योगगुरु शिवानंद बाबा को PM-CM ने दी श्रद्धांजलि: 128 वर्ष की आयु में हुआ निधन, शिष्य ने काशी में समाधि स्थल बनवाने की उठाई मांग – Varanasi News h3>
काशी के योगाचार्य स्वामी शिवानंद का वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल में निधन हो गया। वह 128 साल के थे। सांस लेने में दिक्कत के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह पद्मश्री पुरस्कार पाने वाले देश की सबसे अधिक उ
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आश्रम से उनकी अंतिम यात्रा मणिकर्णिका घाट के लिए सोमवार को निकलने के लिए तैयारी चल रही थी। लेकिन उनके एक शिष्य की मांग ने जिला प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों के सामने चुनौती खड़ा कर दी। बाबा के एक शिष्य ने उनका समाधि स्थल काशी में बनाने की मांग कर दी है। जिसको लेकर जिला प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों ने समय मांगा है।
आश्रम सहित अन्य बाबा से जुड़े लोगों ने दी श्रद्धांजलि।
पीएम-सीएम ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने योग गुरु पद्मश्री शिवानंद स्वामी के निधन पर दुख जताया है। अपने शोक संदेश में उन्होंने लिखा ‘योग साधक और काशी निवासी शिवानंद बाबा जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। योग और साधना को समर्पित उनका जीवन देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा। योग के जरिए समाज की सेवा के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित भी किया गया था। शिवानंद बाबा का शिवलोक प्रयाण हम सब काशीवासियों और उनसे प्रेरणा लेने वाले करोड़ों लोगों के लिए अपूरणीय क्षति है। मैं इस दुःख की घड़ी में उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने योग गुरु पद्मश्री शिवानंद स्वामी के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
चुनाव में पीएम मोदी का किया था समर्थन।
तीन अस्पताल में थे भर्ती
शिवानंद बाबा पिछले तीन दिनों से बीएचयू अस्पताल में भर्ती थे, जहां पर उनका इलाज चल रहा था। 2022 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शिवानंद बाबा को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था। शिवानंद बाबा अपनी दिनचर्या और लंबी आयु के कारण लोगों में चर्चा का विषय थे। उनका जन्म बंगाल के श्रीहट्टी जिले में 8 अगस्त 1896 में हुआ था। वह बेहद ही गरीब परिवार के थे। उनके माता-पिता भीख मांग कर जीवन यापन करते थे। भूख के कारण उनके माता-पिता का निधन हो गया। तब से लेकर बाबा आज तक आधा पेट भोजन करते थे।
पद्मश्री पुरस्कार मिलने के दौरान पीएम को किया था झुककर प्रणाम।
1979 में वाराणसी आए थे बाबा
बाबा फल और दूध इसलिए ग्रहण नहीं करते थे, क्योंकि उनका कहना है कि गरीब लोग फल और दूध नहीं खाते। 1977 में उन्होंने वृंदावन में आश्रम की दीक्षा ली। 2 साल वृंदावन में रहने के बाद 1979 में शिव की नगरी काशी में अधिवास करने लगे तब से लेकर बाबा यहीं रहने लगे। शिवानंद बाबा ने बताया था कि वह सुबह उठकर योग करते थे। व्यायाम करते थे और गीता पाठ करते थे।
पिछले 15 अप्रैल को बाबा ने किया था कश्मीर दौरा।
उनकी शिष्या ने बताया कि वह पढ़ने को लिखने का शौक रखते थे। 15 अप्रैल को वह कश्मीर गये थे तो वहां उन्होंने कश्मीर का मैप सीआरपीएफ के जवानों से मांगा था और उसपर अध्ययन शुरू किए ही थे कि बिमार हो गये। उन्होंने अपने जीवन में 20 हजार से अधिक किताबों का अध्ययन किया। बड़ी बात यह भी रही की 128 वर्ष की उम्र में भी उन्होंने कभी चश्मा नहीं लगाए।