रूसी LNG से दुनिया ने किया किनारा, तो ​​मिलने लगा डिस्काउंट; अब भारतीय ग्राहक उठा रहे पूरा-पूरा फायदा

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रूसी LNG से दुनिया ने किया किनारा, तो ​​मिलने लगा डिस्काउंट; अब भारतीय ग्राहक उठा रहे पूरा-पूरा फायदा

नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के चलते अधिकांश स्पॉट बायर्स ने रूसी LNG से किनारा कर लिया है। इसका फायदा भारत के लिक्विफाइड नेचुरल गैस यानी LNG इंपोर्टर उठा रहे हैं। भारतीय ग्राहक रूस से अतिरिक्त मात्रा में छूट पर एलएनजी की खरीद कर रहे हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मामले की जानकारी रखने वाले ट्रेडर्स का कहना है कि गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (Gujarat State Petroleum Corporation) और गेल इंडिया लिमिटेड (GAIL India Limited) सहित कुछ कंपनियों ने हाल ही में रूस से कई एलएनजी स्पॉट शिपमेंट, मौजूदा बाजार दरों से कम कीमत पर खरीदे हैं। जब तक रूसी ईंधन प्रतिद्वंद्वी सप्लायर्स की तुलना में सस्ता रहेगा, तब तक वे और ज्यादा खरीद कर सकते हैं।

भारत को लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रैक्ट्स के तहत अपने एलएनजी का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा पहले ही मिल चुका है। लेकिन अब प्रचंड गर्मी और चल रहे ब्लैकआउट देश की यूटिलिटीज को टॉप अप के तौर पर स्पॉट शिपमेंट करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। उर्वरक क्षेत्र में भी गैस की मांग बढ़ने के साथ, कुछ आयातक रियायती रूसी शिपमेंट को तेज कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि रूसी एलएनजी शिपमेंट, भारतीय फर्म्स द्वारा हाल ही के स्पॉट टेंडर के माध्यम से खरीदे गए थे, क्योंकि उन कार्गो को अन्य आपूर्तिकर्ताओं की तुलना में कम कीमत पर ऑफर किया गया था। भारत के बाहर कुछ एलएनजी आयातक, आपूर्तिकर्ताओं को खरीद टेंडर्स में रूसी-मूल के शिपमेंट की पेशकश करने की अनुमति देते हैं।

भारत, रूसी ईंधन के लिए अंतिम उपाय
भारत रूसी तेल पर अधिक छूट की मांग कर रहा है और रूसी ईंधन के लिए एक अंतिम उपाय के रूप में उभरा है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के यूक्रेन पर आक्रमण के कारण बाकी दुनिया ने रूस से दूरी बना ली है। एलएनजी पर कोई प्रत्यक्ष प्रतिबंध नहीं हैं, लेकिन जापान और दक्षिण कोरिया सहित शीर्ष खरीदारों ने भविष्य के दंड या प्रतिष्ठा की क्षति से बचने के लिए खरीदारी रोक दी है। पेट्रो चाइना कंपनी ने शुक्रवार को कहा कि वह किसी भी रियायती रूसी स्पॉट की आपूर्ति की मांग नहीं कर रही है। हालांकि अतिरिक्त स्पॉट एलएनजी शिपमेंट्स से बचा जा रहा है, लेकिन लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रैक्ट्स के तहत अधिकांश रूसी डिलीवरीज, अभी भी दुनिया भर के ग्राहकों द्वारा स्वीकार की जा रही हैं।

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