रिवाइज : जीविका महिलाओं को लखपति दीदियां बनाने को जिले में सर्वे शुरू h3>
जीविका महिलाओं को लखपति दीदियां बनाने को जिले में सर्वे शुरू
प्रशिक्षण के बाद लोन लेकर 2 हजार दीदियां कर रहीं खुद का कारोबार
3 साल में बढ़ा रोजगार, हर माह हो रही 7 से 8 हजार कमाई
सतत जीविकोपार्जन योजना से जोड़ा जा रहा समूह की महिलाओं को
जिले में 3 लाख महिलाएं जुड़ी हैं 29 हजार स्वयं सहायता समूहों से
फोटो :
जीविका दीदी 01 : मसाला पैकेजिंग कारोबार से जुड़ी महिला।
बिहारशरीफ, निज संवाददाता।
बकरी, गौ, मत्स्य पालन, सिलाई-कटाई, ब्यूटिशियन समेत अन्य कामों का प्रशिक्षण लेने के बाद खुद का कारोबार कर अब गांव की गरीब महिलाएं भी आर्थिक उन्नति के रास्ते पर तेजी से निरंतर आगे बढ़ रही हैं। जो महिलाएं कल तक किसी दूसरे पर आश्रित रहती थीं, अब हर माह सात से आठ हजार रुपए कमा रही हैं। अब इन दीदियों का लखपति दीदी बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है। साथ ही, जीविका ने लखपति दीदियों की तलाश भी शुरू कर दी है। उन्हें और आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। ताकि, वे अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन सकें। इसके लिए जिले के सभी 20 प्रखंडों में सर्वे किया जा रहा है।
नालंदा में तीन लाख महिलाएं 29 हजार स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हुई हैं। ये प्रशिक्षण के बाद लोन लेकर कमाई कर रही हैं। इनमें से दो हजार से अधिक दीदियां खुद का कारोबार कर रही हैं। तीन साल में इनका रोजगार काफी तेजी से बढ़ा है। वे हर माह अच्छी खासी कमाई कर रही हैं। घर का काम-काज करते हुए उनकी आमदनी हो रही है। सतत जीविकोपार्जन योजना से जोड़कर समूहों की महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
आत्मनिर्भर बनाना लक्ष्य
जीविका के जिला संचार प्रबंधक (कम्यूनिकेशन मैनेजर) संतोष कुमार ने बताया कि हमारा प्रयास सभी दीदियों को स्वरोजगार से जोड़कर उन्हें आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर बनाना है। ताकि, वे अपना परिवार अच्छी तरह से चला सकें। जिले की लगभग डेढ़ लाख महिलाएं छोटे-मोटे कामों से जुड़ चुकी हैं। इनमें से लगभग डेढ़ हजार महिलाएं अपने घरों में रहते हुए किराना दुकान, ब्यूटी पार्लर, टेलरिंग व अन्य कामों से जुड़कर हर माह अच्छी खासी कमाई कर रही हैं। वहीं सवा दो लाख जीविका दीदियां समूह से लोन लेकर बकरी पालन व अन्य कारोबार कर रही हैं। उनकी आमदनी दिन-ब-दिन बढ़ रही है। अब उनकी कमाई हर माह नौ से 10 हजार करने का प्रयास किया जा रहा है। कई दीदियां इस स्तर तक पहुंच चुकी हैं। वैसी दीदियों की तलाश शुरू कर दी गयी है। ताकि, उन्हें और आगे बढ़ाया जा सके।
कहते हैं अधिकारी :
ग्रामीण इलाकों में कुछ साल पहले तक महिलाएं दिन में घर की दिनचर्या से निपटारा पाकर बेकार बैठी रहती थीं। सालों उनके परिवार को काम नहीं मिलने से घर चलाना मुश्किल होता था। अब स्वयं सहायता समूह से जुड़कर जीविका दीदियां अच्छी कमाई कर रही हैं। ताड़ी, दारू बेचने वाली दर्जनों महिलाएं अब खुद का कारोबार कर रही हैं। स्वरोजगार से जुड़कर धीरे-धीरे अन्य कारोबार कर अपनी आमदनी बढ़ा रही हैं।
संजय पासवान, डीपीएम, जीविका
यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।
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जीविका महिलाओं को लखपति दीदियां बनाने को जिले में सर्वे शुरू
प्रशिक्षण के बाद लोन लेकर 2 हजार दीदियां कर रहीं खुद का कारोबार
3 साल में बढ़ा रोजगार, हर माह हो रही 7 से 8 हजार कमाई
सतत जीविकोपार्जन योजना से जोड़ा जा रहा समूह की महिलाओं को
जिले में 3 लाख महिलाएं जुड़ी हैं 29 हजार स्वयं सहायता समूहों से
फोटो :
जीविका दीदी 01 : मसाला पैकेजिंग कारोबार से जुड़ी महिला।
बिहारशरीफ, निज संवाददाता।
बकरी, गौ, मत्स्य पालन, सिलाई-कटाई, ब्यूटिशियन समेत अन्य कामों का प्रशिक्षण लेने के बाद खुद का कारोबार कर अब गांव की गरीब महिलाएं भी आर्थिक उन्नति के रास्ते पर तेजी से निरंतर आगे बढ़ रही हैं। जो महिलाएं कल तक किसी दूसरे पर आश्रित रहती थीं, अब हर माह सात से आठ हजार रुपए कमा रही हैं। अब इन दीदियों का लखपति दीदी बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है। साथ ही, जीविका ने लखपति दीदियों की तलाश भी शुरू कर दी है। उन्हें और आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। ताकि, वे अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन सकें। इसके लिए जिले के सभी 20 प्रखंडों में सर्वे किया जा रहा है।
नालंदा में तीन लाख महिलाएं 29 हजार स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हुई हैं। ये प्रशिक्षण के बाद लोन लेकर कमाई कर रही हैं। इनमें से दो हजार से अधिक दीदियां खुद का कारोबार कर रही हैं। तीन साल में इनका रोजगार काफी तेजी से बढ़ा है। वे हर माह अच्छी खासी कमाई कर रही हैं। घर का काम-काज करते हुए उनकी आमदनी हो रही है। सतत जीविकोपार्जन योजना से जोड़कर समूहों की महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
आत्मनिर्भर बनाना लक्ष्य
जीविका के जिला संचार प्रबंधक (कम्यूनिकेशन मैनेजर) संतोष कुमार ने बताया कि हमारा प्रयास सभी दीदियों को स्वरोजगार से जोड़कर उन्हें आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर बनाना है। ताकि, वे अपना परिवार अच्छी तरह से चला सकें। जिले की लगभग डेढ़ लाख महिलाएं छोटे-मोटे कामों से जुड़ चुकी हैं। इनमें से लगभग डेढ़ हजार महिलाएं अपने घरों में रहते हुए किराना दुकान, ब्यूटी पार्लर, टेलरिंग व अन्य कामों से जुड़कर हर माह अच्छी खासी कमाई कर रही हैं। वहीं सवा दो लाख जीविका दीदियां समूह से लोन लेकर बकरी पालन व अन्य कारोबार कर रही हैं। उनकी आमदनी दिन-ब-दिन बढ़ रही है। अब उनकी कमाई हर माह नौ से 10 हजार करने का प्रयास किया जा रहा है। कई दीदियां इस स्तर तक पहुंच चुकी हैं। वैसी दीदियों की तलाश शुरू कर दी गयी है। ताकि, उन्हें और आगे बढ़ाया जा सके।
कहते हैं अधिकारी :
ग्रामीण इलाकों में कुछ साल पहले तक महिलाएं दिन में घर की दिनचर्या से निपटारा पाकर बेकार बैठी रहती थीं। सालों उनके परिवार को काम नहीं मिलने से घर चलाना मुश्किल होता था। अब स्वयं सहायता समूह से जुड़कर जीविका दीदियां अच्छी कमाई कर रही हैं। ताड़ी, दारू बेचने वाली दर्जनों महिलाएं अब खुद का कारोबार कर रही हैं। स्वरोजगार से जुड़कर धीरे-धीरे अन्य कारोबार कर अपनी आमदनी बढ़ा रही हैं।
संजय पासवान, डीपीएम, जीविका
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