रेड लेडी ताइवान पपीता बना किसानों की पसंद: कम लागत, ज्यादा मुनाफा, सीताफल एक्सीलेंस सेंटर ने वितरित किए 50 हजार पौधे – Chittorgarh News h3>
इस बार सीताफल एक्सीडेंट सेंटर पर सीताफल के अलावा रेड लेडी ताइवान पपीते के पौधे भी भारी मात्रा में तैयार किए गए थे। जिनका वितरण अप्रैल महीने में कर दिया गया है।
गर्मियों के सीजन में सीताफल एक्सीलेंस सेंटर में इस बार सीताफल के साथ-साथ रेड लेडी ताइवान पपीते की भी जबरदस्त डिमांड देखने को मिली। किसानों की लगातार बढ़ती मांग को देखते हुए इस बार केंद्र ने रिकॉर्ड 50,000 पौधे तैयार किए, जो कि अब तक की सबसे बड़ी संख्
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अब तक तैयार होते थे केवल 5000 से 7000 पौधे
सीताफल एक्सीलेंस सेंटर पर हर साल रेड लेडी ताइवान पपीते के 5000 से 7000 पौधे ही तैयार किए जाते थे। लेकिन इस बार किसानों की विशेष रुचि को देखते हुए केंद्र ने इस संख्या को बढ़ाकर 50,000 कर दिया। सभी पौधे अप्रैल महीने में ही किसानों को वितरित कर दिए गए हैं।
प्रतापगढ़ और भीलवाड़ा में सबसे ज्यादा मांग
सीताफल एक्सीलेंस सेंटर के उपनिदेशक राजाराम सुखवाल ने बताया कि सबसे ज्यादा ऑर्डर प्रतापगढ़ जिले से आए। प्रतापगढ़ की छोटी सादड़ी से मनोहर आंजना ने अकेले ही 15,000 पौधे लिए। इसके अलावा भीलवाड़ा जिले के किसानों ने भी 6,500 पौधों का ऑर्डर दिया। चित्तौड़गढ़ जिले के राशमी और बेगूं क्षेत्र से भी अच्छी संख्या में मांग आई थी।
हैदराबाद से मंगवाए गए बीज, जनवरी में की गई बुआई
इन पपीते के पौधों को जनवरी में हैदराबाद से मंगवाए गए बीजों से तैयार किया गया था। अप्रैल में पौधों का वितरण शुरू कर दिया गया। किसानों की खुशी की बात यह है कि सभी पौधे बंट चुके हैं और इस बार कोई भी किसान खाली हाथ नहीं लौटा।
कोविड के बाद बढ़ी मांग
उन्होंने बताया कि कोविड के बाद से ही फलों के प्रति सभी का रुझान बढ़ा है। अभी लगातार असामयिक मौतें हो रही है। लोग अपनी इम्यूनिटी डेवलप करने के बारे में ज्यादा सोच रहे है। ऐसे में पपीता इंसान के अंदर इम्यूनिटी डेवलप करता है और पेट से संबंधित रोगों को भी ठीक करता है।
कोरोना के बाद इसकी मांग सबसे ज्यादा बढ़ी है।
कैसे होती है रेड लेडी पपीते की खेती?
रेड लेडी ताइवान पपीते की खेती में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है:
सिंचाई: पौधों की सिंचाई ड्रिपिंग सिस्टम से की जाती है, जिससे पानी की बचत होती है।
दूरी: पौधे से पौधे और लाइन से लाइन की दूरी 2 बाय 2 फीट रखी जाती है।
मिट्टी: इसे लाल मिट्टी में उगाया जाता है, जिसमें कम पानी की जरूरत होती है।
फ्रूटिंग: पौधे रोपने के 6 महीने के अंदर फल आने लगते हैं।
उपज अवधि: एक पौधा लगभग 2 साल तक उपज देता है।
रेड लेडी ताइवान पपीते की बढ़ती डिमांड के कारण
रेड लेडी ताइवान पपीते की लोकप्रियता के पीछे कई मजबूत कारण हैं, जो इसे किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए पसंदीदा बनाते हैं:
- उच्च उत्पादन क्षमता
यह पौधे औसतन 4 से 5 फीट लंबे होते हैं और एक पौधा 50 किलो तक पपीता दे सकता है। इससे किसानों को प्रति पौधा अच्छा उत्पादन मिलता है।
- बेहतरीन स्वाद
रेड लेडी पपीता स्वाद में मीठा और मुलायम होता है, जो इसे बाजार में और उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रिय बनाता है।
- कम लागत, ज्यादा लाभ
इसकी खेती में लागत कम आती है। सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम और कम पानी की जरूरत इसकी खासियत है। कम संसाधनों में अधिक उत्पादन संभव होता है।
- बाजार में अच्छी मांग
रेड लेडी पपीते की बाजार में काफी मांग है, खासकर गर्मियों में। इसका स्वाद, आकार और पौष्टिकता इसे फल बाजार में ऊंची कीमत दिलवाते हैं।
सीताफल एक्सीलेंस सेंटर पर सीताफल के अलग-अलग वैरायटी पर रिसर्च किया जाता है।
पपीते के सेहत से जुड़े फायदे
रेड लेडी ताइवान पपीता ना केवल खेती के लिए लाभदायक है, बल्कि इसके स्वास्थ्य लाभ भी अनेक हैं:
- पाचन में सुधार करता है
पपीता में पपेन नामक एंजाइम होता है, जो पाचन में सहायक होता है। यह कब्ज से राहत देता है और आंतों की सफाई में मदद करता है।
- वजन घटाने में मददगार
पपीता फाइबर से भरपूर और कम कैलोरी वाला फल है। यह पेट भरा हुआ महसूस कराता है और वजन घटाने में मदद करता है।
- इम्यूनिटी मजबूत करता है
इसमें विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर होते हैं, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं और संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं।
- त्वचा के लिए लाभदायक
विटामिन A और C त्वचा को चमकदार और स्वस्थ बनाते हैं। यह मुंहासों और झुर्रियों को भी कम कर सकता है।
- दिल की सेहत सुधारे
पपीते में मौजूद फाइबर, पोटेशियम और एंटीऑक्सीडेंट दिल को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। यह ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में भी असरदार होता है।
- आंखों की रोशनी बढ़ाए
विटामिन A आंखों की रोशनी को बनाए रखने में मदद करता है। पपीते का नियमित सेवन आंखों के लिए फायदेमंद होता है।
किसानों के लिए लाभकारी विकल्प
रेड लेडी ताइवान पपीता खेती के लिए एक बेहतर विकल्प बनकर उभरा है। कम लागत, कम पानी, जल्दी फल देना, और लंबे समय तक उत्पादन देना – ये सभी खूबियां इसे किसानों के लिए आकर्षक बनाती हैं। स्वास्थ्य के लिए इसके अनेक फायदे इसे उपभोक्ताओं के बीच भी लोकप्रिय बना रहे हैं।
उप निदेशक राजाराम सुखवाल ने बताया कि रेड लेडी ताइवान पपीता न केवल खेतों में किसानों की कमाई का जरिया बन रहा है, बल्कि घरों में लोगों के स्वास्थ्य का भी रक्षक साबित हो रहा है। सीताफल एक्सीलेंस सेंटर की यह पहल किसानों के लिए वरदान साबित हुई है। आने वाले सालों में इसकी मांग और भी बढ़ने की संभावना है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।