लखनऊ में सजा ‘जश्न-ए-अदब’ का मंच: साहित्य , संस्कृति और कला का अद्भुत संमग दिखा , दास्तान गोई और मुशायरा रहा खास – Lucknow News h3>
लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में जश्न -ए -अदब “साहित्योत्सव” का कल्चरल कारवां का आयोजन किया गया। पांचवें संस्करण का शुभारंभ शुक्रवार को हुआ।उद्घाटन सत्र में भारतीय रंगमंच निदेशक अरविंद गौड़ और जश्न ए अदब के संस्थापक कुंवर रंजीत चौहान ने दीप प्रज्ज
.
2 दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम में पहले दिन , कथक , कोर्ट मार्शल, दास्तान गोई, कवि सम्मेलन एवं मुशायरा हुआ। शब्दों और साहित्य का अद्भुत संगम देखने को मिला। कथा रंग की संस्थापिका नूतन वशिष्ठऔर उपाध्यक्ष पुनीता अवस्थी की मौजूदगी में कनिका अशोक,सोम गांगुली,अनमोल मिश्रा और चैतन्य श्रीवास्तव ने कहानीपाठ किया। रोचक कहानी – सती और अकबरी लोटा की प्रस्तुति ने लोगों को बेहद प्रभावित किया।
‘दास्तां – ए – राम’ की दास्तानगोई
दास्तांगोई सत्र में दानिश इकबाल द्वारा निर्देशित ‘दास्तां – ए – राम’ की प्रस्तुति फौजिया और रितेश यादव द्वारा दी गई। इस खास प्रस्तुति में दोनों ने प्रभु राम के जीवनवृत्त और उनकी प्रभुताई का परिचय अनोखे अंदाज में कराया। लखनवी अंदाज में प्रभु राम की दास्तान सुनकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।
दास्तान कोई पेश करते हुए
थियेटर,सिनेमा और संगीत पर चर्चा के लिए आए मेहमानों ने बहुत सार्थक संवाद किया । ज्योति सिन्हा से चर्चा करते हुए प्रख्यात साहित्यकार यतींद्र मिश्रा ने कहा कि आजकल के लोगों की सबसे बड़ी समस्या यह है बड़े मंचों पर जाने वाले लोग अपने आप को सर्व – समर्थ मान लेते हैं,जबकि उन्हें यह समझना चाहिए कि उनसे पहले वे बातें बड़े लोग कर चुके हैं। कोई भी व्यक्ति यहाँ मुकम्मल नहीं है। निरंतर सबको सीखते रहना चाहिए।
कोर्ट मार्शल नाटक का हुआ मंचन
स्वदेश दीपक द्वारा लिखा गया और अरविंद गौड़ द्वारा निर्देशित नाटक “कोर्ट मार्शल” की शानदार प्रस्तुति से पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा। स्वदेश दीपक ने बताया की इस नाट्य प्रस्तुति में जातिवादी और सामंतवादी मानसिकता का निम्नवर्ग पर पड़ने वाले प्रभाव को दर्शाया गया है।
कोर्ट मार्शल मंचन की तस्वीर
कवि सम्मेलन और मुशायरा से सजा मंच
कल्चरल करवा में मुशायरा और कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया। इसमें एक दर्जन शायरों और कवियों ने शब्दों से मंच को सजाया। कवि सम्मेलन में विशेष रूप से सुरेंद्र शर्मा , फरहत एहसास , शारिक कैफी, मदन मोहन दानिश, अज्म शाकिरी , निलोत्पाल मृणाल, भावना श्रीवास्तव और रामायण धर द्विवेदी अपने शब्दों से लोगों को बाबा करने पर मजबूर कर दिया।
कविता सुनाते हुए कवि रामायण द्विवेदी