राजस्थानः अस्पताल में कैसे जल गए दो नवजात , सामने आई यह बड़ी वजह h3>
अजमेर: राजस्थान के अजमेर जिले के ब्यावर अस्पताल में हुई दो नवजात बच्चों की मौत का मामला तूल पकड़ता रहा है। यहां सोमवार को देर रात अमृत कौर अस्पताल के गायनिक विभाग में बने एनआईसीयू में दो बच्चों की झुलसने से मौत हो गई। रिपोटर्स के अनुसार अस्पताल में दो नवजात बच्चों को रेडिएंट वॉर्मर में रखा गया था। रात 8:00 बजे अस्पताल की लाइट चली गई ,तो जनरेटर चालू हुआ। इस दौरान वॉर्मर नंबर 11 पर ऑटो सेंसर उड़ गया और वॉर्मर ओवरहीट हो गया, जिसके चलते यह हादसा हो गया।
इन वजहों से भर्ती करवाया गया था नवजात बच्चों को
घटना के बाद अस्पताल में हाहाकार मच गया। वहीं इस दुर्घटना में सभी को स्तब्ध कर दिया। बताया जा रहा है कि एनआईसीयू में इस दौरान दो अन्य शिशु भी थे, लेकिन गनीमत रही कि वो बच गए। वहीं जिन नवजात बच्चों की मौत हुई, उनमें एक समय से पहले पैदा बालिका थी, जिसे 7 अप्रैल को भर्ती करवाया गया था। वही एक बच्चे को 14 अप्रैल को सांस लेने में समस्या के बाद भर्ती करवाया गया था, जिसका वजन भी कम था। समय से पहले पैदा होने और वजन कम होने के कारण ही इन बच्चों को एनआईसीयू में रखा गया था।
एक वार्मर का सर्किट ब्रेकर काम नहीं कर रहा था
इस हादसे के बाद स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मंगलवार को ही मौतों की जांच के आदेश दिए। साथ ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का वादा किया। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के निदेशक (परिवार कल्याण) डॉ के एल मीणा के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक टीम मामले की जांच के लिए अस्पताल गई। टीम ने दुखद दुर्घटना के दो प्रमुख कारण बताए हैं। उन्होंने बताया है कि बिजली कटौती के दौरान पावर कट के तीन मोड होते है, जिनमें दो 230 वोल्ट और एक 320 वोल्ट पर बिजली आपूर्ति करता है। टीम की प्रारंभिक जांच के अनुसार एसएनसीयू में दो रेडिएंट वार्मर को 320 वोल्ट की आपूर्ति प्राप्त हुई। यह भी जानकारी मिल रही है कि दो रेडिएंट वार्मर में से एक का सर्किट ब्रेकर (ऑटो सेंसर) ठीक से काम नहीं करता था, जो पावर कट करने में विफल रहा, जिसके चलते बच्चों की मौत हो गई।
उपकरणों की ऑडिट नहीं की गई थी
स्वास्थ्य विभाग के निदेशक (परिवार कल्याण) और जांच अधिकारी डॉ के एल मीणा का कहना है कि “रिपोर्ट पूरी करने के बाद हम मामले में दोषियों की जिम्मेदारी तय करेंगे। साथ ही उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।” टीम ने यह भी पाया कि अस्पताल ने उपकरणों के उचित रखरखाव के लिए आवश्यक पावर ऑडिट नहीं किया था।
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घटना के बाद अस्पताल में हाहाकार मच गया। वहीं इस दुर्घटना में सभी को स्तब्ध कर दिया। बताया जा रहा है कि एनआईसीयू में इस दौरान दो अन्य शिशु भी थे, लेकिन गनीमत रही कि वो बच गए। वहीं जिन नवजात बच्चों की मौत हुई, उनमें एक समय से पहले पैदा बालिका थी, जिसे 7 अप्रैल को भर्ती करवाया गया था। वही एक बच्चे को 14 अप्रैल को सांस लेने में समस्या के बाद भर्ती करवाया गया था, जिसका वजन भी कम था। समय से पहले पैदा होने और वजन कम होने के कारण ही इन बच्चों को एनआईसीयू में रखा गया था।
एक वार्मर का सर्किट ब्रेकर काम नहीं कर रहा था
इस हादसे के बाद स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मंगलवार को ही मौतों की जांच के आदेश दिए। साथ ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का वादा किया। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के निदेशक (परिवार कल्याण) डॉ के एल मीणा के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक टीम मामले की जांच के लिए अस्पताल गई। टीम ने दुखद दुर्घटना के दो प्रमुख कारण बताए हैं। उन्होंने बताया है कि बिजली कटौती के दौरान पावर कट के तीन मोड होते है, जिनमें दो 230 वोल्ट और एक 320 वोल्ट पर बिजली आपूर्ति करता है। टीम की प्रारंभिक जांच के अनुसार एसएनसीयू में दो रेडिएंट वार्मर को 320 वोल्ट की आपूर्ति प्राप्त हुई। यह भी जानकारी मिल रही है कि दो रेडिएंट वार्मर में से एक का सर्किट ब्रेकर (ऑटो सेंसर) ठीक से काम नहीं करता था, जो पावर कट करने में विफल रहा, जिसके चलते बच्चों की मौत हो गई।
उपकरणों की ऑडिट नहीं की गई थी
स्वास्थ्य विभाग के निदेशक (परिवार कल्याण) और जांच अधिकारी डॉ के एल मीणा का कहना है कि “रिपोर्ट पूरी करने के बाद हम मामले में दोषियों की जिम्मेदारी तय करेंगे। साथ ही उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।” टीम ने यह भी पाया कि अस्पताल ने उपकरणों के उचित रखरखाव के लिए आवश्यक पावर ऑडिट नहीं किया था।
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