राजस्थान का पहला सफल पीडियाट्रिक लिवर ट्रांसप्लांट, 12 घंटे सर्जरी कर 25 डॉक्टरों ने बचाया साक्षी का जीवन | Rajasthan First Successful Pediatric liver transplant 25 doctors saved Sakshi life by doing 12 hours surgery | News 4 Social

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राजस्थान का पहला सफल पीडियाट्रिक लिवर ट्रांसप्लांट, 12 घंटे सर्जरी कर 25 डॉक्टरों ने बचाया साक्षी का जीवन | Rajasthan First Successful Pediatric liver transplant 25 doctors saved Sakshi life by doing 12 hours surgery | News 4 Social

राजस्थान का पहला सफल पीडियाट्रिक लिवर ट्रांसप्लांट, 12 घंटे सर्जरी कर 25 डॉक्टरों ने बचाया साक्षी का जीवन | Rajasthan First Successful Pediatric liver transplant 25 doctors saved Sakshi life by doing 12 hours surgery | News 4 Social

Rajasthan First Successful Pediatric Liver Transplant : राजस्थान ने एक नया कीर्तिमान बनाया। 12 घंटे सर्जरी कर 25 डॉक्टरों ने राजस्थान का पहला सफल पीडियाट्रिक लिवर ट्रांसप्लांट किया। साक्षी की जान बच गई। आनुवांशिक बीमारी के कारण साक्षी का लिवर खराब हो गया था। पर अब ठीक है।

Pediatric liver transplant Successful : राजस्थान ने एक नया कीर्तिमान बनाया। 12 घंटे सर्जरी कर 25 डॉक्टरों ने राजस्थान का पहला सफल पीडियाट्रिक लिवर ट्रांसप्लांट किया। 12 वर्षीय किशोरी साक्षी की जान बच गई। आनुवांशिक बीमारी के कारण साक्षी का लिवर खराब हो गया था। पर अब ठीक है। महात्मा गांधी अस्पताल के 25 चिकित्सकों ने 12 घंटे तक सर्जरी करते हुए 12 वर्षीय एक किशोरी साक्षी का सफल लिवर ट्रांसप्लांट कर जान बचाई है। चिकित्सकों का दावा है कि राजस्थान में पीडियाट्रिक लिवर ट्रांसप्लांट का यह पहला मामला है। अस्पताल के मुख्य लिवर सर्जन डॉ. नैमिष मेहता ने बताया कि कोटखावदा निवासी साक्षी 6 वर्ष से पीलिया, पेट में पानी व लिवर सिरोसिस जैसी लिवर की गंभीर बीमारी से जूझ रही थी।

बायोप्सी जांच में बीमारी का पता चला

साक्षी की बायोप्सी जांच में पता चला कि उसे लिवर की आनुवांशिक बीमारी है। इस बीमारी से कुछ समय पहले उसकी 9 वर्षीय बहन की भी मौत हो चुकी है। महात्मा गांधी अस्पताल में उन्हें लिवर ट्रांसप्लांट के लिए कहा गया। मैचिंग लिवर डोनर के लिए उसकी मां कैलाशी देवी का ब्लड ग्रुप का मिलान हो गया। उसके बाद 18 अगस्त को लिवर ट्रांसप्लांट किया गया।अस्पताल के पीडियाट्रिक क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ. रुप शर्मा ने बताया कि यह ट्रांसप्लांट जोखिम भरा था। क्योंकि इसमें खून का रिसाव ज्यादा होने के साथ ही रिकवरी के दौरान भी संक्रमण का खतरा था।

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अब दूसरे राज्यों से आ रहे मरीज

महात्मा गांधी मेडिकल यूनिवर्सिटी के चेयरपर्सन डॉ. विकास चंद्र स्वर्णकार ने बताया कि पहले लिवर, पैंक्रियाज के इलाज के लिए मरीजों को दूसरे राज्य जाना पडता था, अब वहां से यहां आ रहे हैं। एमेरिटस चेयरपर्सन डॉ.एमएल स्वर्णकार ने बताया कि 15 लाख रुपए में होने वाला ये ट्रांसप्लांट मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना के तहत नि:शुल्क हुआ है।

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