लंदन, मेलबर्न, बर्मिंघम और अब केपटाउन में भी वही कहानी… कब अपनी गलतियों से सीखेगा भारत?
भारत गुरुवार को केपटाउन में जीत की दहलीज पर पहुंच गया था लेकिन कप्तान हरमनप्रीत कौर के रन आउट होने से पूरी कहानी बदल गई और टीम को ऐसी हार मिली जिसे खिलाड़ी वर्षों तक नहीं भुला पाएंगे। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब भारत नॉकआउट में बाहर हो गया हो। वनडे विश्व कप 2017 में वह फाइनल में इंग्लैंड से हार गया था।
इसके बाद 2018 में टी-20 विश्व कप के सेमीफाइनल में फिर से इंग्लैंड उनके सामने रोड़ा बना था। भारतीय टीम पिछले टी-20 विश्व कप के मेलबर्न में खेले गए फाइनल और पिछले साल कॉमनवेल्थ गेम्स के गोल्ड मैडल मैच में भी हार गई थी। इन दोनों अवसरों पर उन्हे ऑस्ट्रेलिया ने पराजित किया था। टी20 विश्वकप 2023 के लीग स्टेज में भारतीय टीम का प्रदर्शन असंगत रहा था लेकिन सेमीफाइनल में वह जीत की स्थिति में थी। खराब फील्डिंग और गेंदबाजी के बावजूद हरमनप्रीत और जेमिमा रोड्रिग्स की बल्लेबाजी से भारत जीत की स्थिति में था।
खराब फील्डिंग किया बंटाधार
ऐसे में सवाल उठता है कि भारतीय टीम इस तरह के दबाव वाले मैचों में पॉजिटिव रिजल्ट क्यों हासिल नहीं करती? क्या यह टीम के चयन से जुड़ा कोई मुद्दा है या फिटनेस जिसके कारण फील्डिंग बेहद खराब रही। या फिर टीम की रणनीति पर निशाना सांधे या इसका कारण कुछ और ही है। सेमीफाइनल में भारत की फील्डिंग बहुत खराब रही ऐसे में कोच शुभादीप घोष (फील्डिंग कोच) को कई सवालों के जवाब देने होंगे। निराशाजनक फील्डिंग की वजह से ऑस्ट्रेलिया 25 से 30 रन अधिक बनाने में सफल रही।
जहां शेफाली वर्मा ने आसान सा कैच टपकाया तो वहीं विकेटकीपर रिचा घोष ने मेग लैनिंग को स्टंप आउट करने का आसान मौका गंवाया। पूर्व भारतीय कप्तान डायना एडुल्जी ने कहा ‘विश्व कप जीतने वाली भारत की अंडर-19 टीम अधिक फिट और मैदान पर चपल दिख रही थी। मैं शर्त लगाती हूं कि हमारी अधिकतर सीनियर क्रिकेटर यो यो टेस्ट (जो पुरुष टीम के लिए अनिवार्य है) पास नहीं कर पाएंगी। खराब फिटनेस के कारण हम अच्छे फील्डर की उम्मीद नहीं कर सकते।’
खराब स्ट्राइक रेट से की पूरे वर्ल्डकप में बल्लेबाजी
बता दें कि भारतीय बल्लेबाजों का स्ट्राइक रेट भी पूरे वर्ल्डकप में काफी निराशाजनक रहा है। शेफाली, दीप्ति शर्मा, यस्तिका भाटिया और कप्तान हरमनप्रीत का टूर्नामेंट में स्ट्राइक रेट 110 से कम था। मॉडर्न क्रिकेट में 130 से कम का स्ट्राइक रेट अच्छा नहीं माना जाता है। स्टार बल्लेबाज स्मृति मंधाना ने 138.5 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए लेकिन वह रन बनाने में कंसिस्टेंट नहीं थी। शेफाली लंबे समय से खराब फॉर्म में चल रही हैं और गेंदबाज शार्ट पिच गेंदों पर उनकी कमजोरी का फायदा उठा रहे हैं। ऐसे में अब ओपनर बल्लेबाज एस मेघना को मौका दिया जाना चाहिए।
स्पिनरों ने भी अपने प्रदर्शन से किया निराश
वह बहुत पुरानी बात नहीं जब स्पिनरों को भारत का मजबूत पक्ष माना जाता था लेकिन इस विश्व कप में उन्होंने भी निराश किया है। राजेश्वरी गायकवाड़ टूर्नामेंट में एक भी विकेट नहीं ले पाई जबकि दीप्ति और राधा यादव भी इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन करने में असफल रही।
तेज गेंदबाजी में रेणुका के अलावा कोई और नहीं आया काम
तेज गेंदबाजी यूनिट में रेणुका सिंह ने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन शिखा पांडे वापसी करते हुए पर प्रभावित नहीं कर पाई। इस यूनिट में विकल्पों की कमी टीम के लिए चिंता का विषय है। बाएं हाथ की तेज गेंदबाज अंजली सरवानी को वर्ल्डकप में एक भी मैच में मौका नहीं दिया गया। मेघना सिंह के साथ भी ऐसा ही हुआ। बहरहाल, अब यही उम्मीद कर सकते हैं कि 4 मार्च से शुरू होने वाली महिला प्रीमियर लीग से तेज गेंदबाजी यूनिट में कुछ नई प्रतिभाएं सामने आएंगी। भारतीय टीम के पास स्थाई कोचिंग स्टाफ नहीं होना भी अपने आप में एक बहुत बड़ा सवाल पैदा करता है। भारतीय क्रिकेट बोर्ड को राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के कोचों को महिला टीम से जोड़ने के चलन से बचना होगा। वहीं अगला विश्वकप 18 महीने बाद होना है और भारत अगर वह विश्वकप घर लाना है तो उसकी तैयारी अभी से शुरू करनी होगी।