मैं हिंदू हूं, बेवकूफ नहीं… पूर्व सीएम कमलनाथ ने बीजेपी पर किया बड़ा हमला h3>
भोपाल : एमपी (madhya pradesh news) में कई जगहों पर हाल के दिनों में सांप्रदायिक घटनाएं घटी हैं। पंचायत और निकाय चुनाव को लेकर सियासी तापमान बढ़ गया है। ऐसे में आरोप प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। हाल में घटित हिंसा की घटनाओं पर कमलनाथ (kamalnath on bjp) ने बीजेपी पर बड़ा वार किया है। उन्होंने कहा है कि मैं गर्व से कह रहा हूं कि मैं हिंदू हूं लेकिन बेवकूफ नहीं हूं। हर जगह विवाद हो रहा है। अब भाषा विवाद तमिलनाडु में शुरू हो गया। हमें राजनीतिक परिवर्तन को दूसरों को समझाना है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में हो रहे ग्राम पंचायत चुनाव में मध्यप्रदेश की शिवरार सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ अन्याय किया है। अब तक जो स्थिति सामने आई है, उसमें पिछड़ा वर्ग को मुश्किल से 9 से 10 प्रतिशत आरक्षण मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। जबकि 1993 के पंचायत चुनाव अधिनियम में स्पष्ट प्रावधान है कि यदि किसी जगह पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की कुल आबादी 50% से कम है तो वहां वह ओबीसी को 25% आरक्षण दिया जाएगा।
कमलनाथ ने कहा कि शिवराज सरकार का रवैया पूरी तरह ओबीसी विरोधी रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि ओबीसी आरक्षण का जो प्रस्ताव विधानसभा में पास हुआ था, वह कांग्रेस पार्टी के दबाव में पास किया गया था और शिवराज सरकार की मंशा उस प्रस्ताव को पास करने की नहीं थी। कमलनाथ ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस पार्टी ने स्पष्ट मांग की थी कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाए और उसमें पंचायत चुनाव में ओबीसी के आरक्षण के लिए संविधान संशोधन का प्रस्ताव पास किया जाए।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आड़ लेना गलत है क्योंकि न्यायालय कानून के अनुसार काम करता है और जब आवश्यकता संविधान और कानून में बदलाव की होती है तो उसे विधायिका ही कर सकती है।
वहीं, कमलनाथ से पूछा गया कि क्या नगर निगम और नगर पालिका चुनाव में विधायकों को भी प्रत्याशी बनाया जा सकता है। इस पर उन्होंने कहा कि कहा कि विधायक को या अन्य किसी भी व्यक्ति को इस आधार पर टिकट दिया जाएगा कि वह सर्वश्रेष्ठ प्रत्याशी है और चुनाव जीत सकता है। इसके साथ ही कमलनाथ ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान घोषणा करने में माहिर है। उन्होंने कहा कि जहां नदी नहीं है, शिवराज सिंह चौहान वहां भी पुल बनाने की घोषणा कर सकते हैं।
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उन्होंने कहा कि प्रदेश में हो रहे ग्राम पंचायत चुनाव में मध्यप्रदेश की शिवरार सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ अन्याय किया है। अब तक जो स्थिति सामने आई है, उसमें पिछड़ा वर्ग को मुश्किल से 9 से 10 प्रतिशत आरक्षण मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। जबकि 1993 के पंचायत चुनाव अधिनियम में स्पष्ट प्रावधान है कि यदि किसी जगह पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की कुल आबादी 50% से कम है तो वहां वह ओबीसी को 25% आरक्षण दिया जाएगा।
कमलनाथ ने कहा कि शिवराज सरकार का रवैया पूरी तरह ओबीसी विरोधी रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि ओबीसी आरक्षण का जो प्रस्ताव विधानसभा में पास हुआ था, वह कांग्रेस पार्टी के दबाव में पास किया गया था और शिवराज सरकार की मंशा उस प्रस्ताव को पास करने की नहीं थी। कमलनाथ ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस पार्टी ने स्पष्ट मांग की थी कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाए और उसमें पंचायत चुनाव में ओबीसी के आरक्षण के लिए संविधान संशोधन का प्रस्ताव पास किया जाए।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आड़ लेना गलत है क्योंकि न्यायालय कानून के अनुसार काम करता है और जब आवश्यकता संविधान और कानून में बदलाव की होती है तो उसे विधायिका ही कर सकती है।
वहीं, कमलनाथ से पूछा गया कि क्या नगर निगम और नगर पालिका चुनाव में विधायकों को भी प्रत्याशी बनाया जा सकता है। इस पर उन्होंने कहा कि कहा कि विधायक को या अन्य किसी भी व्यक्ति को इस आधार पर टिकट दिया जाएगा कि वह सर्वश्रेष्ठ प्रत्याशी है और चुनाव जीत सकता है। इसके साथ ही कमलनाथ ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान घोषणा करने में माहिर है। उन्होंने कहा कि जहां नदी नहीं है, शिवराज सिंह चौहान वहां भी पुल बनाने की घोषणा कर सकते हैं।