रामलीला के दर्शन अवधि डेढ़ घंटे हुई कम: सुबह सात बजे से रात्रि नौ बजे तक होगा दर्शन, प्रतिष्ठा द्वादशी महोत्सव पर डेढ़ घंटे बढ़ा था समय – Ayodhya News h3>
राम लला के दर्शन की अवधि में बदलाव हुआ है।
श्री राम जन्मभूमि परिसर में अब राम लला का दर्शन अवधि एक बार फिर डेढ़ घंटे कम कर दिया गया है। प्राण-प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ पर आयोजित त्रिदिवसीय प्रतिष्ठा द्वादशी महोत्सव के समापन के साथ ही राम मंदिर की व्यवस्थाएं बदल गई है। सबसे बढ़ा बदलाव रामलीला क
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राम मंदिर की व्यवस्था के अनुसार रामलला का उत्थापन सुबह चार बजे कराया जाता है। इसके उपरांत गौ दर्शन कराकर साढ़े चार बजे मंगला आरती की जाती है। पुन भगवान का अभिषेक के साथ पंचोपचार पूजन कर उनका श्रृंगार किया जाता है और फिर साढ़े छह बजे श्रृंगार आरती की जाती है। इसके बाद रामलला आम श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए सुलभ होते हैं।
पूर्व व्यवस्था के आधार पर श्रद्धालु करेंगे राम लला का दर्शन
इसी तरह मध्याह्न में राजभोग आरती के बाद रामलला को साढ़े 12 बजे से अपराह्न डेढ़ बजे तक विश्राम दिया जाता है। डेढ़ बजे भगवान के उत्थापन के बाद दर्शन का क्रम चलता रहता है और सायं सात बजे भगवान की संध्या आरती की जाती है।
श्री राम लला को छप्पन प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया गया।
रामलला को लगा छप्पन भोग,प्रसाद बांटा गया
मकर संक्रांति के अवसर पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से भगवान श्री राम लला को छप्पन प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया गया। इसके बाद समस्त प्रसाद को दर्शनार्थियों में वितरित किया गया। स्नान पर्व होने के कारण मकर संक्रांति पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे थे। सरयू में स्नान का क्रम ब्रह्म मुहूर्त से ही प्रारंभ हो गया था। श्रीराम लला के दर्शन को भी अधिसंख्य श्रद्धालु पहुंचे। इसके अलावा प्रतिष्ठा द्वादशी में सम्मिलित होने आए अनेक लोग अभी भी राम नगरी में ठहरे हुए हैं।
पुजारियों के लिए बनाई गई नियमावली के मुताबिक हर माह की दो तिथियों में ही पुजारियों की पाली में बदलाव किया जा रहा ।
पुजारियों की पाली में किया गया बदलाव
राम मंदिर में तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से पुजारियों के लिए बनाई गई नियमावली के मुताबिक हर माह की दो तिथियों में ही पुजारियों की पाली में बदलाव किया जाएगा। यह पाली स्वत रोटेशन के आधार पर बदल जाया करेगी। नियमावली के लागू होने के बाद पहली बार बदलाव पौष कृष्ण अमावस्या को हुआ था, जबकि दूसरी बार यह बदलाव पौष शुक्ल पूर्णिमा से हुआ है। इसके चलते सायं कालीन सेवा के पुजारी गण प्रात कालीन सेवा में आ गये और प्रात कालीन सेवा में तैनात पुजारी गण सायं कालीन सेवा में चले गये है।
पुजारियों के पाली में बदलाव किया गया।