मोदी कैबिनेट में मंंत्री बनने जा रहे जयंत! इन 4 कारणों से पाला बदलने की तैयारी में छोटे चौधरी | Lok Sabha Election 2024 Jayant Choudhary minister in Modi cabinet 4 reasons to change sides | News 4 Social h3>
राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी(Jayant Chaudhary) पिछले तीन दिनों से मीडिया की सुर्खियों में हैं। उन्हें लेकर भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के नेताओं द्वारा लगातार बयानबाजी की जा रही है। दरअसल, जानकारों के मुताबिक जयंत को भाजपा ने INDIA गठबंधन छोड़ NDA में शामिल होने का न्योता दिया है। ऐसे में ये कहना कि छोटे चौधरी मौके का फायदा नहीं उठाएंगे मुश्किल है, क्योंकि राजनीति में कोई स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता।
वहीं, अगर हम पिछले तीन लोकसभा चुनाव के नतीजों को ठीक से देखे तो पाएंगे कि रालोद ने आखिरी बार 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के समर्थन से 5 सीटों पर जीत दर्ज किया था। सूबे की राजनीति पर नजर रखने वाले बताते हैं कि भाजपा ने आगामी लोकसभा चुनाव में जयंत को तीन से पांच सीट और राज्य से लेकर केंद्र तक की सत्ता में हिस्सेदारी देने का वादा किया है।
ऐसे में अगर वो पाला बदलते है तो इन बातों के अलावा और भी कई फैक्टर जिम्मेदार होंगे। आइए उन फैक्टर्स को बारी-बारी से जानते हैं…
1. जयंत बनेंगे केंद्रीय मंत्री?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सियासी गलियारों में यह चर्चाएं चल रही हैं कि, भाजपा ने जयंत को केंद्र और लखनऊ में एक मंत्री पद का प्रस्ताव दिया है। यह भी संभावना जताई जा रही है कि जयंत दिल्ली में कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं।
2. सीट का बंटवारा
19 जनवरी को सपा और रालोद के बीच लोकसभा चुनाव 2024 को मद्देनजर रखते हुए गठबंधन की घोषणा हुई थी। इस गठबंधन के जरिए रालोद को सात सीटें दी गई थीं। लेकिन RLD के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन आगरी ने कहा, “चुनावी वर्ष है, बहुत सारी पार्टियां हमारे साथ गठबंधन के लिए आ रही हैं। बीजेपी के द्वारा पिछली बार भी गठबंधन की पेशकश की गई थी, इस बार भी पेशकश की जा रही है। वे 4 सीटों की बात कर रहे हैं लेकिन हमने 12 लोकसभा सीटों पर तैयारी की है।” अब इस बयान के बाद से यह साफ है कि राष्ट्रीय लोकदल ने गठबंधन के लिए अपनी शर्तें सामने रख दी हैं।
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3. सपा-रालोद गठबंधन में पड़ी दरार
यूपी निकाय चुनाव के दौरान सीट बंटवारे को लेकर रालोद और सपा के बीच टेंशन बढ़ गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंडिया ब्लॉक बनने के बाद सपा रालोद पार्टी को हलके में लेती रही। रालोद कैराना, मुजफ्फरनगर और बिजनौर पर चुनाव लड़ने के लिए जोर दे रही थी, लेकिन इसकी बजाय उसे भाजपा के गढ़ फतेहपुर सीकरी और मथुरा की पेशकश की जा रही थी। और यही वो समय था जब सपा और रालोद के गठबंधन में फूट पड़ गई।
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4. 2014-2019 गठबंधन में रालोद नहीं जीत पाई सीट
आपकों बता दें कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में रालोद एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में कैराना और बागपत दोनों ही जगहों पर अजित चौधरी और जयंत चौधरी अपनी सीट हार गए थे। वहीं, रालोद भी जानती है कि अगर भाजपा के साथ गठबंधन हो जाता है तो वह कम से कम 4 सांसदों वाली पार्टी केे नेता बन जाएंगे।
UP की पॉलिटिक्स में RLD ऐसा दल है जो सभी प्रमुख दलों-BJP, CONG, SP-BSP के साथ चुनावी गठबंधन में रहा है और अलग-अलग मौकों पर सभी की सरकारों में भी शामिल रहा है।