रूस-यूक्रेन युद्ध का असर… एक दशक में 73% तक बढ़ जाएगा न्यूक्लियर मिसाइल और बम का बाजार h3>
Russia-Ukraine War Impact: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध से दुनिया में एक बड़ा बदलाव हो सकता है। यह परमाणु मिसाइलों और बमों (Nuclear Missiles and bombs Market) की बिक्री को हवा दे सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अगले एक दशक में ऐसी मिसाइलों और विध्वसंकों के बाजार के 73 फीसदी तक बढ़ने के आसार हैं। यह बाजार अभी के स्तर से बढ़कर 126 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है। अलाइड मार्केट रिसर्च (Allied Market Research) की एक रिपोर्ट में यह अनुमान जाहिर किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन पर रूस के हमले (Russia-Ukraine War) से तमाम देशों के सैन्य खर्चों में बढ़ोतरी होने की आशंका है।
पोर्टलैंड की रिसर्च फर्म के मुताबिक, अभी न्यूक्लियर मिसाइलों और बमों का बाजार करीब 73 अरब डॉलर का है। 2030 तक इसमें 72.6 फीसदी की बढ़ोतरी होने के आसार हैं। कोरोना की महामारी के कारण दुनिया के तमाम देशों ने डिफेंस सेक्टर के बजाय हेल्थ सेक्टर को प्राथमिकता दी। इसके चलते रक्षा क्षेत्र में होने वाले एलोकेशन पर असर पड़ा।
रिपोर्ट के अनुसार, भू-राजनीतिक संघर्ष और मिलेट्री बजट बढ़ने से सैन्य साजो-सामान का बाजार बढ़ेगा। इसमें 2030 तक सालाना 5.4 फीसदी की चक्रवृद्धि दर से इजाफा हो सकता है।
रिपोर्ट में अनुमान जाहिर किया गया है कि छोटे परमाणु हथियारों की मांग बढ़ सकती है। इन्हें आसानी से विमानों और लैंड-बेस्ड मिसाइलों से इधर-उधर ले जा सकते हैं। यह और बात है कि 2020 में सबमरीन-लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइलों (SLBM) की हथियारों के कुल बाजार में एक-चौथाई हिस्सेदारी थी।
यह रिपोर्ट कहती है कि भारत, पाकिस्तान और चीन के अपने परमाणु भंडार को बढ़ाने के कारण एशिया-प्रशांत में बिक्री की रफ्तार सबसे ज्यादा रहने के आसार हैं। 2020 में ग्लोबल मार्केट में उत्तर अमेरिका दबदबा रहा। इसकी हिस्सेदारी आधे से ज्यादा रही।
ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस और अमेरिका ने इस साल की शुरुआत में संयुक्त बयान जारी किया था कि परमाणु युद्ध की दौड़ में कोई विजेता नहीं हो सकता है। इसे होड़ से बचने की जरूरत है।
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रिपोर्ट के अनुसार, भू-राजनीतिक संघर्ष और मिलेट्री बजट बढ़ने से सैन्य साजो-सामान का बाजार बढ़ेगा। इसमें 2030 तक सालाना 5.4 फीसदी की चक्रवृद्धि दर से इजाफा हो सकता है।
रिपोर्ट में अनुमान जाहिर किया गया है कि छोटे परमाणु हथियारों की मांग बढ़ सकती है। इन्हें आसानी से विमानों और लैंड-बेस्ड मिसाइलों से इधर-उधर ले जा सकते हैं। यह और बात है कि 2020 में सबमरीन-लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइलों (SLBM) की हथियारों के कुल बाजार में एक-चौथाई हिस्सेदारी थी।
यह रिपोर्ट कहती है कि भारत, पाकिस्तान और चीन के अपने परमाणु भंडार को बढ़ाने के कारण एशिया-प्रशांत में बिक्री की रफ्तार सबसे ज्यादा रहने के आसार हैं। 2020 में ग्लोबल मार्केट में उत्तर अमेरिका दबदबा रहा। इसकी हिस्सेदारी आधे से ज्यादा रही।
ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस और अमेरिका ने इस साल की शुरुआत में संयुक्त बयान जारी किया था कि परमाणु युद्ध की दौड़ में कोई विजेता नहीं हो सकता है। इसे होड़ से बचने की जरूरत है।