योगी-अखिलेश के बीच चले बयानों के तीर, सदन बनी कोर्ट… यादगार बन गया यूपी का बजट सत्र
बजट सत्र के आखिरी दिन सामान्य कार्यवाही कुछ देर के लिए रोक दी गई। सदन को कोर्ट के रूप में बदल दिया गया। इसके बाद 18 साल पुराने एक मामले के 6 अभियुक्त पेश किए गए। इसके बाद उन्हें एक दिन का कारावास सुनाया गया। विशेषाधिकार हनन मामले में साल 2004 में 6 पुलिसवालों ने बीजेपी विधायक के साथ मारपीट की थी। स्पीकर ने अपना फैसला सुनाया और रात 12 बजे तक पुलिसवालों को सदन में ‘कैद’ रहने का कहा। ये एक स्पेशल में बंद रहे।
योगी ने समाजवाद को बताया बहुरूपिया ब्रांड
बुधवार को सीएम योगी ने समाजवादी नेताओं की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा, समाजवादी पार्टी के नेता खुद को ताकतवर बनाने के लिए समाजवाद का इस्तेमाल करते रहे। योगी का कहना था कि देश समाजवाद से नहीं चलेगा बल्कि राम राज्य से चलेगा। शिवपाल सिंह यादव पर तंज कसते हुए योगी ने कहा, ‘आपकी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी कहां गई। समाजवाद के बारे में कहा जाता है कि यह एक मृगतृष्णा है जोअमीरों को गरीब बनाता है, गरीबों को गुलाम बनाता है, बुद्धिजीवियों को बेवकूफ बनाता है।’
सदन में गूंजी दिनकर की कविताएं
अकसर राजनेता अपनी बात का प्रभाव बढ़ाने के लिए शेरो शायरी का इस्तेमाल करते हैं। बजट सत्र में भी कुछ शेर पढे़ गए लेकिन चर्चा दिनकर की कविताओं की ज्यादा रही। असल में सपा जतीय जनगणना पर बहुत जोर दे रही थी। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसके जवाब में कहा, ”जाति-जाति का शोर मचाते केवल कायर-क्रूर।’ ये पक्तियां थीं कवि रामधारी सिंह दिनकर के खंड काव्य रश्मिरथी की।
अब इस पर पलटवार करने के लिए अखिलेश यादव अगले दिन सदन में यह किताब ही खरीद लाए। लेकिन पलटवार उलटा पड़ गया। वह सदन में अटक-अटक कर कविता पढ़ने लगे तो हंसी-मजाक होने लगा। इस पर उन्होंने भी झेंप कर कहा, आज ही यह किताब खरीदकर लाए हैं। अगले दिन योगी ने वहीं पक्तियां पूरी लय के साथ पढ़ीं जिनमें अखिलेश अटक रहे थे।
वन डिस्ट्रिक्ट वन माफिया बनाम वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रॉडक्ट
अखिलेश यादव ने बजट पर चर्चा के दौरान कहा था कि असल में वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रॉडक्ट सपा सरकार की देन है। योगी सरकार के कार्यकाल में इसका केवल मजाक बनकर रह गया है। इस योगी ने पलटवार करते हुए कहा, आपने वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रॉडक्ट तो नहीं दिया वन डिस्ट्रिक्ट वन माफिया दे दिया। हर जिले में एक माफिया था। कोई वन माफिया, कोई भू माफिया, कोई खनन माफिया।
‘आपने जो शूल बोए उनपर हमने बुलडोजर चलाकर फूल उगाए’
सदन में समाजवादी पार्टी ने विपक्षी पार्टी के नाते योगी सरकार की बुलडोजर नीति की खूब आलोचना की। इस पर योगी ने सपा सरकार के कार्यकाल से अपने कार्यकाल की तुलना करते हुए कहा, शूल तो आपकी सरकार में बोए गए। उन्हें ठीक करने के लिए रोड रोलर और बुलडोजर चलाया और प्रदेश के नागरिकों के लिए फूल उगाने का काम किया।
चाचा शिवपाल के बहाने अखिलेश पर निशाना
इस बजट सत्र की एक और खास बात यह रही कि इसमें बीजेपी की ओर से लगातार शिवपाल यादव पर कमेंट होते रहे। बीजेपी की ओर से कहा जाता रहा कि शिवपाल यादव को उनकी पार्टी में यथायोग्य सम्मान नहीं मिल रहा है। सीएम योगी ने तो खुलकर कह दिया, आप साथ होते तो कुछ और बात होती। शिवपाल भी बोले, हम तीन साल आपके संपर्क में रहे हैं, आपको सब पता है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक बार कहा, आपको देखकर महाभारत की याद आती है। कब तक आप अपमान सहते रहेंगे। इसी तरह से जब अखिलेश ने शिवपाल की सुरक्षा बहाल करने की बात कही तो जवाब में सीएम ने कहा, हम सुरक्षा तो दे देंगे पहले आप उन्हें सम्मान तो दें।
काफी गरमा-गरम क्षण भी आए
राजनीतिक बहस के दौरान विपक्ष और सत्ता के बीच मतभेद और बहस होना लाजिमी है। लेकिन इस बार काफी तल्ख तेवर वाली बहस हुई। बहस की शुरुआत 24 फरवरी को उमेश पाल की प्रयागराज में हत्या के हुई। इसके अगले दिन सीएम योगी ने समाजवादी पार्टी पर आरोप लगाया कि उसके कार्यकाल में अपराधियों को संरक्षण दिया गया। सीएम योगी ने गुस्से में आकर कहा, ऐसे माफिया मिट्टी में मिला दी जाएंगे। इसी बहस के दौरान गेस्ट हाउस कांड का जिक्र सीएम योगी ने किया तो अखिलेश ने कहा, चिन्मयानंद किसके गुरु हैं। शर्म आनी चाहिए। इस पर भड़ककर योगी बोले, शर्म तुम्हें आनी चाहिए अपने बाप का सम्मान नहीं कर पाए।
जातिगत जनगणना पर सपा का रहा जोर, बीजेपी के ‘मित्रों पर डाले डोरे
बजट पर चर्चा के दौरान अखिलेश यादव ने बीजेपी के सहयोगी दलों सुभासपा, निषाद पार्टी और अपना दल पर डोरे डालने की कोशिश की। लेकिन कामयाब नहीं हुए, इन दलों ने यह तो कहा कि वे जातिगत जनगणना के पक्षधर हैं लेकिन जब सपा के पास मौका था उसने केवल मौकापरस्ती दिखाई। कुल मिलाकर काफी हंगामाखेज रहा यूपी का विधानसभा सत्र।