रघुनंदन बोले- भाजपा कार्यालय तोडऩा ऐसा, जैसे हाथी पागल हो अपनी सेना को कुचले… | cm shivraj singh | Patrika News

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रघुनंदन बोले- भाजपा कार्यालय तोडऩा ऐसा, जैसे हाथी पागल हो अपनी सेना को कुचले… | cm shivraj singh | Patrika News

रघुनंदन बोले- भाजपा कार्यालय तोडऩा ऐसा, जैसे हाथी पागल हो अपनी सेना को कुचले… | cm shivraj singh | Patrika News

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– भाजपा कार्यालय तोडऩे के खिलाफ नड्डा को रघुनंदन शर्मा ने लिखी चिट्ठी
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[email protected]भोपाल। भाजपा के वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा ने प्रदेश भाजपा कार्यालय यानी दीनदयाल उपाध्याय परिसर को तोडऩे के खिलाफ राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को चिट्ठी लिखी है। रघुनंदन शर्मा ने कड़े शब्दों में कार्यालय तोडऩे को गलत ठहराया है। शर्मा ने लिखा कि जब किसी युद्ध में कुशल महारथी का प्रशिक्षित हाथी पगला जाता है, तो वह अपनी ही सेना को कुचलने लगता है। हम भी अपनी ही पार्टी के कार्यालय को अपने हाथों से तोडऩे का दूषित विचार मन में ला रहे हैं। यह काम निष्ठावान कार्यकर्ता के हृदय पर पत्थर मारने जैसा है। यह काम कोई कठोर हृदय व्यक्ति ही कर सकता है।
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रघुनंदन ने लिखा कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने मुझे फोन पर बताया कि दीनदयाल परिसर ध्वस्त किया जा रहा है। मुझे बताया गया कि प्रदेश के लोग मौजूदा कार्यालय का ही नवीनीकरण व सौंदर्यीकरण चाहते थे, लेकिन राष्ट्रीय नेतृत्व ने इस कार्यालय को ध्वस्त करके नया बनाने का आदेश दिया है। मेरा सवाल ये कि क्या राष्ट्रीय नेतृत्व ने इस कार्यालय का भ्रमण करके देखा है, नहीं तो जिसे देखा नहीं उसे मिटाने का निर्णय दिल्ली से दौलताबाद राजधानी बनाने जैसा है। आतंकवाद, अलगाववाद और जघन्य अपराधी के भवनों पर बुलडोजर चल रहे हैं, तो भाजपा कार्यालय इनमें से किस श्रेणी में आता है। रघुनंदन ने लिखा कि सुमित्रा महाजन, विक्रम वर्मा, हिम्मत कोठारी, मेघराज जैन, भंवर सिंह शेखवत, माखन सिंह चौहान में से किसी से कार्यालय तोडऩे पर राय नहीं ली। ये लोग अब पदाधिकारी नहीं है, लेकिन क्या इन सबको मिलाकर अब संगठन नहीं कहलाता। क्या संगठन की परिभाषाएं अब बदल गई है। रघुनंदन ने लिाा ाकि मैने कुशाभाऊ ठाकरे के साथ 25 साल का कार्यकाल व्यतीत किया। वे सर्वसम्मति बनाकर निर्णय लेते थे। हम क्या ऐसी उच्चतम परंपराएं भी ध्वस्त कर चुके हैं। यह दीनदयाल परिसर शुभ है। इसमें आने के बाद हम विधानसभा, लोकसभा और ऊपर-नीचे सब संस्थाओं में जीते। इस कायालय के निर्माण में रात-रात भर मैं जागा हूं। कई बार सुबह 5 बजे से रात 12 बजे तक हम काम मलें लगे रहते थे। नीमच फैक्ट्री से सस्ती सीमेंट लाना, इंदौर से सीधे सटील फैक्टी से स्टील लाना। लालकृष्ण आडवाणी ने इसका औपचारिक लोकार्पण किया था। जनसंघ से पार्टी के सत्ता में आने तक छोटे कार्यालयों में बैठकर विशाल संगठन खडा किया। दिल्ली में हमने विशाल राजमहल जैसा कार्यालय बनाया, लेकिन वहां संगठन सिकुड़ गया। दो-दो बार विधानसभा में वहा दहाई संख्या पारनहीं कर पाए। छोटे कार्यालयम ें विशाल हृदय के कार्यकर्ताटों के जरिए विशाल संगठन खड़ा हुआ है। अब बड़े भवनों में बैठकर बड़ा कर लेंगे यह सोच असफल हुई है।
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कहीं बुलडोजर के आगे छाती अड़ाकर खड़ा न होना पड़े….
रघुनंदन शर्मा ने लिखा कि इस कार्यालय को ध्वस्त होना जानकर आहत हूं। हमने इसे इतना मजबूत बनाया है कि जितनी राशि में यह बना, उससे ज्यादा राशि इसे तोडऩे में लग जाएगी। कहीं ऐसा न हो कि इस अपरिपक्व निर्णय का विरोध करने के लिए कार्यकर्ताओं को बुलडोजर के सामने छाती अड़ाकर खड़ा होना पड़े।
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इसे ऐसा रहने दें, सामने बनाए नया भवन-
रघुनंदन शर्मा ने सुझाव दिया कि इस कार्यालय को ऐसा ही रहने दिया जाए। पार्टी सामने आरटीओ स्थित भवन के स्थान पर नया कार्यालय बना सकती है। इसके लिए परिवहन विभाग से उस जमीन को शासन को वापस कराया जा सकता है। फिर शासन उस जमीन को भाजपा को आवंटित कर दें। मौजूदा भवन भी इसी तरह बना है। पहले यह जमीन गृहनिर्माण मंडल के पास थी। गृहनिर्माण मंडल के तत्कालीन अध्यक्ष ने इसे अनुपयोगी कहकर लौटाया। फिर शासन से भाजपा को आवंटित हो गई। रघुनंदन ने कांग्रेस का उदाहरण भी दिया कि कांग्रेस ने रोशनपुरा के पुराने कार्यालय जवाहर भवन को ध्वस्त नहीं किया, बल्कि लिंक रोड नंबर वन पर नई जमीन आवंटित कराकर नया भवन बनाया। ऐसा ही भाजपा भी करें।
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