटी की शादी में भी लालू परिवार से कोई नहीं गया था।
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लालू यादव और साधु यादव के बीच जारी खटास के बारे में बताया जाता है कि 2009 में साधु यादव ने अपने बहन बहनोई से बगावत कर दिया। लोकसभा चुनाव में साधु यादव को राजद से टिकट नहीं मिला तो कांग्रेस में चले गए। हालांकि, चुनाव जीत नहीं सके। इतना ही नहीं 2015 के विधानसभा चुनाव में साधु यादव पप्पू यादव की पार्टी में शामिल हो गए। इन वजहों से उनके रिश्ते और बिगड़ते गए।
पिछले दिनों तेजस्वी यादव की शादी में नहीं बुलाने पर साधु यादव ने काफी बवाल किया था। उन्होंने तेजस्वी की शादी पर भी सवाल खड़े किए थे। उसके बाद तेज प्रताप यादव ने अपने मामा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। लालू परिवार और राजद की विरोधी बीजेपी से साधु यादव की नजदीकियों के राजनीतिक मायने भी निकल जा रहे हैं।
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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव और राबड़ी देवी का परिवार एक राजनीतिक घराना है जो अक्सर सुर्खियों में रहता है। एक बार फिर लालू फैमिली चर्चा के केंद्र में है। मामला राजद सुप्रीमो के साले और राबड़ी देवी के भाई साधु यादव की बेटी की शादी से जुड़ा है। इस शादी में बीजेपी तो मुस्तैद दिखी पर लालू परिवार का कोई सदस्य शामिल नहीं हुआ।
बीते 12 दिसंबर को लालू राबड़ी के चहेते रहे पूर्व सांसद साधु यादव की बेटी की शादी हुई। धूमधाम से शाही अंदाज में आयोजित इस विवाह समारोह में कई राजनीतिक हस्तियों ने भाग लिया। भारतीय जनता पार्टी के कई नेता साधु यादव की बेटी की शादी के मौके पर मुस्तैद दिखे। केंद्रीय मंत्री और फायर ब्रांड गिरिराज सिंह भी शादी में शामिल हुए। उनके अलावा लालू यादव के कभी हनुमान कहे जाने वाले सांसद रामकृपाल यादव, सांसद रामा देवी शादी में पहुंचे और वर वधू को आशीर्वाद दिया। इनके अलावा लोजपा रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जमुई सांसद चिराग पासवान ने भी साधु यादव की बेटी की शादी में शरीक होकर वर और कन्या को आशीर्वाद दिया।
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लेकिन, इस शादी समारोह में इस बात की चर्चा रही कि लालू यादव या उनके परिवार का कोई सदस्य शादी में शामिल नहीं हुआ। खुद राबड़ी देवी भी भतीजी को आशीर्वाद देने के लिए नहीं आईं। तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव भी इस शादी से दूर रहे। लोगों का कहना है कि दोनों के परिवारों में दूरी इतनी बढ़ गई है कि शादी विवाह जैसे मौके पर भी एक दूसरे के साथ नहीं दिखते। बताया गया है कि साधु यादव की पहली बेटी की शादी में भी लालू परिवार से कोई नहीं गया था।
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लालू यादव और साधु यादव के बीच जारी खटास के बारे में बताया जाता है कि 2009 में साधु यादव ने अपने बहन बहनोई से बगावत कर दिया। लोकसभा चुनाव में साधु यादव को राजद से टिकट नहीं मिला तो कांग्रेस में चले गए। हालांकि, चुनाव जीत नहीं सके। इतना ही नहीं 2015 के विधानसभा चुनाव में साधु यादव पप्पू यादव की पार्टी में शामिल हो गए। इन वजहों से उनके रिश्ते और बिगड़ते गए।
पिछले दिनों तेजस्वी यादव की शादी में नहीं बुलाने पर साधु यादव ने काफी बवाल किया था। उन्होंने तेजस्वी की शादी पर भी सवाल खड़े किए थे। उसके बाद तेज प्रताप यादव ने अपने मामा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। लालू परिवार और राजद की विरोधी बीजेपी से साधु यादव की नजदीकियों के राजनीतिक मायने भी निकल जा रहे हैं।