‘मैं थारे पांव की जूती ना’ गीत से गूंजा स्टेडियम: ज्योति नूरान के गानों पर झूमें दर्शक, कुटले खान के राजस्थानी गीतों ने दिल जीता – Jaisalmer News

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‘मैं थारे पांव की जूती ना’ गीत से गूंजा स्टेडियम:  ज्योति नूरान के गानों पर झूमें दर्शक, कुटले खान के राजस्थानी गीतों ने दिल जीता – Jaisalmer News

‘मैं थारे पांव की जूती ना’ गीत से गूंजा स्टेडियम: ज्योति नूरान के गानों पर झूमें दर्शक, कुटले खान के राजस्थानी गीतों ने दिल जीता – Jaisalmer News

जैसलमेर। डेजर्ट फेस्टिवल में परफोर्म करती ज्योति नूरान।

जिला प्रशासन एवं पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित चार दिवसीय मरु महोत्सव के दूसरे दिन शहीद पूनम सिंह स्टेडियम में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन हुआ। जिसमे प्रसिद्ध लोक कलाकार शकूर खान व लतीब खान, कुटले खान एवं ज्योति नूरान ने अपनी एक के बाद एक शानदार प्रस्तुत

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कार्यक्रम की शुरुआत लोक गायक शकूर खान व लतीब खान के सिंधी कलाम से हुई। शकूर ख़ान सूफी (कोक स्टूडियो फेम), अदरीम ख़ान सूफी व लतीब ख़ान के सिंधी सूफी कलामों ने सबको झूमाया। सबसे ज्यादा रंग ही रंग बनाया ने सबको झूमने पर मजबूर किया। इस दौरान पूनम सिंह स्टेडियम में देशी-विदेशी सैलानियों समेत स्थानीय जनता मौजूद रही।

पूनम स्टेडियम में सजी संगीत की महफिल।

कुटले खान ने राजस्थानी गीतों की झलक दिखाई

प्रसिद्ध राजस्थानी कलाकार कुटले खान की हर प्रस्तुति में राजस्थानी संस्कृति की झलक दिखाई दी। साथ ही, पधारो म्हारे देश…, नैना मिला के मुझ से, नैना मिला के…,तेरे बिन नहीं लगता दिल मेरे सजना…, मां तुझे सलाम…, मैं वारी जाऊं रे , बलिहारी जाऊं रे मारे सतगुरु आंगन आया, मैं वारी जाऊं रे,.. लाल मेरी पत रखियो बला झूले लालण… दमादम मस्त कलंदर सहित विभिन्न प्रस्तुतियों ने राजस्थानी एवं पॉप संगीत गायन का मिश्रण पेश कर उपस्थित सभी श्रोताओं का मन मोहा लिया।

प्रसिद्ध राजस्थानी कलाकार कुटले खान की हर प्रस्तुति में राजस्थानी संस्कृति की झलक दिखाई दी।

ज्योति नूरान के गीतों पर नाचे विदेशी

लोकप्रिय सूफी गायक ज्योति नूरान ने अपनी शानदार प्रस्तुति से स्वर्ण नगरी का माहौल सूफियाना बना गया। उन्होंने एक के बाद एक विभिन्न संगीतमय प्रस्तुतियों से महफिल में समा बांध दिया। साथ ही, उन्होंने अपनी प्रस्तुतियों पर दर्शकों को झूमने के लिए मजबूर कर दिया। उनकी प्रस्तुतियों पर स्थानियों सहित विदेशी भी अपने आपको थिरकने से रोक नहीं सके।

ज्योति ने अल्ला हु-अल्ला हु…,परदे में रहने दो…, कोई हसीना जब रूठ जाती है…, मैं सोना हु मिट्टी नहीं…, अली अली. उड़ जा काले कावा…ख्वाजा मेरे ख्वाजा दिल में समा जा… सहित एक से बढ़कर एक अद्भुत और अविस्मरणीय प्रस्तुतियों में संस्कृति की जीवंतता उत्सव की एक माला बनकर मंच पर उतरी। सुर, लय और ताल के भव्य आयोजन में उल्लास भरा रहा। कलाकारों की प्रस्तुतियों के साथ लाइट्स के फ्यूजन में सूफी संगीत, प्रेम, के साथ कई भाव नजर आयें।

लोक गायक शकूर खान व लतीब खान के सिंधी कलाम ने सबका दिल जीता।

ज्योति नूरान का सम्मान करते अतिथि।

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