लखनऊ में मौत के बाद भी वेंटिलेटर सपोर्ट का फ्रॉड: यूनाइटेड अस्पताल में हंगामा; रिटायर्ड टीचर की हड्डी का हुआ था ऑपरेशन – Lucknow News

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लखनऊ में मौत के बाद भी वेंटिलेटर सपोर्ट का फ्रॉड:  यूनाइटेड अस्पताल में हंगामा; रिटायर्ड टीचर की हड्डी का हुआ था ऑपरेशन – Lucknow News

लखनऊ में मौत के बाद भी वेंटिलेटर सपोर्ट का फ्रॉड: यूनाइटेड अस्पताल में हंगामा; रिटायर्ड टीचर की हड्डी का हुआ था ऑपरेशन – Lucknow News

लखनऊ में निजी अस्पताल में मरीज की मौत के बाद वेंटिलेटर सपोर्ट देने का आरोप लगा है।

लखनऊ में एक निजी हॉस्पिटल ने मरीज की मौत के बाद भी फ्रॉड किया। मरने के बाद मरीज को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखने का झांसा दिया। परिजनों से वसूली की गई। इसकी जानकारी होने पर परिवारवालों ने जमकर हंगामा किया। मामला रविवार सुबह चौक एरिया के यूनाइटेड अस्पताल क

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हंगामे से जुड़ा वीडियो भी सामने आया है। इसमें मरीज के परिजन, अस्पताल वालों पर आरोप लगा रहे हैं। वहीं, अस्पताल संचालकों का कहना है कि हमने गलत किया है, तो हमारे साथ भी गलत होगा। हालांकि मृतक के परिजनों ने न्याय की गुहार लगाई है।

लखनऊ के यूनाइटेड अस्पताल में मृत मरीज को वेंटिलेटर पर रखा गया।

रिटायर्ड टीचर की हड्डियों का हुआ था ऑपरेशन ​​​मृतक के बेटे गोविंद ने बताया कि हम लोग एटा से यहां इलाज कराने आए थे। मेरे पिता नरेश चंद्र, बेसिक शिक्षा विभाग में टीचर पद से रिटायर हो चुके थे। कुछ दिनों पहले ही उनकी हड्डी का ऑपरेशन कराया गया था। इसके बाद से उनकी तबीयत खराब हो गई।

हम उन्हें लेकर लखनऊ पहुंचे और यूनाइटेड अस्पताल में भर्ती कराया था। यहां भर्ती करने के बाद से मौके पर मरीज को देखने के लिए एक भी ढंग का डॉक्टर मौजूद नहीं था। अस्पताल के ही कुछ लोग थे, जो फोन करके डॉक्टर से बात कर रहे थे और मरीज का इलाज कर रहे थे।

रविवार सुबह मौत की जानकारी मिलने पर परिजनों ने जमकर हंगामा किया।

गुरुवार को कराया था निजी अस्पताल में भर्ती गोविंद ने बताया कि 16 जनवरी यानी गुरुवार की रात पिता को यूनाइटेड अस्पताल में भर्ती कराया था। उन्हें कूल्हे का ऑपेरशन के बाद सांस लेने में परेशानी हो रही थी। पहले वो लोहिया संस्थान में भर्ती कराने के लिए लेकर गए। वहां बेड खाली न होने की बात कहकर टरका दिया गया।

इसके बाद KGMU ट्रॉमा सेंटर गए। वहां भी बेड खाली न होने की बात कही गई। फिर एक पूर्व परिचित और स्थानीय कर्मी ने बताया कि नजदीक के यूनाइटेड अस्पताल में भर्ती कर दें, यहां बेड खाली होते ही शिफ्ट कर लिया जाएगा।

3 दिन बीते पर नहीं मिला इलाज भर्ती करने से पहले अस्पताल के संचालक शैलेश और भूपेंद्र से मिलकर बात भी की थी। दोनों ने भरोसा दिया कि बेहतर इलाज मिलेगा और तीन दिन के अंदर स्वस्थ करके मरीज को घर भेज देंगे। इसके बाद 3 दिन बीत गया, तब भी इलाज शुरू नहीं हुआ।

हालत बिगड़ी, नहीं आया कोई डॉक्टर बेटे ने बताया कि इस बीच मरीज की हालत तेजी से बिगड़ती चली गई। इसके बावजूद कोई डॉक्टर नहीं आया। जब हमने बार-बार आपत्ति जताई, तब इन्होंने फोन करके एक डॉक्टर को मुश्किल से बुलाया। रविवार को सुबह हमें बताया गया कि मरीज की हालत क्रिटिकल है।

मृतक नरेश चंद्र के बेटे गोविंद ने बताया कि अस्पताल के लोगों ने मरने के बाद वेंटिलेटर सपोर्ट दिया।

मृत होने के बाद भी वेंटिलेटर पर लिटाया परिजनों का आरोप है कि मरीज की मौत पहले ही हो चुकी थी, लेकिन अस्पताल वालों ने वसूली करने के लिए सुबह वेंटिलेटर सपोर्ट देने का झांसा दिया। कुछ ही देर के बाद हमें यह बताया कि मरीज नहीं बचा है, उनकी मौत हो चुकी है। इससे परिजन सकते में आ गए।

20 हजार एडवांस लिए, लाखों का बिल बना रहे परिजनों ने बताया कि अस्पताल ने इलाज के नाम पर पहले ही 20 हजार रुपए एडवांस जमा करा लिए थे। वहां न कोई डॉक्टर था और न ही कोई सपोर्ट दिया गया था। मरने के बाद वेंटिलेटर पर रखकर लाखों का बिल बनाने की तैयार अस्पताल ने की थी।

परिजनों के हंगामे से बैकफुट पर अस्पताल रविवार सुबह जब मरीज की मौत की सूचना परिजनों को मिली तो उन्होंने हंगामा काट दिया। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन बैकफुट पर आता दिखा। हॉस्पिटल के एक कर्मचारी ने दार्शनिक अंदाज में जवाब दिया कि हमने गलत किया, तो हमारे साथ भी गलत होगा।

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