रात में ड्यूटी से गायब डॉक्टर | Doctor missing from duty at night | Patrika News h3>
जिला अस्पताल के बंद होने के बाद पश्चिम क्षेत्र की गरीब जनता के लिए बाणगंगा अस्पताल ही बड़ा सहारा है। 30 बिस्तर के इस अस्पताल में लगभग 5 से 10 मरीज हर समय भर्ती रहते हैं। इनमें गर्भवती महिलाओं के साथ ही अन्य गंभीर बीमारियों से पीडि़त लोग भी शामिल हैं। वहीं इनको सही समय पर चिकित्सा सुविधा मिल सके, इसके लिए यहां पर एक डॉक्टर की ड्यूटी नाइट में लगाई जाती है। सोमवार को भी यहां पर डॉ. वैभव की नाइट ड्यूटी थी। लेकिन वे ड्यूटी पर नहीं थे। रात में लगभग सवा तीन बजे अमन मालवीय यहां गंभीर स्थिति में अपने मरीज के साथ पहुंचे थे, लेकिन ड्यूटी पर डॉक्टर ही मौजूद नहीं थे। अस्पताल में एक नर्स और वहां पर मौजूद एक अन्य महिला सहयोगी ही थे। इन दोनों ने ही डॉक्टर के आने पर ही इलाज शुरू करने की बात कही। पहले तो वे 5 मिनट में डॉक्टर के आने की बात करते रहे, लेकिन लगभग 25 मिनट से भी ज्यादा समय डॉक्टर यहां नहीं पहुंचे, वहीं नर्स और स्टॉफ जल्द डॉक्टर के आने की बात करते रहे। जब उन्होंने डॉक्टर का नंबर लेकर उन्हें स्थिति बताते हुए आने को कहा तो डॉक्टर ने 5 मिनट में आने की बात कही। लेकिन उसके बाद में भी वे नहीं पहुंचे। इसी बीच लगातार समय निकलता देख मरीजों के परीजनों ने जब अस्पताल के मरीजों की हालत खराब होने पर नाराज होना शुरू किया तो अस्पताल में मौजूद स्टॉफ उन्हें चुप कराता रहा। जब वे लोग नाराज हो रहे थे तो लगभग 4.40 बजे डॉक्टर यहां पर पहुंचे। लेकिन वे ये नहीं बता रहे थे कि जब उनकी ड्यूटी अस्पताल में थी तो वे कहां गए थे। अस्पताल पहुंचने के बाद डॉक्टर जरूरी काम से जाना बताकर टालते रहे और अस्पताल पहुंचने के लगभग डेढ़ घंटे बाद मरीज का इलाज शुरू किया।
मेरी भाभी तडफ रही थी वो गायब थे
परिजन अमन मालवीय ने बताया कि मेरी भाभी की डिलेवरी होनी थी और उनकी हालत खराब हो रही थी, वे परेशान हो रही थी। उन्हे रेफर करवाना था, उसके लिए ड्यूटी डॉक्टर की साइन की जरूरत थी। लेकिन डॉक्टर ड्यूटी पर ही नहीं था। हम परेशान होते रहे, लेकिन वो आने को तैयार नहीं था। और जब आया तो भी साइन करने से बच रहा था। बाद में माफी मांगता रहा। अपनी बेटी की तबीयत खराब होने का बोलकर घर जाने की बात करता रहा।
एक डॉक्टर के भरोसे अस्पताल बाणगंगा अस्पताल इस क्षेत्र की लगभग 2 लाख से ज्यादा जनता को राहत देने के लिए बनाया गया था। 5 साल पहले बने इस अस्पताल में हालत ये है कि अभी तक पूरा स्टॉफ ही यहां नियुक्त नहीं किया जा सका है। वहीं यहां पर अभी भी ओपीडी में अन्य अस्पतालों के डॉक्टर्स की बदली में ड्यूटी लगाई जाती है। हालत ये है कि कभी कभी अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए एक डॉक्टर ही रहता है। और यदि वे भी कहीं चले जाएं तो मरीजों को देखने वाला कोई नहीं होता है।
– मुझे इसकी जानकारी नहीं है। मैं इस पूरे मामले को दिखवाता हूं। यदि डॉक्टर की ड्यूटी लगाई गई थी तो उन्हें अस्पताल में रहना चाहिए था। मैं मामले की जानकारी लेने के बाद ही कुछ बता पाऊंगा।
0 डॉ. बीएस सेतिया, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी
जिला अस्पताल के बंद होने के बाद पश्चिम क्षेत्र की गरीब जनता के लिए बाणगंगा अस्पताल ही बड़ा सहारा है। 30 बिस्तर के इस अस्पताल में लगभग 5 से 10 मरीज हर समय भर्ती रहते हैं। इनमें गर्भवती महिलाओं के साथ ही अन्य गंभीर बीमारियों से पीडि़त लोग भी शामिल हैं। वहीं इनको सही समय पर चिकित्सा सुविधा मिल सके, इसके लिए यहां पर एक डॉक्टर की ड्यूटी नाइट में लगाई जाती है। सोमवार को भी यहां पर डॉ. वैभव की नाइट ड्यूटी थी। लेकिन वे ड्यूटी पर नहीं थे। रात में लगभग सवा तीन बजे अमन मालवीय यहां गंभीर स्थिति में अपने मरीज के साथ पहुंचे थे, लेकिन ड्यूटी पर डॉक्टर ही मौजूद नहीं थे। अस्पताल में एक नर्स और वहां पर मौजूद एक अन्य महिला सहयोगी ही थे। इन दोनों ने ही डॉक्टर के आने पर ही इलाज शुरू करने की बात कही। पहले तो वे 5 मिनट में डॉक्टर के आने की बात करते रहे, लेकिन लगभग 25 मिनट से भी ज्यादा समय डॉक्टर यहां नहीं पहुंचे, वहीं नर्स और स्टॉफ जल्द डॉक्टर के आने की बात करते रहे। जब उन्होंने डॉक्टर का नंबर लेकर उन्हें स्थिति बताते हुए आने को कहा तो डॉक्टर ने 5 मिनट में आने की बात कही। लेकिन उसके बाद में भी वे नहीं पहुंचे। इसी बीच लगातार समय निकलता देख मरीजों के परीजनों ने जब अस्पताल के मरीजों की हालत खराब होने पर नाराज होना शुरू किया तो अस्पताल में मौजूद स्टॉफ उन्हें चुप कराता रहा। जब वे लोग नाराज हो रहे थे तो लगभग 4.40 बजे डॉक्टर यहां पर पहुंचे। लेकिन वे ये नहीं बता रहे थे कि जब उनकी ड्यूटी अस्पताल में थी तो वे कहां गए थे। अस्पताल पहुंचने के बाद डॉक्टर जरूरी काम से जाना बताकर टालते रहे और अस्पताल पहुंचने के लगभग डेढ़ घंटे बाद मरीज का इलाज शुरू किया।
मेरी भाभी तडफ रही थी वो गायब थे
परिजन अमन मालवीय ने बताया कि मेरी भाभी की डिलेवरी होनी थी और उनकी हालत खराब हो रही थी, वे परेशान हो रही थी। उन्हे रेफर करवाना था, उसके लिए ड्यूटी डॉक्टर की साइन की जरूरत थी। लेकिन डॉक्टर ड्यूटी पर ही नहीं था। हम परेशान होते रहे, लेकिन वो आने को तैयार नहीं था। और जब आया तो भी साइन करने से बच रहा था। बाद में माफी मांगता रहा। अपनी बेटी की तबीयत खराब होने का बोलकर घर जाने की बात करता रहा।
मेरी भाभी तडफ रही थी वो गायब थे
परिजन अमन मालवीय ने बताया कि मेरी भाभी की डिलेवरी होनी थी और उनकी हालत खराब हो रही थी, वे परेशान हो रही थी। उन्हे रेफर करवाना था, उसके लिए ड्यूटी डॉक्टर की साइन की जरूरत थी। लेकिन डॉक्टर ड्यूटी पर ही नहीं था। हम परेशान होते रहे, लेकिन वो आने को तैयार नहीं था। और जब आया तो भी साइन करने से बच रहा था। बाद में माफी मांगता रहा। अपनी बेटी की तबीयत खराब होने का बोलकर घर जाने की बात करता रहा।
एक डॉक्टर के भरोसे अस्पताल बाणगंगा अस्पताल इस क्षेत्र की लगभग 2 लाख से ज्यादा जनता को राहत देने के लिए बनाया गया था। 5 साल पहले बने इस अस्पताल में हालत ये है कि अभी तक पूरा स्टॉफ ही यहां नियुक्त नहीं किया जा सका है। वहीं यहां पर अभी भी ओपीडी में अन्य अस्पतालों के डॉक्टर्स की बदली में ड्यूटी लगाई जाती है। हालत ये है कि कभी कभी अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए एक डॉक्टर ही रहता है। और यदि वे भी कहीं चले जाएं तो मरीजों को देखने वाला कोई नहीं होता है।
– मुझे इसकी जानकारी नहीं है। मैं इस पूरे मामले को दिखवाता हूं। यदि डॉक्टर की ड्यूटी लगाई गई थी तो उन्हें अस्पताल में रहना चाहिए था। मैं मामले की जानकारी लेने के बाद ही कुछ बता पाऊंगा।
0 डॉ. बीएस सेतिया, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी