यूपी में बुलडोजर और बाबा 2024 की रणनीति में विपक्ष के लिए बने खतरा, अखिलेश और मायावती का अगला मुद्दा क्या?
बुलडोजर राजनीति का असर व्यापक
उत्तर प्रदेश में बुलडोजर की राजनीति ने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को पहले ही परेशान कर रखा है। यूपी चुनाव 2022 के दौरान समाजवादी पार्टी ने अपने चुनाव प्रचार में बीजेपी पर पलटवार करने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया था। अखिलेश यादव ने अपने हर भाषण में बुलडोजर को बीजेपी नेतृत्व की तानाशाही की मिसाल के तौर पर पेश किया था। सपा नेताओं ने बुलडोजर और आपातकाल की ज्यादतियों के बीच तुलना भी की, लेकिन यह रणनीति काम नहीं आई। वास्तव में इसने समाजवादी पार्टी को उलटा नुकसान पहुंचाया।
मतदाताओं ने बुलडोजर की राजनीति पर मुहर लगा दी। चुनाव के बाद सपा नेताओं ने बुलडोजर की बात करना लगभग बंद कर दिया है। योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधने के लिए अपराध और लचर कानून-व्यवस्था की बात करने लगे हैं।
भाजपा पर अब अलग प्रकार से हमले
भाजपा पर अब विपक्ष की ओर से अलग प्रकार से हमले हो रहे हैं। सपा के एक वरिष्ठ प्रवक्ता कहते हैं कि भाजपा अपने सभी गैरकानूनी कामों को सांप्रदायिक रंग देने की कला जानती है। उन्होंने बुलडोजर को हिंदू गौरव के प्रतीक में बदल दिया है, जो गैर-हिंदुओं को कुचल देता है। बुलडोजर के बाद मुठभेड़ों का इस्तेमाल किया जा रहा है। बुलडोजर और पुलिस मुठभेड़ों के शिकार हिंदू क्यों नहीं हैं? क्या एक भी हिंदू ऐसा नहीं है, जिसने गलत किया हो?
प्रवक्ता ने कहा कि जो कोई भी सत्तारूढ़ दल का विरोध करता है, उसे तुरंत हिंदू विरोधी करार दिया जाता है। हमारे पास तब तक चुप रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, जब तक कि लोगों को सच्चाई का एहसास न हो जाए।
मानस मुद्दे पर बैकफुट पर सपा
रामचरितमानस के मुद्दे पर सपा पहले ही अपनी उंगलियां जला चुकी है। सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने महाकाव्य के छंदों को जातिवादी मोड़ देने की कोशिश की, लेकिन भाजपा प्रभावी रूप से मामले को सांप्रदायिक रंग देकर सपा को पीछे हटाने में कामयाब रही। सपा की ओर से उठाया गया जातिगत जनगणना का मुद्दा भी फीका पड़ गया है। अखिलेश यादव कहते हैं कि बीजेपी हर चीज को हिंदू-मुस्लिम रंग देने की कला में महारत हासिल कर चुकी है। चाहे वह बुलडोजर चला रही हो या सारस ले जा रही हो। उनका हिंदुत्व पर कॉपीराइट होने का दावा है और यह अब लोगों को देखना है।
कांग्रेस की राजनीति दिशाहीन
यूपी के राजनीतिक मैदान में कांग्रेस वंडरलैंड में भटकती दिखती है। प्रदेश में पार्टी पूरी तरह से नेतृत्वविहीन और दिशाहीन बनी हुई है। कांग्रेस के पूर्व एमएलसी दीपक सिंह, प्रियंका गांधी वाड्रा के करिश्मे और राहुल गांधी की लोकप्रियता की बात करते हैं। वे कहते हैं कि कांग्रेस 2024 में उल्लेखनीय वापसी करेगी। जमीनी स्तर पर स्थिति तेजी से बदल रही है और पार्टी यूपी में आश्चर्यजनक परिणाम देगी।
हालांकि, पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि अगर हमारे नेता इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट रेखा नहीं परिभाषित करते हैं, तो हम क्या कर सकते हैं। पार्टी अध्यक्ष को उत्तर प्रदेश की कोई चिंता नहीं है। राहुल गांधी राज्य को छूना नहीं चाहते, क्योंकि उनकी बहन प्रियंका प्रभारी हैं। प्रियंका ने एक साल से यहां कदम नहीं रखा है। नतीजतन, हमने भी चुनाव से जुड़े मुद्दों पर बात करना बंद कर दिया है।
बसपा फूंककर उठा रही है कदम
बहुजन समाज पार्टी फूंककर कदम उठा रही है। भाजपा पर सीधे हमले की जगह वह मुद्दों के आधार पर सरकार को घेरती दिखती है। मायावती जमीनी स्तर पर पार्टी को एक बार फिर प्रभावी बनाने के लिए कोशिश कर रही हैं। पार्टी बीजेपी को घेरने को लेकर सावधान है। पार्टी केवल अपने कार्यकर्ताओं को एक साथ वापस लाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। वहीं, पार्टी के कार्यकर्ता भी असमंजस में हैं कि बसपा अगले साल क्या रुख अपनाएगी।
भाजपा, बुलडोजर और बाबा को निशाने पर लेने को लेकर विपक्षी दल स्पष्ट रूप से सतर्क हैं। ऐसे में भगवा रंग आने वाले महीनों में और गहरा होने वाला है। कुछ इस प्रकार की संभवना दिख रही है।