यह विषय, जो बने पीएचडी के लिए पसंदीदा विषय | This subject, which became the preferred subject for PhD breaking stud | Patrika News

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यह विषय, जो बने पीएचडी के लिए पसंदीदा विषय | This subject, which became the preferred subject for PhD breaking stud | Patrika News

यह विषय, जो बने पीएचडी के लिए पसंदीदा विषय | This subject, which became the preferred subject for PhD breaking stud | Patrika News

सैकड़ो छात्र कर रहे हैं इन विषयों पर पीएचडी, हर साल दो से तीन सौ पीएचडी अवार्ड कर रही यूनिवर्सिटी

जबलपुर

Updated: April 15, 2022 08:32:21 pm

वीरेन्द्र रजक @
जबलपुर, पीएचडी (शोध) करने वालों शोधार्थियों के लिए कॉमर्स सबसे पसंदीदा विषय बन गया है। वहीं दूसरे स्थान पर हिन्दी और तीसरे स्थान पर राजीनीति विज्ञान है। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के वर्ष 2010-11 से 2017-18 पीएचडी के लिए हुए रजिस्ट्रेशन यह बात बयां कर रहे हैं। वहीं इतिहास और एप इकॉनॉमिक्स भी उक्त तीनों विषयों की बराबरी पर आ रहे है। जानकारों की माने तो कॉमर्स में जहां नौकरी की संभावनाएं बढ़ी हैं, वहीं हिन्दी, राजनीति विज्ञान और इतिहास का उपयोग उच्च स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं में बढा है, इसलिए भी शोधार्थी इन विषयों पर शोध कर अधिक से अधिक ज्ञान अर्जित कर रहे है।
रादुविवि में कुल कॉलेज:-150 से अधिक
रादुविवि में कुल जिले:- 04
रादुविवि में कुल छात्र:- 70000 लगभग
कॉमर्स समेत कई विषयों के रिसर्च सेन्टर नहीं
जानकारी के अनुसार रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में कॉमर्स समेत कई विषयों के रिसर्च सेन्टर नही है। कॉमर्स का महाकौशल कॉलेज, मानकुंवर बाई कॉलेज, जीएस कॉलेज और नरसिंहपुर कॉलेज में रिसर्च सेन्टर है। इन्हीं रिसर्च सेन्टरों में पीएचडी करने वाले छात्रों को विवि से भेजा जाता है। जबकि विवि में बीएस ऑनर्स का कोर्स संचालित किया जा रहा है। वही कई और ऐसे विषय है, जिनमें पीएचडी के लिए कॉलेज के रिसर्च सेन्टरों की ओर छात्रों को रुख करना पड़ता है।
ऐसे समझें पीएचडी का गणित
पीएचडी के लिए रिसर्च सेन्टर में न्यूनमत तीन गाइड होने अनिवार्य है। इसके अलावा को गाइड की संख्या रिसर्च सेन्टर छात्रों की संख्या के अनुरूप रख सकते है। एक गाइड एक वर्ष में अधिकतम आठ शोधार्थियों को शोध करा सकता है। गाइड के पास सीट खाली होने पर ही दूसरे शोधार्थी को शोध के लिए स्थान दिया जाता है। पीएचडी निर्धारित चार वर्षो में करनी होती है, यदि शोध पूरा न हो, तो शोधार्थी एक या दो वर्ष का एक्सटेंशन भी ले सकता है।

वर्जन
– प्रशासनिक सेवाओं में युवाओं की बढ़ती भागीदारी को देखकर अब छात्र कॉमर्स, हिन्दी, राजीनीति विज्ञान, इतिहास समेत अन्य विषयो में प्रेरित हो रहे है। विवि विज्ञान के प्रति भी छात्रों की रूचि जागृत करने का लगातार प्रयास कर रहा है, ताकि इन विषयों में भी शोधाथियों की संख्या बढ़े। विवि यह प्रयास कर रहा है कि शोधार्थियों समेत समस्त छात्रों को विवि और कॉलेजों में शोध के लिए पर्याप्त सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें।
प्रो. कपिल देव मिश्र, कुलपति, रादुविवि
– प्रोफेशनल कोर्स होने के कारण कॉमर्स में पीएचडी करने वालों की संख्या अधिक है। छात्र पहले समझते थे कि केवल एमबीए करने के बाद अच्छा जॉब मिलता है, जबकि कॉमर्स में पीएचडी के बाद भी कई शोधार्थियो को अच्छी नौकरी मिली है। इसके अलावा कुछ सालों में कॉमर्स ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट की संख्या में भी इजाफा हुआ है, यही भी एक कारण है कि कॉमर्स में पीएचडी करने वालों का ग्राफ बढ़ा है।
डॉ. शैलेष चौबे, एचओडी, कॉमर्स, रादुविवि
– बीए में एडमिशन लेने वाले छात्र राजनीति विज्ञान लेते है। हम जो पढ़ाते हैंं, वह छात्र अपने आसपास होता महसूस करता है। वर्तमान राजनीति की बातें हो या फिर अंतराष्ट्रीय सम्बंधो की, सभी की विस्तार से जानकारी दी जाती है। यूपीएससी और पीएससी समेत अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले अधिकतर सवाल भी राजनीति विज्ञान से सम्बंधित होते है। सामान्य ज्ञान भी राजनीति का ही एक हिस्सा है। इसमें शोध का स्कोप अधिक है।
डॉ. विवेक मिश्र, एचओडी, राजीनीति विज्ञान, रादुविवि
– आईटी और एनआईटी में भी हिन्दी में शोध नहंी होते थे, लेकिन अब वहां भी हिन्दी को शामिल कर शोध किए जा रहे है। भारतीय संस्थानों में भी हिन्दी का प्रयोग बढ़ा है। यूपीएससी में भी हिन्दी का एक पार्ट है। हिन्दी में रोजगार की संभावना बढ़ी है। प्रतियोगी परीक्षाओं में हिन्दी को तेजी से शामिल किया जा रहा है। आने वाले समय में सरकारी समेत प्रायवेट संस्थानों में भी हिन्दी का उपयोग बढऩे की पूरी संभावना है।
डॉ. धीरेन्द्र पाठक, एचओडी, हिन्दी, रादुविवि

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