रूस के कब्रिस्तान में पिता का शव, भारत लाने के लिए राजस्थान की बिटिया ने पीएम नरेंद्र मोदी को लिखा पत्र

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रूस के कब्रिस्तान में पिता का शव, भारत लाने के लिए राजस्थान की बिटिया ने पीएम नरेंद्र मोदी को लिखा पत्र

रूस के कब्रिस्तान में पिता का शव, भारत लाने के लिए राजस्थान की बिटिया ने पीएम नरेंद्र मोदी को लिखा पत्र

जयपुर : राजस्थान के उदयपुर जिले की एक लाचार आदिवासी बेटी (Rajasthan daughter letter to pm modi) पिछले छह महीने से अपने दिवंगत पिता के शव का इंतजार कर रही है। 19 वर्षीय आदिवासी बेटी उर्वशी (rajasthan urvarshi father body in russia) के पिता हितेंद्र गरासिया की 17 जुलाई 2021 को रूस में मौत हो गई थी। मौत के एक महीने बाद परिवार वालों को हितेंद्र गरासिया के बारे में सूचना मिली थी। तब से पीड़ित परिवार हितेंद्र की देह को भारत लाने के लिए लगातार गुहार लगा रहा है लेकिन भारत सरकार (Central Government) की ओर से कोई मदद नहीं मिली। मदद मिलना तो दूर भारत सरकार ने राष्ट्रपति सचिवालय और कोर्ट में झूठी सूचना देकर गुमराह किया। लाचार बेटी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है।


वहीं, दिवंगत का शव भारत लाने के लिए पीड़ित परिवार ने राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था। 15 दिसंबर को सुनवाई के दौरान भारत सरकार के प्रतिनिधि ने राजस्थान हाईकोर्ट में कहा था कि मृतक हितेंद्र गरासिया के शव का एफएसएल नहीं हुआ है। एफएसएल जांच के लिए शव रूस में रखा हुआ है। विदेशी मामलों के जानकार बूंदी निवासी चर्मेश शर्मा बताते हैं कि 15 दिसंबर 2021 को राजस्थान हाईकोर्ट ने रूस सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए हितेंद्र के शव को दफनाने पर रोक लगाई थी। जिसके कुछ दिनों बाद पता चला कि रूस सरकार ने तो 3 दिसंबर 2021 को ही हितेंद्र के शव को दफना दिया था।

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चर्मेश शर्मा का कहना है कि हितेंद्र गरासिया के शव को दफनाने के बावजूद भी भारत सरकार ने राजस्थान हाईकोर्ट में झूठ बोलते हुए एफएसएल जांच का हवाला दे दिया था।

rajasthan daughter letter to pm modi

‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’
पिता का शव भारत लाने की मांग करने वाली 19 वर्षीय उर्वशी गरासिया ने संसद भवन और पीएमओ के बाहर आवाज बुलंद की है। प्रियंका गांधी के नारे ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ के साथ उर्वशी ने अपनी आवाज उठाई है। उर्वशी की मांग है कि रूस के कब्रिस्तान से उनके पिता का शव निकाल कर भारत लाया जाए ताकि पीड़ित परिवार हिंदू रीति रिवाज के तहत शव का अंतिम संस्कार कर सके। उर्वशी का कहना है कि जब तक उनके पिता हितेंद्र गरासिया की देह भारत नहीं लाई जाएगी, तब तक वह लड़ती रहेगी।

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जानकार ने उठाए सवाल
विदेश मामलों के जानकार चर्मेश शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से 22 अक्टूबर 2021 को केस दर्ज किया गया था, जिसके तहत 25 अक्टूबर को विदेश सचिव को नोटिस भेजकर अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत हितेंद्र गरासिया के शव को भारत लाने के संबंध में त्वरित रूप से कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे। इसके बावजूद भी विदेश मंत्रालय हरकत में नहीं आया और विदेश सचिव ने कोई कार्रवाई नहीं की।

चर्मेश शर्मा के अनुसार अगर अक्टूबर 2021 में ही विदेश मंत्रालय एक्शन लेता तो 3 दिसंबर को हितेंद्र का शव रूस में नहीं दफनाया जाता। पीड़ित परिवार लगातार गुहार कर रहा है लेकिन कोई मदद नहीं हो रही है। राजस्थान हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 1 फरवरी 2022 को है।
जयपुर से रामस्वरूप लामरोड़ की रिपोर्ट

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