मोगा सेक्स स्कैंडल में 4 पुलिसवालों को सजा: 2-2 लाख रुपए जुर्माना भी लगा; झूठे रेप केस में फंसाकर ब्लैकमेल करते थे – Punjab News h3>
मोगा सेक्स स्कैंडल में 4 पुलिस कर्मियों को सजा सुनाई गई है। पेशी के समय आरोपी पुलिसवाले मुंह छिपाकर जाते दिखे।
पंजाब के 18 साल पुराने मोगा सेक्स स्कैंडल मामले में मोहाली स्थित CBI की विशेष अदालत ने 4 पुलिस अधिकारियों को 5-5 साल की सजा सुनाई है। इनमें तत्कालीन SSP दविंदर सिंह गरचा, पूर्व SP हेडक्वार्टर मोगा परमदीप सिंह संधू, मोगा सिटी थाने के पूर्व SHO रमन कुम
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कोर्ट ने इन पर 2-2 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। पुलिस इंस्पेक्टर रमन को एक अन्य धारा में 3 साल की साज और एक लाख जुर्माना भी लगा है। कोर्ट के निर्णय के बाद शिकायतकर्ता रणजीत सिंह ने कहा कि फैसला बहुत बढ़िया आया है। वह फैसले से संतुष्ट हैं।
बता दें कि कोर्ट ने 29 मार्च को इस मामले में चारों आरोपियों को दोषी ठहराया गया था। जबकि, अकाली नेता तोता सिंह के बेटे बरजिंदर सिंह उर्फ मक्खन बराड़ और सुखराज सिंह को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।
किस-किस धारा में सुनाई सजा सीबीआई कोर्ट ने देविंदर सिंह गरचा और पीएस संधू को भ्रष्टाचार निवारण (PC) अधिनियम की धारा 13(1)(d) के साथ धारा 13(2) के तहत दोषी पाया था। रमन कुमार और अमरजीत सिंह को भी PC अधिनियम की इन्हीं धाराओं और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 384 (जबरन वसूली) के तहत दोषी ठहराया गया था। अमरजीत सिंह को अतिरिक्त रूप से धारा 384 के साथ धारा 511 IPC के तहत भी दोषी पाया गया था।
मोगा सेक्स स्कैंडल में दोषी करार दिए जाने के बाद पुलिस मुलाजिमों को जेल ले जाते हुए। ( फाइल फोटो)
क्या था मोगा सेक्स स्कैंडल, विस्तार से पढ़ें…
अकाली सरकार के समय सामने आया मामला यह मामला 2007 में उस समय सामने आया था, जब राज्य में अकाली-भाजपा सरकार थी। मोगा के थाना सिटी ने जगराओं के एक गांव की लड़की की शिकायत पर गैंगरेप का मामला दर्ज किया था। इसके बाद पीड़ित लड़की के धारा-164 के बयान दर्ज किए। इसमें उसने करीब 50 अज्ञात लोगों पर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। आरोप है कि पुलिस अधिकारियों ने इस केस की जांच में खेल ब्लैकमेलिंग करनी शुरू कर दी थी। उन्होंने केस में कई व्यापारियों और राजनेताओं के नाम शामिल करने शुरू कर दिए।
इसी दौरान मोगा के भागी के गांव के रंजीत सिंह ने एसएचओ अमरजीत सिंह द्वारा 50 हजार रुपए मांगने की ऑडियो रिकॉर्ड कर ली। उसके धमकी दी गई थी कि भुगतान न करने की स्थिति में महिला मनप्रीत कौर की शिकायत में दर्ज कर बलात्कार के मामले में उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा। रंजीत ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) को इसकी शिकायत की। इसके बाद यह मामला चर्चा में आ गया।
HC ने लिया संज्ञान, कहा था- जम्मू सेक्स स्कैंडल से कम नहीं जब इस मामले में राजनेताओं और व्यापारियों के नाम आने लगे, मीडिया में यह केस सुर्खियां बनने लगा तो 12 नवंबर 2007 को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले का खुद ही संज्ञान लिया। साथ ही पुलिस से इस मामले की रिपोर्ट मांगी। इसके बाद सारे केस की जांच करने के बाद हाईकोर्ट ने मामला सीबीआई को सौंप दिया था। उस समय अदालत ने टिप्पणी की थी कि यह केस जम्मू सेक्स स्कैंडल से कम नहीं लगता है।
कोर्ट के बाहर मौजूद पुलिस कर्मी। (फाइल फोटो)
व्यापारियों और रईस लोगों को बनाते थे आरोपी कोर्ट के आदेश पर दिसंबर, 2007 में CBI ने इसी मामले केस दर्ज कर जांच शुरू की। मोगा के भागी के गांव के रंजीत सिंह की शिकायत को ही आधार बनाया गया। जांच में पता चला कि देविंदर सिंह गरचा, परमदीप सिंह संधू, अमरजीत सिंह और रमन कुमार ने अन्य लोगों के साथ मिलकर गैरकानूनी तरीके से पैसा कमाने की साजिश रची थी।
उन्होंने दो महिलाओं के साथ मिलकर दुष्कर्म की झूठी FIR दर्ज की और भोले-भाले व्यापारियों और कारोबारियों को फंसाया। गिरफ्तारी का डर दिखाकर उनसे मोटी रकम वसूली जाती थी। बाद में जांच में उन्हें क्लीनचिट दे जाती थी। मामले की जांच आगे बढ़ी तो CBI ने फरवरी 2008 मे दविंदर सिंह गर्चा और परमजीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया था।
मृतक मनजीत कौर अपने पति के साथ । (फाइल फोटो)
सरकारी गवाह बनी महिला और उसके पति की हुई थी हत्या इस मामले में मनप्रीत कौर नाम की महिला को सरकारी गवाह बनाया गया। हालांकि बाद में अदालत ने उसे विरोधी घोषित किया। इस वजह से उसके खिलाफ मोहाली अदालत में अलग से कार्रवाई शुरू हुई। इसके अलावा रणबीर सिंह उर्फ राणू और करमजीत सिंह सरकारी गवाह बने।
हालांकि इस मामले में सरकारी गवाह बनी मनजीत कौर जीरा के पास नाम बदलकर रह रही थी। उस समय वह गर्भवती थी। सितंबर 2018 में उसकी और उसके पति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस पूरे मामले में 2007 में एफआईआर दर्ज कराने वाली नाबालिग लड़की के विरुद्ध किशोर न्यायालय में एक अलग मामला लंबित है।