ये कैसा संवर्धन: पांच साल में महज 16 गिद्ध | What kind of enrichment is this: only 16 vultures in five years | Patrika News

111
ये कैसा संवर्धन: पांच साल में महज 16 गिद्ध | What kind of enrichment is this: only 16 vultures in five years | Patrika News

ये कैसा संवर्धन: पांच साल में महज 16 गिद्ध | What kind of enrichment is this: only 16 vultures in five years | Patrika News

योजना के हाल: पांच एकड़ में 46 गिद्धों के साथ बना केन्द्र, इन्हें बचाने जुटाये गए संसाधन

तैनात किए गए एक्सपर्ट लेकिन 46 से 61 हो पाई संख्या, बीच में एक की मौत भी

 

भोपाल

Published: April 25, 2022 12:24:56 am

भोपाल. लुप्त होने की कगार पर आ चुके गिद्धों के संरक्षण के लिए पांच एकड़ में केन्द्र बनाया गया है। इनकी देखरेख के लिए संसाधनों जुटाए गए अमला भी तैनात है लेकिन नतीजा कोई खास नहीं मिला। हालात ये कि तमाम इंतजामों और एक्सपर्ट के बावजूद पांच साल में केवल 16 गिद्ध ही इस केन्द्र में बढ़ पाए। वर्तमान में यहां 61 गिद्ध हैं। पांच साल पहले 43 से इस केन्द्र की शुरूआत की गई थी।
भोपाल के मेंडोरा में 2014 में गिद्ध प्रजनन केंद्र बना है। यहां पर प्रजनन के लिए कॉलोनी की तरह अलग-अलग भवन बने हैं। इनमें गिद्धों के लिए जगह है। देखरेख करने और सुरक्षा के लिए कर्मचारी तैनात रहते हैं। पांच साल से यह 23 जोड़े यानि 46 गिद्धों की देखरेख के काम में लगे हैं। एक्सपर्ट की देखरेख में यह संचालित है। इन सब के बावजूद यहां के हालात देखे तो रिजल्ट कुछ खास नहीं रहा। एमओईएफ ने पांच राज्यों में इंक्यूबेशन सेंटर खोलने की सहमति दी थी उसी के तहत भोपाल में यह इकाई तैयार की गई। इस बीच गिद्धों का कुनबा भी बढ़ा है जिनके लिए कॉलोनी बना दी है। यह केंद्र वन विहार नेशनल पार्क द्वारा संचालित किया जा रहा है। अब इसमें सुधार की तैयारी चल रही है।

ये कैसा संवर्धन: पांच साल में महज 16 गिद्ध

अधिकारी बोले- खराब हो जाते हैं
अंडे इस कारण नहीं बड़ी संख्या
यहां बहुत कम संख्या में इनके बढऩे के पीछे अंडों के खराब होने को कारण बताया जा रहा है। जिम्मेदारों के मुताबिक आमतौर पर ज्यादातर गिद्धों के अंडे खराब हो जाते हैं जिसके कारण इनकी संख्या नहीं बढ़ पाती है। इसका हल निकालते हुए अब यहां पर इन्क्यूबेशन सेंटर बनाया जा रहा है। प्रदेश सहित देश के पांच राज्यों में ऐसे केन्द्र बनना है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय (एमओईएफ) ने इसकी अनुमति दे दी है। यहां अंडों से चूजे निकालने का काम होगा।

………… यह बात सही है कि गिद्धों की संख्या में बढ़ोत्तरी बहुत कम है। इसके पीछे मुख्य कारण अंडों का खराब हो जाना है। केन्द्र के शुरू होने से लेकर अब तक 21 बच्चों का जन्म हुआ। इनमें से 10 की मौत हो गई। सुधार के लिए इन्क्यूबेशन सेंटर की तैयारी है।
अशोक कुमार जैन डिप्टी डायरेक्टर वन विहार

newsletter

अगली खबर

right-arrow



उमध्यप्रदेश की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Madhya Pradesh News