रिंकू सिंह के भीतर भीम की आत्मा आई, आखिरी ओवर में गदा चलाई, अब गर्व से सीना चौड़ा किए घूम रहे पिता
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के रहने वाले खानचंद ने सोमवार को कहा, ‘मैंने कई बार रिंकू की सिर्फ इसलिए पिटाई की कि वह क्रिकेट खेलकर अपना समय बर्बाद कर रहा था। वह न तो पढ़ाई करता था और ना ही काम में मेरा हाथ बंटाता था।’ घर के हालात ऐसे नहीं थे कि वह रिंकू को बल्ला दिलवा सकते। ट्रेनिंग की बात तो बहुत दूर की है। खानचंद ने बताया कि क्रिकेट के प्रति बेटे की लगन देखकर अक्सर उनका मन भर आता था, लेकिन मुफलिसी के आगे वह बेबस थे। हालांकि रिंकू की खुशकिस्मती थी कि उसे क्रिकेट कोच मसूदउज्जफर अमीनी और क्रिकेट अकादमी संचालित करने वाले अर्जुन सिंह का साथ मिला।
खानचंद कहते हैं कि इन दोनों ने रिंकू की हर तरह से मदद की और अपने करियर को संवारने के लिए उसकी खूब हौसला अफजाई भी की। आज हर तरफ उनके बेटे की कामयाबी के चर्चे हैं। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि रिंकू यहां पहुंच जाएगा। उसकी उपलब्धि किसी ख्वाब के सच होने जैसी है। उत्तर प्रदेश की तरफ से रणजी ट्रॉफी खेलने वाले रिंकू सिंह के कोच रहे मसूदउज्जफर अमीनी को भरोसा है कि आने वाले वक्त में उनका शागिर्द भारतीय टीम के लिए खेलेगा।
रिंकू के करियर के शुरुआती दौर में उन्हें क्रिकेट का ककहरा सिखाने वाले अमीनी ने गुजरात टाइटंस के खिलाफ रविवार को खेली गई सनसनीखेज पारी का जिक्र करते हुए कहा कि रिंकू की क्षमता को देखते हुए उनसे ऐसी पारी की उम्मीद करना कोई बड़ी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि और रिंकू ने जब आखिरी ओवर में शुरुआती दो छक्के मारे तभी कहीं ना कहीं उन्हें इस बात की उम्मीद जग गई थी कि उनका शागिर्द अपनी टीम को जीत दिला देगा क्योंकि वह बेहतरीन ‘फिनिशर’ है। उन्होंने कहा कि रिंकू आक्रामक क्रिकेट खेलने के साथ-साथ एक अच्छा टेस्ट बल्लेबाज भी बन सकतस है क्योंकि उसके अंदर खेल के प्रारूप के हिसाब से खुद को ढालने की विलक्षण क्षमता है।