राजस्थान विधानसभा से पास 2 विधेयक राजभवन ने लौटाए वापस, एक पर खुद सरकार ले चुकी यू-टर्न, जानिए वजह h3>
रामस्वरूप लामरोड़, जयपुर : राजस्थान विधानसभा सत्र के बीते सत्र के दौरान राज्य सरकार की ओर से हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति की योग्यता में बदलाव का एक विधेयक पेश किया गया था। सदन में विधेयक को पारित करके राजभवन भिजवा दिया गया। अब राजभवन ने इस विधेयक को तय किए गए प्रावधानों पर पुनर्विचार करने का हवाला देकर वापस लौटा दिया। नए विधेयक में कुलपति की योग्यता में पत्रकारिता का अनुभव 10 साल के बजाय 20 साल करने का प्रावधान किया गया था। राजभवन ने यह टिप्पणी करते हुए बिल को वापस लौटा दिया कि विभिन्न नियामक संस्थाओं के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए इस बिल पर पुनर्परीक्षण कराया जाए।
कुलपति की योग्यता में 10 साल प्रोफेसर का अनुभव जरूरी तो पत्रकारिता में 20 वर्ष क्यों?
इसी साल फरवरी में हुए विधानसभा सत्र में हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति की योग्यता में बदलाव का संशोधित विधेयक पेश किया गया था। इस विधेयक में संशोधन करते हुए पत्रकारिता के 10 साल के अनुभव के स्थान पर 20 साल का अनुभव अनिवार्य किया गया था। वर्तमान में सभी विश्वविद्यालयों में कुलपति के लिए योग्यता में 10 साल के प्रोफेसर का अनुभव होना अनिवार्य है। राजभवन के मुताबिक अगर अन्य विद्यालयों में कुलपति की योग्यता 10 साल के अनुभव की है तो केवल पत्रकारिता विश्वविद्यालय में कुलपति की योग्यता में 20 साल की पत्रकारिता का अनुभव का प्रावधान क्यों किया जा रहा है? इसी पर पुनर्परीक्षण करने को कहा गया है।
‘राजस्थान एडवोकेट वेलफेयर फंड संशोधन विधेयक 2020’ भी राजभवन ने लौटाया वापस
7 मार्च, 2020 को राजस्थान विधानसभा में ‘राजस्थान एडवोकेट वेलफेयर फंड संशोधन विधेयक 2020’ पास किया गया। राज्यपाल की स्वीकृति के लिए 24 मार्च को विधेयक राजभवन भेजा गया। इस बिल में कई तरह की आपत्तियां प्राप्त हुई थी। बार काउंसिल ऑफ राजस्थान और विभिन्न डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन ने इस बिल को लेकर कई आपत्ति दर्ज कराई थी। राज्यपाल ने अपने संदेश में कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने नए वकीलों की लाइफ टाइम सब्सक्रिप्शन फीस 17,500 से बढ़ाकर 30 हजार करने का फैसला लिया है। हालांकि, राजस्थान विधानसभा से पास हुए इस बिल के जरिए राजस्थान सरकार ने नए वकीलों को लाइफ टाइम सब्सक्रिप्शन के लिए एक लाख और स्टाम्प फीस 25 से बढ़ाकर 50 कर दी है। इस तरह की कई कमियों को देखते हुए इस विधेयक को वापस लौटा दिया गया।
‘राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण (संशोधन) विधयेक 2021’ को खुद सरकार ने वापस मंगवाया
पिछले साल राजस्थान सरकार ‘राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण संशोधन विधेयक 2021’ लेकर आई थी। इस विधेयक में शादी के लिए युवक-युवती की कानूनी उम्र को दरकिनार करते हुए उनके माता-पिता या अभिभावक की अनुमति से 30 दिन के भीतर विवाह का पंजीकरण करने का प्रावधान किया गया था। इस विधेयक देशभर में विरोध हुआ। कई सामाजिक संगठनों ने इस विधेयक के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा कि अगर यह कानून बन गया तो बाल विवाह को बढ़ावा मिलेगा। कई संगठनों ने इस विधेयक के खिलाफ कोर्ट में याचिकाएं दाखिल करते हुए चुनोती भी दी थी। देशभर में हुए विरोध को देखते हुए सरकार ने इस विधेयक को राजभवन से वापस मंगवा लिया।
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इसी साल फरवरी में हुए विधानसभा सत्र में हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति की योग्यता में बदलाव का संशोधित विधेयक पेश किया गया था। इस विधेयक में संशोधन करते हुए पत्रकारिता के 10 साल के अनुभव के स्थान पर 20 साल का अनुभव अनिवार्य किया गया था। वर्तमान में सभी विश्वविद्यालयों में कुलपति के लिए योग्यता में 10 साल के प्रोफेसर का अनुभव होना अनिवार्य है। राजभवन के मुताबिक अगर अन्य विद्यालयों में कुलपति की योग्यता 10 साल के अनुभव की है तो केवल पत्रकारिता विश्वविद्यालय में कुलपति की योग्यता में 20 साल की पत्रकारिता का अनुभव का प्रावधान क्यों किया जा रहा है? इसी पर पुनर्परीक्षण करने को कहा गया है।
‘राजस्थान एडवोकेट वेलफेयर फंड संशोधन विधेयक 2020’ भी राजभवन ने लौटाया वापस
7 मार्च, 2020 को राजस्थान विधानसभा में ‘राजस्थान एडवोकेट वेलफेयर फंड संशोधन विधेयक 2020’ पास किया गया। राज्यपाल की स्वीकृति के लिए 24 मार्च को विधेयक राजभवन भेजा गया। इस बिल में कई तरह की आपत्तियां प्राप्त हुई थी। बार काउंसिल ऑफ राजस्थान और विभिन्न डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन ने इस बिल को लेकर कई आपत्ति दर्ज कराई थी। राज्यपाल ने अपने संदेश में कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने नए वकीलों की लाइफ टाइम सब्सक्रिप्शन फीस 17,500 से बढ़ाकर 30 हजार करने का फैसला लिया है। हालांकि, राजस्थान विधानसभा से पास हुए इस बिल के जरिए राजस्थान सरकार ने नए वकीलों को लाइफ टाइम सब्सक्रिप्शन के लिए एक लाख और स्टाम्प फीस 25 से बढ़ाकर 50 कर दी है। इस तरह की कई कमियों को देखते हुए इस विधेयक को वापस लौटा दिया गया।
‘राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण (संशोधन) विधयेक 2021’ को खुद सरकार ने वापस मंगवाया
पिछले साल राजस्थान सरकार ‘राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण संशोधन विधेयक 2021’ लेकर आई थी। इस विधेयक में शादी के लिए युवक-युवती की कानूनी उम्र को दरकिनार करते हुए उनके माता-पिता या अभिभावक की अनुमति से 30 दिन के भीतर विवाह का पंजीकरण करने का प्रावधान किया गया था। इस विधेयक देशभर में विरोध हुआ। कई सामाजिक संगठनों ने इस विधेयक के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा कि अगर यह कानून बन गया तो बाल विवाह को बढ़ावा मिलेगा। कई संगठनों ने इस विधेयक के खिलाफ कोर्ट में याचिकाएं दाखिल करते हुए चुनोती भी दी थी। देशभर में हुए विरोध को देखते हुए सरकार ने इस विधेयक को राजभवन से वापस मंगवा लिया।