रेप के बाद जिंदगी 3: 500 रुपए कमाने के लिए 13 साल की बच्ची हो गई प्रेग्नेंट, 2 साल तक किया रेप | rape case in india 13 year old girl raped for 2 years and became pregn | Patrika News

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रेप के बाद जिंदगी 3: 500 रुपए कमाने के लिए 13 साल की बच्ची हो गई प्रेग्नेंट, 2 साल तक किया रेप | rape case in india 13 year old girl raped for 2 years and became pregn | Patrika News

रेप के बाद जिंदगी 3: 500 रुपए कमाने के लिए 13 साल की बच्ची हो गई प्रेग्नेंट, 2 साल तक किया रेप | rape case in india 13 year old girl raped for 2 years and became pregn | News 4 Social

रेप के बाद जिंदगी की ये कहानी द*#*# की है। ये नाम बदला हुआ है। वो एक राज्य की राजधानी के पास गांव की रहने वाली हैं। फिलहाल कोर्ट ने द*#*# को एक एनजीओ में रखा है।

रेप के बाद जिंदगी की ये कहानी द*#*# की है। ये नाम बदला हुआ है। वो एक राज्य की राजधानी के पास गांव की रहने वाली हैं। फिलहाल कोर्ट ने द*#*# को एक एनजीओ में रखा है। वो अपने घर से दूर है जहां न तो वो रोज अपने घरवालों से बात कर सकती है और न ही मिल सकती है। द*#*# को इसी बात का दुख है कि जिन लोगों ने उसके साथ गलत किया वो आज भी अपने घर में आराम से सिर उठाकर रह रहे है। और बगैर किसी गलती के उसे अपने परिवार वालों से ही दूर रहना पड़ रहा है। यहां से आगे की कहानी उन्हीं की जुबानी…

2017 में मैं सिर्फ 12 साल की थी…
बचपन में ही मेरी मम्मी गुजर गई थी। मेरे पापा और भाई दोनों ही मानसिक रूप से अस्वस्थ रहते हैं। बड़ी बहन अपने ससुराल में है। गरीबी की वजह से मैंने पड़ोस के घर झाडू, पोछा और बर्तन धुलने का काम शुरू कर दिया था। काम करते हुए मुझे 2 महीने हो चुके थे। एक दिन तनख्वाह लेने के लिए जब मैं दीदी (आरोपी) के घर पहुंची तो 2 साल तक वापस नहीं लौट पाई।

मोहल्ले में रहते हुए भी परिवार से 2 साल तक दूर रही
आरोपी के घर में कुल 5 लोग रहते थे, 2 महिलाएं, 2 बच्चे और 1 पुरुष। मैं उन्हें दीदी कहकर बुलाती थी। 2 साल तक मैं उन लोगों के गिरफ्त में रही। मेरे घर वाले मुझे ढूंढते-ढूंढते जब दीदी के घर पहुंचे तो उन्होंने कहा ‘हम कुछ नहीं जानते। वो तो बहुत दिनों से काम पर ही नहीं आई है।’

वो लोग मुझे कमरे में बंद करके रखते थे। दीदी मुझसे लड़कों से मिलने के लिए कहती थी। एक दिन में 3 से 4 लड़कें बुलाती थी। वो लोग मेरे साथ जबरदस्ती करते थे। मुझे नोचते थे। मैं मना करती थी तो गाली देते थे। इतना ही नहीं वो लड़के मुझे जबरदस्ती दारू और ड्रग्स भी देते थे।

चोट की वजह से शरीर बेकार हो गया, चाह कर भी नहीं कर पाती काम
दोनों दीदी मुझे रोज मारती-पीटती थी। लाठी-डंडे की मार से मेरी पीठ पूरी लाल रहती थी। घर का पूरा काम करवाते थे। बाकी के समय मेरे हाथ-पैर बांधकर आंगन के नीचे धूप में बैठाती थी। कभी-कभी तो मुंह में टेप लगाकर बेड के बाक्स में बंद कर देती थी।

एक बार मैंने लड़कों से मिलने के लिए मना किया तो उन्होंने बेलन फेंक के मारा। जिसकी वजह से मेरा होठ फट गया। खून बहता रहा लेकिन दवाई नहीं दी जाती थी। मेरे पूरे शरीर में गड्ढे बने हुए हैं। सिर में लाठी से मारने की चोटें आज भी दर्द देती है। हाथ की सबसे छोटी उंगली कैंची से कटी हुई है और सभी उंगलियां टेढ़ी हो गई हैं। इन चोट की वजहों से मैं कोई भी काम ज्यादा देर तक नहीं कर पाती हूं।

13 साल की उम्र मेरा अबॉर्शन हो गया
एक दिन मेरे पेट में दर्द शुरू हुआ तो मैंने दीदी को बताया। उन्होंने अपने देवर से दवाइयां मंगवाई। इस दौरान मैंने उनकी बाते सुन ली। वो लोग मेरे पेट में पल रहे बच्चे को गिराने की बात कह रहे थे। इसके बाद वो मुझे बहुत दवाइयां खिलाते थे। जबरदस्ती दारू पिलाते थे। सिगरेट मुंह में डाल देते थे। मैं बहुत डर जाती थी। कांपती थी। अकेले घुट-घुट कर रहती थी। वो तीन लोग थे और मैं अकेली, तो मैं कुछ भी नहीं कर पाती थी।

पीड़िता को मिला फैमिली का सपोर्ट
मैं वहां से निकलना चाहती थी, मुझे सिर्फ एक मौके की तलाश थी। एक दिन मैं सुबह 5 बजे उठी। पहले कुछ आवाजें दी लेकिन वो लोग (आरोपी) नहीं उठे। मैं दबे पांव नीचे गई और दरवाजा खोलकर वहां से भाग गई। डर के मारे मैं घर नहीं गई बल्कि अपनी सगी दीदी की दोस्त के घर चली गई।

वहां से मुझे दीदी और जीजा अपने घर ले गए। मेरी हालत देखकर मेरा परिवार मुझे पहचान नहीं पाया। मेरे बाल काट दिए गए थे। सर पर चोट के निशान थे। उंगली काट देने के वजह से हाथों में कीड़े पड़ गए थे। मेरे साथ हुए अत्याचारों के बारे में जानने के बाद मेरी दीदी ने थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई।

गरीब और छोटी जाति होने की वजह से पुलिस सुनवाई नहीं करते
मेरे घर वाले सबसे पहले मोहल्ले के प्रधान के पास शिकायत लेकर गए। लेकिन उन्होंने हमारी कोई मदद नहीं की। हमारे पास पैसे नहीं है। हम गरीब और छोटी जाति के है इसलिए हमारी कोई सुनवाई नहीं होती है। पुलिस के पास FIR दर्ज करवाने गए तो कहते है कि लड़की झूठ बोल रही है।

इसके बाद मैं सीओ साहब से मिलने गई तो मुझे वहां मीडिया वालों ने घेर लिया। मेरे साथ जो हुआ वो सब मैंने मीडिया वालों को बताया। इसके बाद पुलिस आकर मुझे अपने साथ ले गई। मेरा मेडिकल करवाया गया और अगले दिन वो लोग (आरोपी) गिरफ्तार हो गए।

आगे की बात जानने से पहले ये एक्ट के बारे में पढ़ लीजिए…
साल 2012 में पॉक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट) कानून लाया गया। इस कानून के मुताबिक, नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों में जमानत नहीं मिलती। इसके साथ पीड़ित बच्चों की सुरक्षा के भी प्रावधान हैं।

आज भी सीना चौड़ा करके खुलेआम मोहल्ले में धूमते हैं आरोपी
आरोपियों ने सिर्फ 6 महीने ही जेल में काटे। इसके बाद वो लोग जमानत पर रिहा हो गए। हमें जमानत के बारे में पहले से कुछ नहीं पता था। हमारे वकील ने भी हमें कुछ नहीं बताया था। वो लोग आज भी उसी मोहल्ले में रहते हैं। हमारे घर वालों को देखते है तो घूरते हैं। उन्हें गाली मारने की धमकी देते हैं।

ये बात बताते हुए द*#*# रोते हुए सिसकिया लेती जा रही थी और आरोपियों को उम्र कैद हो जाने की दुआ करती जा रही थी।

गलती ना होने के बावजूद भी खुद के परिवार से दूर हूं
मेरे बयान के बाद मुझे CWC (चाइल्ड वेलफेयर कमिटी) के सामने पेश किया गया। वहां मेरी मेडिकल रिपोर्ट देखी गई। मेरा बयान लिया गया। मेरे बालिग होने तक कमिटी ने मुझे बाल ग्रह भेज दिया। मैं यहां अपने परिवार से दूर रहती हूं।

यहां पर बहुत-सी चीजें सिखाई जाती है। सिलाई, मैकरेन, कम्प्यूटर चलाना और पढ़ाई-लिखाई सबकी क्लास लगती है। मुझे भी सीखने का मन करता है ताकि मेरे अंदर भी हुनर आ जाए। लेकिन मेरे शरीर के चोट के दर्द से मैं ज्यादा काम नहीं कर पाती। अपने परिवार को याद करती हूं। घर जाने का मन करता है। सबके बीच में रहने का मन करता है। लेकिन आज मैं यहां एक तरह से कैद हूं और मेरे साथ गलत करने वाले लोग उसी मोहल्ले में सिर उठाकर रह रहे हैं।

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