राजस्थान में अब नकल करने वालों की खैर नहीं! 1 साल पहले किए समझौते के बाद आने वाला है ये कानून h3>
Sambrat Chaturvedi | Lipi | Updated: Feb 25, 2022, 3:10 PM
Rajasthan News: राजस्थान में नकल विरोधी कानून को लेकर एक साल पहले 23 फरवरी 2021 को सरकार ने बेरोजगारों के साथ एक लिखित समझौता किया था। अब बेरोजगारों की मांग पर सरकार परीक्षा में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ सख्त रुख अपनाने जा रही है। इसके लिए गहलोत सरकार राजस्थान परीक्षा विधेयक 2022 लेकर आई है।
हाइलाइट्स
- राजस्थान परीक्षा विधेयक 2022 लेकर आई गहलोत सरकार
- विधेयक को गुरुवार को सदन के पटल पर रखा गया
- 23 फरवरी 2021 को सरकार ने बेरोजगारों के साथ किया था लिखित समझौता
रामस्वरूप लामरोड़, जयपुर: राज्य की अशेाक गहलोत सरकार की ओर से गुरुवार को पेश किए गए नकल विरोधी विधेयक का राजस्थान के युवा वर्ग ने स्वागत किया है। राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ की ओर से भी लंबे समय से राज्य सरकार के समक्ष इसे लेकर मांग उठाई जा रही थी। प्रतियोगिता परीक्षाओं में होने वाली गड़बड़ियों को रोकने के लिए आन्दोलन भी किया गया था। कई दिनों के महापड़ाव के बाद राज्य सरकार के तीन मंत्रियों की कमेटी ने 23 फरवरी 2021 को बेरोजगारों के साथ लिखित समझौता किया था कि वे नकल विरोधी कानून लेकर आएंगे। इस समझौते के ठीक एक साल बाद 24 फरवरी 2022 को राज्य सरकार की ओर से राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक 2022 पेश कर दिया। उपने यादव ने इसे बेरोजगारों की बड़ी जीत बताया है।
बेरोजगारों की मांग- गड़बड़ी करने वाले परीक्षार्थियों को आजीवन डिबार किया जाए
हालांकि राज्य सरकार द्वारा पेश किए गए इस विधेयक कई सख्त प्रावधान जोड़े गए हैं। भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी करने वाले पर अगर दोष सिद्ध होता है तो उसे 10 साल के कारावास की सजा होगी। साथ ही अधिकतम 10 करोड़ रुपए तक के जुर्माने से दंडित किया जाएगा। नकल, पेपर लीक, फर्जी अभ्यर्थी, केन्द्र अधीक्षक या परीक्षक की ओर से मिलीभगत या अन्य किसी भी प्रकार की धांधली का प्रयास करने वालों के खिलाफ सरकार सख्त कार्रवाई करेगी। साथ ही अगर कोई परीक्षार्थी धांधली करने में लिप्त पाया जाता है तो उसे आगामी तीन साल तक डिबार (प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए अयोग्य) कर दिया जाएगा। उपेन यादव की मांग है कि गड़बड़ियों में लिप्त पाए जाने वाले परीक्षार्थियों को आजीवन डिबार किया जाना चाहिए। इसके लिए वे राज्य सरकार के साथ जल्द ही वार्ता करके सुझाव देंगे।
वर्ष 1992 में भी बना था नकल विरोधी कानून, सख्त प्रावधान नहीं होने से प्रभावहीन रहा
राजस्थान में वर्ष 1992 में भी राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम बना था। तीस साल पुराने इस कानून में सख्त प्रावधान नहीं होने की वजह से यह कानून होने के बावजूद प्रतियोगिता परीक्षाओं में गड़बड़ियों को रोका नहीं जा सका। पेपर लीक और नकल के मामलों में संगठित गिरोह बनकर लगातार वारदातें करने लगे। हालांकि कई आरोपियों को जेल भेजा गया लेकिन सख्त सजा के अभाव में इन प्रकरणों पर रोकथान नहीं लगाई जा सकी। ऐसे में राज्य सरकार अब नया नकल विरोधी कानून लेकर आई है।
राजस्थान सरकार के अधीन होने वाली भर्तियों पर लागू रहेगा कानून, केन्द्रीय भर्ती परीक्षाओं पर लागू नहीं होगा
नए विधेयक के पास होने के बाद जब यह कानून बन जाएगा तो राजस्थान सरकार के अधीन होने वाली सभी प्रतियोगिता परीक्षाएं इसके दायरे में आएंगी। अर्थात राजस्थान लोक सेवा आयोग, राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड, राजस्थान उच्च न्यायालय, राज्य सरकार द्वारा गठित बोर्ड या अन्य भर्ति समितियां, राजस्थान विश्वविद्यालय, माध्यिक शिक्षा बोर्ड, राज्य सरकार के स्वामित्व वाले पब्लिक सेक्टर उपक्रम, सोसायटी, निगम, स्थानीय निकाय इस कानून के दायरे में आएंगे। केन्द्र के अधीन आने वाले सीबीएसई, नीट, यूपीएससी और जेईई की परीक्षाएं इस कानून के दायरे से बाहर होंगे।
Rajasthan Budget 2022: राजस्थान की जनता को कांग्रेस के बजट में क्या-क्या मिला?
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Web Title : the rajasthan public examination bill 2022 and stiffer penalties for cheating and impersonation in recruitment examinations
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Sambrat Chaturvedi | Lipi | Updated: Feb 25, 2022, 3:10 PM
Rajasthan News: राजस्थान में नकल विरोधी कानून को लेकर एक साल पहले 23 फरवरी 2021 को सरकार ने बेरोजगारों के साथ एक लिखित समझौता किया था। अब बेरोजगारों की मांग पर सरकार परीक्षा में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ सख्त रुख अपनाने जा रही है। इसके लिए गहलोत सरकार राजस्थान परीक्षा विधेयक 2022 लेकर आई है।
हाइलाइट्स
- राजस्थान परीक्षा विधेयक 2022 लेकर आई गहलोत सरकार
- विधेयक को गुरुवार को सदन के पटल पर रखा गया
- 23 फरवरी 2021 को सरकार ने बेरोजगारों के साथ किया था लिखित समझौता
बेरोजगारों की मांग- गड़बड़ी करने वाले परीक्षार्थियों को आजीवन डिबार किया जाए
हालांकि राज्य सरकार द्वारा पेश किए गए इस विधेयक कई सख्त प्रावधान जोड़े गए हैं। भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी करने वाले पर अगर दोष सिद्ध होता है तो उसे 10 साल के कारावास की सजा होगी। साथ ही अधिकतम 10 करोड़ रुपए तक के जुर्माने से दंडित किया जाएगा। नकल, पेपर लीक, फर्जी अभ्यर्थी, केन्द्र अधीक्षक या परीक्षक की ओर से मिलीभगत या अन्य किसी भी प्रकार की धांधली का प्रयास करने वालों के खिलाफ सरकार सख्त कार्रवाई करेगी। साथ ही अगर कोई परीक्षार्थी धांधली करने में लिप्त पाया जाता है तो उसे आगामी तीन साल तक डिबार (प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए अयोग्य) कर दिया जाएगा। उपेन यादव की मांग है कि गड़बड़ियों में लिप्त पाए जाने वाले परीक्षार्थियों को आजीवन डिबार किया जाना चाहिए। इसके लिए वे राज्य सरकार के साथ जल्द ही वार्ता करके सुझाव देंगे।
वर्ष 1992 में भी बना था नकल विरोधी कानून, सख्त प्रावधान नहीं होने से प्रभावहीन रहा
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राजस्थान सरकार के अधीन होने वाली भर्तियों पर लागू रहेगा कानून, केन्द्रीय भर्ती परीक्षाओं पर लागू नहीं होगा
नए विधेयक के पास होने के बाद जब यह कानून बन जाएगा तो राजस्थान सरकार के अधीन होने वाली सभी प्रतियोगिता परीक्षाएं इसके दायरे में आएंगी। अर्थात राजस्थान लोक सेवा आयोग, राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड, राजस्थान उच्च न्यायालय, राज्य सरकार द्वारा गठित बोर्ड या अन्य भर्ति समितियां, राजस्थान विश्वविद्यालय, माध्यिक शिक्षा बोर्ड, राज्य सरकार के स्वामित्व वाले पब्लिक सेक्टर उपक्रम, सोसायटी, निगम, स्थानीय निकाय इस कानून के दायरे में आएंगे। केन्द्र के अधीन आने वाले सीबीएसई, नीट, यूपीएससी और जेईई की परीक्षाएं इस कानून के दायरे से बाहर होंगे।
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