युवती से छेड़छाड़ तो मिनटों में मनचलों को पकड़ेगी पुलिस: मैसेज भेजते ही 15 सेकेंड में रिस्पॉन्स, जानिए- कैसे आप भी ले सकते हैं हेल्प – Rajasthan News

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युवती से छेड़छाड़ तो मिनटों में मनचलों को पकड़ेगी पुलिस:  मैसेज भेजते ही 15 सेकेंड में रिस्पॉन्स, जानिए- कैसे आप भी ले सकते हैं हेल्प – Rajasthan News

युवती से छेड़छाड़ तो मिनटों में मनचलों को पकड़ेगी पुलिस: मैसेज भेजते ही 15 सेकेंड में रिस्पॉन्स, जानिए- कैसे आप भी ले सकते हैं हेल्प – Rajasthan News

जयपुर के त्रिवेणी नगर में 11 फरवरी को एक कोचिंग छात्रा से सरेराह युवक ने छेड़छाड़ की। युवक हिंसक हो रहा था। छात्रा ने राजस्थान पुलिस के मोबाइल ऐप राजकॉप सिटीजन पर मैसेज भेजकर शिकायत की।

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दावा 3 मिनट के भीतर पुलिस मौके पर पहुंच गई और आरोपी युवक को पकड़ भी लिया। पुलिस के तुरंत एक्शन लेने का यह मामला काफी चर्चा में है।

एक मोबाइल ऐप के जरिए पुलिस ने कैसे बड़ी वारदात होने से रोक दी? कैसे एक मैसेज और एक क्लिक पर पुलिस ने मुसीबत में फंसी कोचिंग छात्रा की लोकेशन निकाली और महज 3 मिनट में मदद पहुंचाई? NEWS4SOCIALरिपोर्टर ने इसका रियलिटी चेक किया।

NEWS4SOCIALटीम सबसे पहले पुलिस मुख्यालय पहुंची। यहां स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आईजी शरत कविराज और डिप्टी एसपी नीतू चौहान से मिलकर ऐप की पूरी प्रोसेस की जानकारी ली। उन्होंने दावा किया कि ऐप से इमरजेंसी में मदद मांगने पर तुरंत स्टेट कंट्रोल रूम से टीम सदस्य शिकायत करने वाले को कॉल करते हैं। अब तक 9 हजार से ज्यादा शिकायतों को हैंडल किया जा चुका है।

हमने राजकॉप ऐप को लेकर किए जा रहे दावों की 2 तरीके से पड़ताल की। पढ़िए ये रिपोर्ट….

दावा किया गया था कि शिकायत पहुंचते ही पुलिस चंद सेकेंड में मदद को कॉल करती है।

पहला तरीका : पुलिस मुख्यालय के बाहर खड़े होकर मांगी इमरजेंसी मदद

रिपोर्टर ने सबसे पहले राजकॉप (RajCop) मोबाइल ऐप डाउनलोड किया। अपनी लोकेशन सेट की। फिर ऐप के इमरजेंसी फीचर (ट्रायल) पर गए। मैसेज बॉक्स में बिना कुछ लिखे उसे सबमिट किया। ब्लैंक मैसेज के पीछे खास मकसद था। यह पता लगाना था कि कोई व्यक्ति इमरजेंसी में कुछ टाइप नहीं भी कर पाए तो क्या पुलिस मदद के लिए रिस्पॉन्स करती है या नहीं?

दोपहर के 1.29 मिनट पर हमने ब्लैंक मैसेज किया। सबमिट होने के बाद स्क्रीन पर शिकायत पहुंचने का मैसेज आया। इसके 15 सेकेंड में ही स्टेट कंट्रोल रूम से महिला पुलिसकर्मी का कॉल (0141-2927467) आया। कॉल पर उन्होंने शिकायत करने ओर समस्या को लेकर जानकारी मांगी।

हमारी पहली पड़ताल में चंद सेकेंड में रिस्पॉन्स का दावा सच निकला। लेकिन शिकायत करने वाले की लोकेशन टीम को पता चलती है या नहीं? टीम किस तरह से यह सब देखती है?

दूसरा तरीका : स्टेट कंट्रोल रूम के बाहर से इमरजेंसी मदद मांगकर की पड़ताल

शिकायत पहुंचने के बाद कैसे काम हो रहा है, ये जानने के लिए NEWS4SOCIALटीम ने स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आईजी शरत कविराज से स्पेशल परमिशन ली। स्टेट कंट्रोल रूम पहुंचे। यह कंट्रोल रूम जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के ऑफिस में ही ऑपरेट हो रहा है। कई बड़ी-बड़ी कंप्यूटर स्क्रीन पर पुलिसकर्मी नजर गड़ाए बैठे थे।

स्टेट कंट्रोल रूम में ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी शिकायतों को तुरंफ वेरिफाई करते हैं और चंद सेकेंड में मदद का प्रोसेस स्टार्ट हो जाता है।

इसी दौरान हमने कंट्रोल रूम के बाहर खड़े हमारे साथी से राजकॉप ऐप पर मदद के लिए इमरजेंसी मैसेज सबमिट करवाया। दोपहर के करीब 2.21 बजे जैसे ही हेल्प के लिए मैसेज सबमिट हुआ, अंदर कंप्यूटर स्क्रीन पर मैसेज अपडेट आया। मैसेज देखते वहां मौजूद पुलिसकर्मी ने ये शिकायत हैंडल की।

इस पूरे प्रोसेस को हमने रिकॉर्ड भी किया। साथ ही जानकारी भी ली। कंप्यूटर स्क्रीन में शिकायतकर्ता का मोबाइल नंबर, लोकेशन मैप ओर इमरजेंसी का मैसेज था। मोबाइल नंबर (0000000000) पर तुरंत पुलिसकर्मी ने कॉल किया और समस्या के बारे में जानकारी मांगी।

अब आपको राजकॉप सिटीजन ऐप के बारे में बताते हैं….

राजकॉप सिटीजन ऐप राजस्थान पुलिस की मोबाइल ऐप है, जिसके जरिए आमजन पुलिस वेरिफिकेशन से लेकर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं। स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एससीआरबी) डीएसपी नीतू चौहान ने बताया कि लगातार इस ऐप पर काम किया जा रहा है।

अक्टूबर से दो फीचर एड किए कर 14 दिसंबर को इसकी लॉन्चिंग की गई थी। तब से ऐप का ट्रायल चल रहा है। राजकॉप ऐप में शिकायतों के आधार पर दो फीचर ‘नीड हेल्प’ (प्रमुख तौर पर महिलाओं के लिए) और ‘राजकॉप एसओएस’ (SOS – Save Over Soul) रखे गए हैं।

मैसेज के साथ ही लोकेशन कंट्रोल रूम पहुंचती है, तुरंत आता है कॉल

राजकॉप ऐप को डाउनलोड करने के बाद मोबाइल नंबर से लॉगिन कर सकते हैं। यह ऐप जीपीएस लोकेशन के आधार पर काम करता है। इसमें लॉगिन के बाद किसी भी परेशानी की स्थिति मे महिलाएं-युवतियां नीड हेल्प फीचर पर क्लिक करती हैं।

शिकायत करने वाले की लोकेशन स्टेट कंट्रोल रूम को मिल जाती है। कंटीन्यू करने पर दो ऑप्शन आते हैं। इमरजेंसी और नॉन इमरजेंसी। आपात स्थिति होने पर इमरजेंसी पर क्लिक करना होता है।

1. इमरजेंसी ऑप्शन : इसमें भी अलग-अलग कैटेगरी दी गई हैं। जैसे- कॉल बैक, सेफ महसूस नहीं करना, पुलिस की मदद, अन्य, सेक्सुअल हैरेसमेंट, वॉयलेंस।

इनमें से जो भी इमरजेंसी हो उस पर CLICK कर सकते हैं। इसके बाद मैसेज बॉक्स में मैसेज टाइप करके भेज सकते हैं। चाहें तो घटना की फोटो या ऑडियो में रिकॉर्ड कर सेंड कर सकते हैं। सबमिट पर क्लिक करते ही संबंधित मैसेज स्टेट कंट्रोल रूम टीम के पास जाता है।

वहां लगे कंप्यूटर स्क्रीन पर शिकायत का पॉपअप आता है। ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी उसे खोलकर चेक करता है। उन्हें शिकायतकर्ता की लोकेशन, नजदीकी थाना और मोबाइल नंबर की जानकारी आ जाती है। पुलिसकर्मी तुरंत शिकायतकर्ता को कॉल कर जानकारी लेता है।

इस तरह से इमरजेंसी के ऑप्शन में जाकर अपनी शिकायत सबमिट कर सकते हैं।

तुरंत मदद पहुंचाने के लिए संबधित थाने को यह मैसेज सर्कुलेट कर दिया जाता है। आपात स्थिति में तुरंत पुलिस की गाड़ी को रवाना कर दिया जाता है। अगर नेटवर्क इश्यू या अन्य किसी कारण से शिकायतकर्ता से बात नहीं हो पाती तब भी लोकेशन के आधार पर उस जगह पुलिस की गाड़ी को रवाना किया जाता है।

2. नॉन इमरजेंसी : इस फीचर में क्लिक कर मैसेज भेजने पर का भी वही प्रोसेस है। लेकिन इसमें फोन पर बात होने के बाद सबसे पहले समस्या को सुनकर शिकायत को सीसीटीएनएस पर दर्ज किया जाता है। इसके बाद इसकी रिपोर्ट संबंधित थाने को भेज दी जाती है। इसके बाद उसका फॉलोअप लिया जाता है कि शिकायत का निस्तारण हुआ या नहीं।

ASI सुनीता शर्मा ने बताया कि मैसेज आने के 10 सेकेंड में हम रिस्पॉन्स करते हैंं।

2 से 5 मिनट में पुलिस हो जाती है एक्टिव

स्टेट कंट्रोल रूम की टीम को लीड कर रहीं एएसआई सुनीता शर्मा ने बताया कि 2-5 मिनट में ही पुलिस एक्टिव होकर मदद के लिए पहुंच जाती है। शिकायत का निस्तारण होने के बाद या तो खुद शिकायतकर्ता ऐप के जरिए ही शिकायत को बंद कर सकता है या कंट्रोल रूम से भी उसे बंद किया जा सकता है।

इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए स्टेट कंट्रोल रूम में 50 पुलिसकर्मियों का स्टाफ लगा हुआ है। शिफ्ट वाइज 24 घंटे पुलिसकर्मी यहां पर काम करते हैं। कुल 25 कंप्यूटर स्क्रीन लगी हैं। इनमें प्रदेश के दूसरे अपराधों के साथ-साथ राजकॉप ऐप के जरिए आने वाली शिकायतों पर लगातार नजर रखी जाती है।

जयपुर पुलिस कमिश्नरेट में संचालित कंट्रोल रूम में ड्यूटी करते पुलिसकर्मी।

जल्द एड होगा रिपोर्ट ट्रैवल फीचर

डीएसपी नीतू चौहान ने बताया कि महिलाओं की सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए रिपोर्ट ट्रैवल फीचर पर काम किया जा रहा है। इसमें महिलाएं अगर अकेले कहीं जा रही हैं और कुछ अनहोनी का अंदेशा है तो वे अपने ट्रैवल की लोकेशन डाल सकती हैं। इसमें वह अपने पांच रिश्तेदार या परिवार के लोगों के नाम नंबर अपडेट कर सकती हैं जिनसे किसी भी इमरजेंसी में कॉन्टैक्ट किया जा सके। इसके साथ ही किसी कैब से अगर सफर कर रही हैं तो उसका नंबर, फोटो भी अपडेट कर सकती हैं।

दो महीने में नौ हजार से ज्यादा शिकायतें

एससीआरबी की डीएसपी नीतू चौहान ने बताया कि 14 दिसंबर से लेकर 13 फरवरी तक राजकॉप ऐप पर 9525 शिकायतें मिली हैं। इसमें इमरजेंसी में नीड हेल्प फीचर्स के जरिए 9088 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। ज्यादा शिकायतें महिलाओं की हैं। इनमें भी ज्यादातर छेड़छाड़, अज्ञात कॉल का बार-बार आना, फोन पर परेशान करना, घरेलू हिंसा, अश्लील कमेंट, युवकों द्वारा पीछा करना जैसी शिकायतें आम हैं। इसके अलावा नॉन इमरजेंसी में 164 शिकायतें मिली हैं। राजकॉप एसओएस फीचर पर 273 शिकायतें मिली है।

हेल्पलाइन से लेकर शिकायत तक करवा सकते हैं दर्ज

स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एससीआरबी) आईजी शरत कविराज ने बताया कि ऐप के जरिए लोग आसानी से पुलिस तक पहुंच सकते हैं। उन्हें हर काम या परेशानी के लिए थाने में जाने की जरूरत नहीं है। एक मैसेज से पुलिस उनकी मदद के लिए पहुंच रही है। इस ऐप पर महिला हेल्प के साथ-साथ कई और ऑप्शन हैं….

वीडियो मैसेज से भी भेज सकेंगे शिकायत

आईजी शरत कविराज ने बताया कि इस ऐप में अब नया फीचर वीडियो का भी जोड़ा जा रहा है। फिलहाल उस पर काम किया जा रहा है। अभी शिकायत के मैसेज के साथ फोटो या ऑडियो भेज सकते हैं। लेकिन भविष्य में शिकायतकर्ता के साथ जो घटना हो रही है वह उसका वीडियो बनाकर सीधा ऐप के जरिए स्टेट कंट्रोल रूम को भेज सकेगा। यह एक तरह से सबूत के तौर पर भी काम करेगा। वहीं इस ऐप के बारे में जागरूक करने के लिए महिला पुलिसकर्मियों की टीम कॉलेज कोचिंग संस्थानों में जाकर छात्राओं को जानकारी दे रही है।

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