राजस्थान की सियासत में फंसी ERCP परियोजना को लेकर आई बड़ी खबर, गहलोत बोले- राज्यसभा चुनाव के बाद मिलेगी खुशखबरी

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राजस्थान की सियासत में फंसी ERCP परियोजना को लेकर आई बड़ी खबर, गहलोत बोले- राज्यसभा चुनाव के बाद मिलेगी खुशखबरी

राजस्थान की सियासत में फंसी ERCP परियोजना को लेकर आई बड़ी खबर, गहलोत बोले- राज्यसभा चुनाव के बाद मिलेगी खुशखबरी

जयपुर : राज्यसभा चुनाव में तीन सीटों पर मिली जीत को लेकर सीएम गहलोत और कांग्रेस पार्टी उत्साह से लबरेज है। इसी बीच सूबे के सीएम अशोक गहलोत ने एक बार फिर राजस्थान की सियासत में फंसी ईस्टर्न कैनाल परियोजना यानी (ईआरसीपी) का मुद्दा उठा दिया है। गहलोत ने रणदीप सिंह सुरजेवाला , मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी के जीतने के बाद मीडिया से बात की। इस बातचीत के दौरान गहलोत ने एक बार फिर ईआरसीपी परियोजना का जिक्र छेड़ दिया। उन्होंने कहा कि “तीनों हमारे वरिष्ठ साथी हैं देश के बड़े नेता हैं, मुझे पूरा यकीन है कि जो समस्याएं हमारे राजस्थान की अलग तरह की हैं, विशेष रूप से ईआरसीपी की, जो ईस्टर्न कैनाल है वो बहुत बड़ा मुद्दा राजस्थान में है, यकीन है कि तीनों साथी उसे मजबूती से उठाएंगे।”


ईआरसीपी योजना क्या है?
ईस्टर्न राजस्थान कैनाल योजना की घोषणा 2017-2018 के बजट में तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार ने की थी। ईआरपीसी परियोजना के जरिए झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी , सवाई माधोपुर जैसे 13 जिलों की सिंचाई और पानी की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। रिपोटर्स की मानें, तो इस योजना के लिए मुख्यमंत्री पिछले दो साल में आधा दर्जन पत्र प्रधानमंत्री और जल शक्ति मंत्री को लिख चुके हैं। नीति आयोग की बैठक में भी इसका मुद्दा उठ चुका है। प्रोजेक्ट की डीपीआर बने पांच साल से भी ज्यादा समय हो चुका है, लेकिन फिर भी यह मुद्दा केंद्र और राज्य के बीच अटका हुआ है।

ईआरसीपी को लेकर क्यों फंसा हुआ पेंच
दरअसल सीएम गहलोत कई दफे यह आरोप चुके हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान की चुनावी सभाओं में दो बार ईस्टर्न कैनाल परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने का वादा किया था, लेकिन उसे आज तक पूरा नहीं किया । इधर बीजेपी का कहना है कि ईआरसीपी को लेकर परीक्षण किया जा चुका है। जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत इसके लिए राजस्थान सरकार को दोषी बताते हैं। उनका कहना है इस परियोजना में तकनीकी खामियां है। इस पर मध्यप्रदेश सरकार की एनओसी भी नहीं है, ऐसे में इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाना विचाराधीन है।

ईस्टर्न कैनाल परियोजना के पीछे क्या है सियासी कारण
प्रदेश के 13 जिलों को सिचाई और पेयजल की व्यवस्थाओं से जोड़ने वाली ईस्टर्न कैनाल परियोजना को लेकर बीजेपी – कांग्रेस के अलावा दूसरी पार्टियां भी मुद्दा बनाती रही है। इसकी बड़ी सियासी वजह यह है कि 2 लाख हेक्टेयर से अधिक की इस परियोजना के पूरा होने से आधे राजस्थान को फायदा होगा। वहीं एक बड़ा तबका उस सरकार के साथ हो जाएगा, जो इसे पूरा करवाएगी, चूंकि परियोजना वसुंधरा सरकार में शुरू हुई और वर्तमान में कांग्रेस सरकार है, लिहाजा इसे अगले विधानसभा तक खींचे जाने को लेकर अटकलें बनीं हुई है।

अपने दम पर क्यों पूरा कर सकती राज्य सरकार इस योजना को पूरा
3.5 करोड़ लोगों की प्यास बुझाने वाली 4.31 लाख हेक्टेयर की सिंचाई असली मुद्दा खर्च का है। पूरी परियोजना 60 हजार करोड़ की है। केंद्र चाहता है कि 75 फीसदी खर्च राजस्थान उठाए। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि राजस्थान पहले मध्यप्रदेश से एनओसी लेकर आए। इधर प्रदेश की मांग परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की है, ताकि 90 फीसदी खर्च केंद्र उठाए।

इससे इस परियोजना का व्यापक लाभ प्रदेश की जनता को मिल सकेगा। राष्ट्रीय परियोजना घोषित होने के बाद राज्य सरकार को खर्च होने वाली राशि का 10 प्रतिशत वहन करना होगा। जानकारों का कहना है कि 21 हजार करोड़ कृषि-जलापूर्ति बजट रखने वाला राज्य (राजस्थान) 45 हजार करोड़ खर्चे होने वाली इस योजना को अपने दम पर पूरा नहीं करवा सकता है।

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